देवशयनी एकादशी और रविवार का योग: आज विष्णु जी, शिव जी के साथ सुबह सूर्य देव और शाम को तुलसी पूजा करें

हिमशिखर धर्म डेस्क

Uttarakhand

पंडित हर्षमणि बहुगुणा

आज रविवार, 10 जुलाई को आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है, इसे देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इस तिथि का महत्व काफी अधिक है, क्योंकि इस दिन से कार्तिक मास में आने वाली देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु विश्राम करते हैं। रविवार और देवशयनी एकादशी के योग में विष्णु जी, शिव जी के साथ ही सूर्य देव और तुलसी की भी विशेष पूजा करनी चाहिए।

रविवार को एकादशी होने से इस दिन सूर्य पूजा करने का महत्व और अधिक बढ़ गया है। ज्योतिष में सूर्य को रविवार का स्वामी ग्रह माना गया है। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य से संबंधित दोष होते हैं, उन्हें रविवार को सूर्य पूजा करने की सलाह दी जाती है।

देवशयनी एकादशी पर कर सकते हैं ये शुभ काम

एकादशी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद तांबे के लोटे में जल भरें, उसमें चावल, लाल फूल डालें, इसके बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। इस दौरान सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करना चाहिए।

इस दिन भगवान विष्णु के साथ महालक्ष्मी का अभिषेक करना चाहिए। इसके लिए केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करें। इसके बाद फूल मिश्रित सुगंधित जल से अभिषेक करें। भगवान को वस्त्र अर्पित करें। फूलों से और अन्य पूजन सामग्री से श्रृंगार करें। धूप-दीप जलाएं। तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं। आरती करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम: का जप करें। पूजा के अंत में भगवान से क्षमा याचना करें। पूजा के बाद प्रसाद बांटें और खुद भी ग्रहण करें।

शिवलिंग पर तांबे के लोटे से चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। बिल्व पत्र, आंकड़े के फूल, धतूरा आदि चीजें चढ़ाएं। चंदन से तिलक करें। पूजा करें। एकादशी पर तुलसी पूजा करने की भी परंपरा है। इस तिथि पर सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास दीपक जरूर जलाना चाहिए।

जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, कपड़े, छाते और जूते-चप्पल का दान जरूर करें। गायों की देखभाल के लिए किसी गौशाला में दान करें या सड़क पर निराश्रित गाय को गुड़ रोटी खिलाएं।

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