रूसी सेना के यूक्रेन की सीमा के घूसने के बाद लगातार दोनों देशों के बीच संघर्ष जारी है। अब आगे क्या होने वाला है? ये युद्ध कितना आगे बढ़ेगा? और सबसे अहम बात कि ये युद्ध दुनिया पर कितना असर डालेगा? लेकिन इस युद्ध के छिड़ने के बाद ज्योतिष का भी अपना एक नज़रिया और अपनी एक गणना हो सकती है जो इस बात का इशारा दे सकती है कि इस मोड़ पर शुरू हुआ ये युद्ध आखिर कहां तक जाएगा? इसका दुनिया पर क्या और कितना प्रभाव पड़ेगा। तारों और सितारों की गणना यही गवाही देती है कि रूस और यूक्रेन का ये युद्ध किसी भी सूरत में टाला नहीं जा सकता था, बल्कि इसके और गहराने की आशंका काफी बढ़ सी गई है। कागज की लकीरों में छुपी तारों और सितारों की गति और उनकी स्थितियों को पढ़ने में माहिर ज्योतिषाचार्य उदय शंकर भट्ट के मुताबिक इस समय मकर राशि में ग्रहों का अशुभ योग बन रहा है, जिसके कारण पूरी दुनिया में अराजकता का माहौल बनता दिखाई दे रहा है। आगे जानिए किन ग्रहों की युति के कारण ऐसा हो रहा है…
मकर राशि के शनि का असर है
ज्योतिषाचार्य उदय शंकर भट्ट के अनुसार ज्योतिष के झरोखे से देखने पर पता चलता है 24 फरवरी 2022 को जिस वक़्त रूस ने यूक्रेन पर हमला शुरू किया, उस समय शनि मकर राशि में बैठे हुए थे। इस समय मकर राशि में शनि और बुध की युति बन रही है। 26 फरवरी को इस राशि में शनि का आगमन होगा। शनि और मंगल वैसे तो एक-दूसरे के प्रति समभाव रखते हैं यानी न तो वे एक-दूसरे के शत्रु हैं न ही मित्र, लेकिन इन दोनों ग्रहों का स्वभाव उग्र है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब दो उग्र स्वभाव वाले ग्रह एक ही राशि में होते हैं युद्ध व देशों में तनाव जैसी स्थिति बनती है। इसके बाद 27 फरवरी को शुक्र भी इस राशि में प्रवेश करेगा और सबसे अंत में चंद्रमा। इस प्रकार एक ही राशि में 5 ग्रह होने से विश्व भर में इसका नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा।
सन 1962 हो या 1992-93 जब भी शनि मकर राशि में होता है, पूरे विश्व में हलचल मचाता है। बड़े रोग फैलते हैं, युद्ध होते हैं, अराजकता एवं महंगाई भी बढ़ा देता है। शनि के मकर राशि में रहने से भारत, रूस, अफगानिस्तान और उसके आसपास के क्षेत्रों में हमेशा युद्ध के हालात बनते हैं या युद्ध होता है। 1962 की ही तरह फरवरी 2022 में भी शनि की स्थिति एक जैसी नज़र आ रही है। और ज्योतिष में शनि को वायु का कारक माना जाता है, जबकि मंगल युद्ध का कारक कहलाता है। जिसका एक मतलब ये भी निकाला जाता है कि इस स्थिति में कहीं न कहीं युद्ध की आशंका बढ़ जाती है।
और वायु कारक होने की वजह से हवा में विस्फोट होने की प्रबल संभावना बनती है। लिहाजा ग्रहों की ये चाल इशारा कर देती है कि रूस और यूक्रेन के बीच इस जंग के दौरान हवाई हमले और मिसाइलों का इस्तेमाल बेताहाशा हो सकता है।
हर 30 साल के अंतर पर शनि ने इन्हीं क्षेत्रों में युद्ध या हिंसात्मक कारवाई की स्थिति बनाई है। पिछले दो वर्षो से पूरे विश्व में अशांति है, महामारी फैली है। भारत-चीन के बीच भी तनाव बढ़ा हुआ है। 2020 में गलवान घाटी विवाद में भारत-चीन के कई सैनिक मारे गए थे। उस समय भी शनि मकर राशि में गोचर हो रहा था। शनि मकर राशि में 28 अप्रैल 2022 तक रहेगा। तब तक पूरे विश्व में तनाव का माहौल रहेगा। शनि के साथ 27 फरवरी 2022 से मंगल का गोचर भी आरंभ हो जाएगा, जो और ज्यादा नुकसान दायक हो सकता है।
जानिए और भी खास बातें…
– सन 1962 हो या 1992-93 जब भी शनि का गोचर मकर राशि में होता है तो इसका असर पूरी दुनिया पर दिखाई देता है। बड़े रोग फैलते हैं, युद्ध होते हैं, अराजकता फैलती है और महंगाई भी आसमान छूने लगती है।
– मकर राशि में रहते हुए शनि भारत, रूस एवं अफगानिस्तान और उसके आसपास के क्षेत्रों में हमेशा युद्ध के हालात का निर्माण करता है। 1962 में भारत-चीन के मध्य युद्ध हुआ था। 1992 में अफगानिस्तान में गृह युद्ध हुआ था और अब 2022 में 30 साल के अंतर पर शनि ने इन्हीं क्षेत्रों में युद्ध या हिंसा करवाई है।
– पिछले 2 वर्षों से पूरे विश्व में अशांति, रोग एवं भारत-चीन के मध्य भी तनाव बढ़ा हुआ है। 2020 में तो भारत-चीन के मध्य विवाद में चलते कई सैनिक हताहत हुए थे, उस समय भी शनि मकर राशि में गोचर हो रहा था।
– शनि का मकर राशि में गोचर 28 अप्रैल 2022 तक रहेगा। तब तक पूरे विश्व में तनातनी का माहौल रहेंगा। हिंसा, रक्तपात, युद्ध, रोग आदि यह चलते रहने की संभावनाएं है।
– शनि के साथ 27 फरवरी से मंगल का गोचर भी आरंभ हो जाएगा जो और ज्यादा नुकसान दायक हो सकता हैं। मंहगाई के साथ, अराजकता, हिंसा, रक्तपात, प्राकृतिक आपदाएं बढ़ सकती हैं।