नई टिहरी।
विद्युत मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की बैठक में हाइड्रो क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता पर मंथन किया गया। कहा गया कि ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करते हुए जलवायु परिवर्तन से निपटने की चुनौती से निपटना होगा। इस दौरान संसद सदस्यों ने विद्युत मंत्रालय में विभिन्न पहलों और योजनाओं के बारे में कई सुझाव भी दिए।
विद्युत मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए केन्द्रीय विद्युत तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर. के. सिंह ने कहा कि भारत में ऊर्जा की खपत तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि खपत विकास का एक सूचकांक है और इसलिए ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ना हमारी अर्थव्यवस्था के विकास का एक संकेतक है। उन्होंने बढ़ती मांग को पूरा करते हुए जलवायु परिवर्तन से निपटने की चुनौती पर प्रकाश डाला। कहा कि भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन विश्व औसत के एक तिहाई से भी कम है, जबकि विकसित देशों के लिए यह वैश्विक औसत का चार से छह गुना है। उन्होंने यह भी कहा कि अब तक दुनिया के विकसित देशों का उत्सर्जन में लगभग 80 प्रतिशत योगदान है। हालांकि, पेरिस समझौते के आलोक में, सरकार ने हरित ऊर्जा की ओर बढ़ने का संकल्प लिया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत ने 2030 की समय सीमा के मुकाबले नवंबर 2021 में गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 40 प्रतिशत कुल विद्युत ऊर्जा की स्थापित क्षमता हासिल करने के अपने लक्ष्य को पहले ही हासिल कर लिया है। उन्होंने कहा कि पिछले सात वर्षों में भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता में तेजी से वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि अक्षय स्रोतों द्वारा स्थापित 153 गीगावॉट क्षमता पर, भारत 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 500 गीगावाट क्षमता के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि जलविद्युत परियोजनाएं महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यह हरित और स्वच्छ ऊर्जा का एक स्रोत है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्वच्छ ऊर्जा के प्रत्यक्ष लाभ के अलावा, जलविद्युत परियोजनाएं रोजगार भी पैदा करती हैं, ग्रिड को स्थिरता देती हैं, बुनियादी ढांचे में सुधार करती हैं, बाढ़ प्रबंधन में मदद करती हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर कई प्रभाव डालती हैं।
जलविद्युत परियोजनाओं को लागू करने की चुनौतियों के बारे में चर्चा करते हुए आर. के. सिंह ने सभी हितधारकों को विश्वास में लेने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि प्रभावित लोगों के साथ संवाद सफलता की कुंजी होगा। उन्होंने यह भी कहा कि एक मजबूत पुनःस्थापन और पुनर्वास योजना से परियोजनाओं को क्रियान्वित करने में मदद मिलेगी। बैठक में विद्युत एवं भारी उद्योग राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर सहित कई सांसदों ने भाग लिया।