गुरुवार और एकादशी का शुभ संयोग: भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी के साथ तुलसी पूजा से बढ़ती है सुख-समृद्धि

पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

आज गुरुवार को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य नाम के अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों के बड़े भाई युधिष्ठिर को एकादशियों के व्रत के बारे में बताया है। इस पावन दिन विधि- विधान से भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना करने से मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

एकादशी पर भगवान विष्णु के लिए व्रत-उपवास और विशेष पूजा करने की परंपरा है। इस दिन जल और दूध से भगवान विष्णु-लक्ष्मी जी का अभिषेक करें। पीले फूलों से पूजा करें। इसके बाद विष्णु जी को तुलसी पत्र चढ़ाएं। एकादशी पर श्रीहरि और तुलसी की पूजा करनी चाहिए।

ऐसे कर सकते हैं तुलसी पूजन

आज मोहिनी एकादशी की शाम घर के आंगन में तुलसी के पास दीपक जलाएं और परिक्रमा करें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि सूर्यास्त के बाद तुलसी को स्पर्श न करें। पूजा में शालग्राम जी की प्रतिमा भी रखनी चाहिए।

तुलसी और शालिग्राम जी को हार-फूल, वस्त्र आदि पूजन सामग्री अर्पित करें। फलों का भोग लगाएं। तुलसी के सामने बैठकर तुलसी की माला से तुलसी मंत्र जाप करें। मंत्र जाप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए। मंत्र- ऊँ श्री तुलस्यै विद्महे। विष्णु प्रियायै धीमहि। तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।।

एकादशी पर और कौन-कौन से शुभ काम करें

1. जरूरतमंद लोगों को अन्न और जल का दान करें।

2. गौशाला में हरी घास और गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें।

3. विष्णु मंदिर में जल, दूध और पंचामृत दान करें।

4. पानी में दूध मिलाकर सुबह जल्दी पीपल के पेड़ पर चढ़ाएं।

5. जरूरतमंद लोगों को मौसमी फलों का दान करें।

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