राम-राज्य किसे कहते हैं, उसकी परिभाषा क्या है?

एक ऐसे आदर्श राज्य की कल्पना तथा धरा पर उसका अवतरण, जहाँ हर ओर धर्ममय वातारण और तत्जन्य सुख-समृद्धि का वातारवण हो, प्रारंभ से ही मानवमन की लालसा रही है। अवध के सिंहासन पर राज्याभिषेक के बाद राम के शासन को वाल्मीकि ने एक ऐसा ही आदर्श राज्य बताया है। इसे उन्होंने रामराज्य की संज्ञा दी है। किसी भी देश में राजा अथवा शासक को राज्य की खुशहाली का जिम्मेदार माना जाता रहा है। इसके विपरीत यदि राज्य में कहीं कोई बदहाली है तो इसका उत्तरदायी भी राजा ही रहता है। ‘यथा राजा तथा प्रजा’ अर्थात जैसा राजा वैसी प्रजा, यह उक्ति लोक में प्रसिद्ध भी है। किंतु संभवत: अभी तक कोई राजा इतना अच्छा नहीं हुआ कि उसके राज्य में सारी प्रजा पूर्णत: प्रसन्न और संतुष्ट हो, राज्य में चारों ओर खुशहाली हो। भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखें तो संभवत: एकमात्र राम के शासन में रहा राज्य आदर्श राज्य कहा गया है। रामराज्य का अर्थ ही हो गया, एक आदर्श राज्य, सुशासित राज्य। रामकथा में रामराज्य का प्रत्यय अत्यंत महत्वपूर्ण है। रामकथा की लोकप्रियता और सर्वस्वीकृति का एक महत्वपूर्ण कारण रामराज्य की अवधारणा भी है। राम सचेत शासक तो थे ही, पर मुख्य बात यह है कि स्वयं अपने चरित्र के माध्यम से उन्होंने परिवार, समाज एवं देश का अच्छा सदस्य बनने की प्रेरणा भी अपनी प्रजा को दी थी।

Uttarakhand

धर्म सम्राट स्वामी श्री करपात्री महाराज

नहीं दरिद्र कोउ दु:खी न दीना

नहीं कोउ अबुध न लच्छन हीना।

कोई दरिद्र नहीं होता, कोई दु:खी नहीं होता, कोई दीन नहीं होता, कोई अबुध नहीं होता, कोई लक्षणहीन नहीं होता।

सब नर करहीं परस्पर प्रीति

चलहीं स्वधर्म निरत श्रुति नीति।

सब लोग परस्पर एक दूसरे के पोषक होते हैं। कोई किसी का शोषक नहीं होता, सब एक दूसरे के रक्षक होते हैं कोई किसी का भक्षक नहीं होता, सब एक दूसरे के शुभचिन्तक होते हैं। कोई किसी का अशुभ चिन्तक नहीं होता सब एक दूसरे के पूरक होते हैं।

सामंजस्य, सौमनस्य और एकमत्य कि स्थापना ही मुख्य रुप से उत्तम शासन का लक्ष्य है। बाघ-बकरा एक घाट पानी पियें, चूहा-बिल्ला का आपस में मेल जोल हो जाये और सांप और नेवले में भी बैर मिट जाये। ये उत्तम शासन का लक्षण है। यही रामराज्य है यही धर्मराज्य है यही ईश्वर राज्य है यही धर्मसापेक्ष पक्षपात विहीन राज्य है।

इसी राज्य का वेदों में वर्णन है, रामायण में वर्णन है , महाभारत में वर्णन है। यही रामराज्य है यही धर्मराज्य है। इसी के द्वारा राजा, प्रजा, शासक, शासित सबका कल्याण होता है सबका अभ्युदय होता है।

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