हिमशिखर खबर ब्यूरो
नई टिहरी: उत्तराखण्ड़ में नासूर बन चुके पलायन को लेकर वैसे तो गढ़वाली सिनेमा में अब तक कई फिल्में बन चुकी है, लेकिन पहली बार पहाड़ों में रिवर्स पलायन को दिखाते हुए ‘जोना’ नाम से गढ़वाली फिल्म की शूटिंग शुरू हो गई है। खास बात यह है कि यह फिल्म दर्शकों को गुदगुदाने के साथ ही उत्तराखंड की संस्कृति व सौंदर्य दर्शन के साथ ही पलायन, अस्पताल, सड़क असुविधा जैसे गम्भीर मुद्दों पर कटाक्ष कर पर्दे तक पहुंचाया जाएगा। फिल्म में दर्शकों को धनोल्टी, चंबा, नई टिहरी, ऋषिकेश, हरिद्वार और देहरादून के इलाके देखने को मिलेंगे।
सुनपट वह अकेलापन है, जिसे हम और यहां तक कि प्रकृति व पहाड़ भी उस समय महसूस करते हैं, जब आसपास के सभी लोग कहीं चले जाते हैं। लेकिन ऐसे भी कुछ लोग हैं, जो दोबारा से गाँव आकर सुविधाओं के अभाव में भी कुछ नया कर लोगों के लिए नजीर बन जाते हैं। कुछ ऐसे ही पलायन, स्वरोजगार और प्रेम-गाथा पर आधारित गढ़वाली फिल्म “जोना” की शूटिंग आरंभ हो गई है। फिल्म की शूटिंग आजकल टिहरी जिले के काणाताल, डांडाचली पर्यटन स्थलों की सुंदर वादियों और नागणी गांव में चल रही है। फिल्म में अर्जुन चन्द्रा, शिवानी कुकरेती व अनुष्का पंवार मुख्य भूमिका में हैं। साथ ही उत्तराखंड की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री सुमन गौड़ भी फिल्म में एक अहम भूमिका में नजर आएंगी। फिल्म के निर्देशक ‘निशे’ जी ने बताया कि फिल्म की शूटिंग टिहरी जिले के सुरकण्डा मंदिर, काणाताल, डांडाचली, बुडोगी गांव, नागणी गांव, नई टिहरी के साथ ही हरिद्वार, देहरादून व ऋषिकेश की लोकेशन पर होनी सुनिश्चित की गई है। फिल्म का कथानक निर्देशक निशे ने लिखी है व फिल्म की पटकथा निशे व अर्जुन चन्द्रा द्वारा लिखी गई है। यह फिल्म एक मार्मिक प्रेम कहानी पर आधारित है जो आपको रुलाने के साथ ही गुदगुदाएगी भी, यह फिल्म उत्तराखंड की संस्कृति व सौंदर्य दर्शन के साथ ही पलायन, अस्पताल, सड़क असुविधा जैसे गम्भीर मुद्दों पर कटाक्ष भी करेगी।
निर्देशक निशे ने बताया कि यह फिल्म अत्यधिक उन्नत फिल्म उपकरणों के साथ फिल्माई जा रही है और फिल्म का निर्माण कार्य जनवरी 2023 तक पूर्ण हो जाएगा और फरवरी में फिल्म सिनेमाघरों में प्रदर्शित की जाएगी।
इस फिल्म को बनाने के अपने अनुभव को साझा करते हुए निशे ने बताया कि यह फिल्म पहाड़ के जीवन के लोगों से प्रेरित है, जिनसे वे पूरे राज्य में मुलाकात और उनसे बातचीत की। इस फिल्म के लिए कलाकारों को चुने जाने के बाद फिल्म की शूटिंग शुरू की गई। कहते हैं कि “लंबे समय से अवसरों की कमी के कारण उत्तराखंड के लोग देश के अन्य हिस्सों में पलायन कर रहे हैं। विभिन्न सामाजिक-आर्थिक कारकों के कारण हुए इन पलायनों ने राज्य में कई घोस्ट विलेज बन गए हैं। गांवों में बहुत कम लोग बचे हैं और इससे इन क्षेत्रों में समाज, संस्कृति और परंपरा दांव पर लगी हुई है। ”