मां बगलामुखी जयंती पर विशेष: भयंकर तूफान का नाश करने के लिए मां बगलामुखी का धरती पर हुआ अवतरण

हिमशिखर खबर ब्यूरो

Uttarakhand

जब-जब ब्रह्मांड में कोई संकट आया, देवी-देवताओं ने प्रकट होकर उसे अपनी शक्ति से दूर किया। पौराणिक ग्रंथों में दशमहाविद्या यानी दस महान विद्या रूपी देवियों का जिक्र मिलता है। इन्हें पार्वती देवी के दस रूपों के रूप में जाना जाता है। इनमें से एक हैं, मां बगलामुखी। कहते हैं कि मां बगलामुखी भयंकर तूफान को रोकने के लिए धरती पर प्रकट हुई थीं। जिस दिन उनका धरती पर प्राकट्य हुआ, उस दिन मां बगलामुखी जयंती मनाई जाती है। मां बगलामुखी का धरती पर अवतरण कैसे हुआ था? मां बगलामुखी जयंती क्यों मनाई जाती है, इसका क्या महत्व है? पढ़ें यह पौराणिक कथा।

माता बगलामुखी स्वर्ण के सिंहासन पर विराजमान है। मुकुट पर चन्द्रमा विराजमान एक हाथ मे मुदगर धारण किए हुए तथा दूसरे हाथ में शत्रु की जिव्हा पकड़े हुए है, तथा सदैव पीले वस्त्र धारण करती हुई शोभायमान रहती हैं।

सतयुग की कथा के अनुसार ब्रह्मांड मे एक भयंकर तूफान आने पर पूरी सृष्टि नष्ट होने की कगार पर थी, तब भगवान विष्णु ने सर्वशक्तिमान और देवी बगलामुखी का आह्वान किया। उन्होंने सौराष्ट (काठियावर) के हरिद्रा सरोवर के पास उपासना की। उनके इस तप से श्रीविध्या का तेज उत्पन्न हुआ। तप की उस रात्रि क़ो बीर रात्रि के रूप मे जाना जाता है। उस अर्ध रात्रि को भगवान विष्णु की तपस्या से संतुष्ट होकर माँ बगलामुखी ने सृष्टिविनाशक तूफान क़ो शान्त किया। इसी अर्द्ध-रात्रि मे श्री बगला का आविर्भाव हुआ था।

यह भी मान्यता है कि प्राचीन काल मे एक मदन नाम के राक्षस ने अत्यंत कठिन तपस्या करके वाक् सिद्धि के वरदान को पाया था। उसने इस वरदान का गलत प्रयोग करना शुरू कर दिया और निर्दोष लाचार लोगों को परेशान करने लगा। उसके इस घृणित कार्य से परेशान होकर देवताओं ने माँ बगलामुखी की आराधना की। माँ ने असुर के हिंसात्मक आचरण को अपने बाएं हाथ से उसकी जिह्वा को पकड़ कर और उसके वाणी को स्थिर करके रोक दिया। माँ बगलामुखी जैसे ही मारने के लिए दाहिने हाथ में गदा उठाई वैसे ही असुर के मुख से निकला मैं इसी रूप में आपके साथ दर्शाया जाऊं … तब से देवी इन्हें माँ बगलामुखी के साथ दर्शाया गया है।

दश महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या का नाम से उल्लेखित है।वैदिक शब्द ‘ वल्गा ’ कहा है, जिसका अर्थ दुल्हन या कृत्या है, जो बाद मे अपभ्रंश होकर ‘ बगला ‘ नाम से प्रचारित हो गया ।बगलामुखी शत्रु-संहारक विशेष है अतः इसके दक्षिणाम्नायी पश्चिमाम्नायी मंत्र अधिक मिलते हैं।

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