राजेश पैन्यूली
स्वामी रामतीर्थ मिशन, राजपुर समीप कुठालगेट में महानपुरुषों के सान्निध्य में भारत के विभिन्न नगरों से आए साधकों को जीने की कला सिखाने के लिए साधना सप्ताह का शुभारंभ 23 मई से शुरू हुआ, जो 29 मई को दोपहर होने वाले भंडारे के साथ संपन्न होगा।
विदित हो कि 1973 में इस विशेष आयोजन की तत्कालीन परमाध्यक्ष स्वामी गोविंद प्रकाशजी द्वारा शुरुआत की गई थी। इसकी विशेषता थी लोगों को स्वाभाविक रूप से यह समझ देना कि सब कुछ होने पर भी अपने लक्ष्य की ओर ले जाने वाली वस्तुओं या व्यक्तियों का चुनाव कैसे किया जाए? यह समझ किसी में हो, यह आज की बहुत बड़ी जरूरत है। इस समझ के आने के बाद ही आत्मसंयम और आत्मानुशासन जीवन में सहज हो जाता है।
23 मई की प्रातः कालीन बैठक में चिन्मय मिशन, देहरादून के अध्यक्ष स्वामी यतीश्वरानंद जी महाराज ने श्रीमद्भगवद्गीता के माध्यम से साधना के स्वरूप को स्पष्ट किया। स्वामी राम के प्रवचनों में सगुण और निर्गुण साधनाओं का क्योंकि समावेश है, इसलिए इन दोनों पद्धतियों का विवेचन उपस्थित महापुरुषों द्वारा किया जा रहा है।
इस आयोजन की शोभा बढ़ाने के लिए समय-समय किसी न किसी विशेष महापुरुषों के दर्शनों और उनके प्रवचनों को सुनने का सौभाग्य भी रामप्रेमी साधकों को प्राप्त हो रहा है। यह साधना सप्ताह मिशन के वर्तमान अध्यक्ष डा. ललित जी मल्होत्रा के सानिध्य में संपन्न हो रहा है।