हिमशिखर धर्म डेस्क
श्री केहर सिंह जी की पत्नी को संग्रहणी हो गई थी और उनका ठीक हो पाना संभव नहीं था। कोई भी ईलाज कारगार नहीं हो पा रहा था। केहर सिंह जी दुखी हो उठे कि अब मेरे बच्चों को कौन सम्भालेगा। तभी श्री आर पी वैश्य द्वारा जो नैनीताल जा रहे थे केहर सिंह जी ने बाबा को अपनी पत्नी की बीमारी का संदेशा पहुंचा दिया। केवल इतनी सी पुकार थी इस गजेन्द्र की अपने भगवान के प्रति और बाबा जी ने भी तब इतना भर कहा,” इसमें कहने की क्या बात है ? केहर सिंह हमारा भक्त है ।”
और उधर उनकी पत्नी का शरीर शांत हो गया। तभी कैची में बाबा जी श्रीमती कमला सोनी से बोल उठे,” केहर सिंह की बहू मर गयी है। वह बहुत दुखी है पर हम ऐसा नहीं होने देंगे । केहर सिंह हमारा भक्त है।””
और उधर लंखनऊ में अपनी लीला पर पर्दा डालते हूये बाबा ने सिंह साहब की लड़की कुसुम को प्रेरित कर बायोकेमिक दवाओं का एक मिश्रण श्रीमति सिंह के मुंह में डलवा दिया, जो जडवत महिला के मुंह में न जा सका । परन्तु महाराजजी की लीला तो अपना काम कर रही थी और ४०-४५ मिनट मृत रहने के बाद श्रीमति सिंह पून: जी उठी । उनका ईलाज करने वाले डाक्टर को जब सिंह साहब ने धन्यवाद दिया को डाक्टर बोला,” मिस्टर सिंह इसमें मेरा कोई हाथ नहीं, ये तो केवल भगवद् कृपा से ही बच गयी है।”
ये सब लीला बाबा रच रहे थे, क्यूँकि। अपने भक्त को पत्नी वियोग में कैसे दुखी देख सकते थे बाबा।
अनंत कथामृत