नई दिल्ली
केंद्रीय शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने आज नई दिल्ली में ‘चुस्त कार्य संस्कृति के लिए रणनीतियाँ: नए युग के रास्ते’ विषय पर आयोजित किए जा रहे 49वें आईएफटीडीओ विश्व सम्मेलन और प्रदर्शनी में समापन भाषण दिया।
इस अवसर पर प्रधान ने समाज और अर्थव्यवस्था में एक प्रवर्तक के साथ-साथ एक व्यवधान कर्ता के रूप में प्रौद्योगिकी की भूमिका के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि तेजी से बदलती हुई दुनिया को देखते हुए हमें अपने कार्यबल को एक समग्र कौशल रणनीति के माध्यम से 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए तैयार करना चाहिए।
प्रधान ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) और शिक्षा तथा कौशल के बीच तालमेल स्थापित करने में इसके प्रोत्साहन के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जहां एनईपी औपचारिक शिक्षा प्रणाली में 3 से 23 वर्ष की आयु के छात्रों को कवरकरती है, वहीं हमेंउनके लिए भी नए विचारों, कौशल, पुन:कौशल और अप-स्किलिंग के बारे में पथ प्रदर्शक रणनीतियों के साथ आगे आना चाहिए, जो औपचारिक शिक्षा का हिस्सा नहीं है।