गांधीवादी विचाधारा के ध्वजवाहक थे स्वर्गीय त्रेपन सिंह नेगी: विक्रम सिंह नेगी

हिमशिखर खबर ब्यूरो

Uttarakhand

नई टिहरी: पूर्व सांसद स्वर्गीय त्रेपन सिंह नेगी की 27 वी पुण्यतिथि पर आज कांग्रेस जनों द्वारा उनके चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किये।

उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष प्रताप नगर विधानसभा के विधायक विक्रम सिंह नेगी ने कहा कि स्वर्गीय त्रेपन सिंह नेगी गांधीवादी विचारधारा से ओतप्रोत कांग्रेस के ध्वजवाहक के रूप में स्वच्छ एवं साफ छवि के राजनीतिज्ञ थे। वे छठी और सातवीं लोकसभा के सदस्य थे। उन्होंने टिहरी गढ़वाल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और कांग्रेस राजनीतिक दल के सदस्य थे। वह टिहरी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से दूसरी, तीसरी और चौथी उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए थे।1950 में प्रथम उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए मनोनीत हुए।1962 में तीसरी उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। 1967 में चौथी उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। 1977 में छठी लोकसभा के लिए चुने गए। 1980 में सातवीं लोकसभा के लिए चुने गए। उन्होंने अपने सामाजिक और राजनीतिक जीवन में एक स्वच्छ साफ राजनीति की मिसाल पेश की।

जिला कांग्रेस कमेटी टिहरी गढ़वाल के अध्यक्ष राकेश राणा ने कहा कि त्रेपन सिंह नेगी एक सामान्य परिवार से जन्मे बीती जिनका जन्म 17 मार्च 1923 को ग्राम दल्ला, उत्तराखंड में हुआ। वह श्री हरि सिंह नेगी और श्रीमती सावित्री देवी के पुत्र थे। उन्होंने गाँव के मेंदाधर बेसिक स्कूल में पढ़ाई शुरू की और माध्यमिक शिक्षा उत्तरकाशी में हुई। हाई स्कूल और इंटरमीडिएट: प्रताप इंटर कॉलेज, टिहरी (1942) और (1944) से किया। तत्पश्चात लाहौर से कला स्नातक की डिग्री (1945-1947) और लखनऊ विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक (1952-1955) की डिग्री हासिल की।

उन्होंने 1941 में राजशाही के विरोध में योग्यता छात्रवृत्ति के परित्याग पर चर्चा की। इसके अतिरिक्त, वे टिहरी को एक स्वतंत्र रियासत बनाना चाहते थे।

नई टिहरी नगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र नौटियाल ने कहा कि पूर्व सांसद स्वर्गीय त्रेपन सिंह नेगी ने 1941 में श्री देव सुमन के नेतृत्व में प्रजामण्डल आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लाहौर में अपनी शिक्षा के दौरान उन्होंने प्रजामण्डल के लिए खुलकर काम किया और भूमिगत रहे।

प्रजामण्डल में रहते हुए उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1947 में जब देश स्वतंत्र हुआ, प्रजामण्डल ने टिहरी राज्य को भारत संघ से अलग करने के खिलाफ टिहरी में एक आंदोलन शुरू किया, जिसके कारण प्रजामण्डल के सदस्यों की गिरफ्तारी हुई। आंदोलन को जिंदा रखने के लिए खुशहाल सिंह रांगड़ के साथ नेगी जंगल के रास्ते फरार हो गए।

उन्होंने टिहरी राजशाही के खिलाफ मसूरी में कार्यकर्ताओं को संगठित करने में भाग लिया। त्रेपन सिंह नेगी को टिहरी जेल भेज दिया गया। राज्य सरकार ने उन्हें दो माह से अधिक दिनों के कारावास के बाद रिहा कर दिया।

उन्होंने प्रण लिया था कि जब तक टिहरी रियासत स्वतंत्र नहीं हो जाती, तब तक वे घर नहीं लौटेंगे। उन्होंने कीर्तिनगर में एक विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया और कांस्टेबलों द्वारा की गई अंधाधुंध गोलीबारी से बाल-बाल बचे। गोली लगने से उनके सिर पर गंभीर चोट आई थी।

15 जनवरी 1948 को नेगी ने नागेंद्र सकलानी और मोलू भरदारी के अंतिम संस्कार के जुलूस का नेतृत्व किया, जिसमे हजारों लोगों की भीड़ जुटी। उन्होंने हजारों शोकसभाओं के साथ चिता को मुखाग्नि दी। उस दिन से लोगों ने नेगी को अपना नेता मान लिया।

1948 में प्रजामण्डल अध्यक्ष चुने गए।

बाद के वर्षों में नेगी जी ने गहराई से अनुभव किया की पृथक उत्तराखंड राज्य के बिना यहाँ का विकास नही हो सकता | इसी भावना से 1977 में उन्होंने दिल्ली में उत्तराखंड परिषद का गठन किया | 1979 मे बोट हाउस क्लब, दिल्ली में विशाल ऐतिहासिक रैली का आयोजन किया | प्रवासियों में उत्तराखंड राज्य के प्रति ललक जगाने मे नेगी जी ने अपने ढंग से कार्य किया | जीवन के अंतिम क्षणों तक श्री नेगी जी उत्तराखंड राज्य प्राप्ति के लिए संघर्षरत रहे| आज पृथक उत्तराखंड राज्य मे आ गया है काश नेगी यह सब देख पाते | व्यक्तिगत और राजनीतिक जीवन में नेगी जी सदैव चरित्रवान रहे। उपरोक्त कार्यक्रम में प्रताप नगर विधानसभा के विधायक विक्रम सिंह नेगी जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राकेश राणा शहर कांग्रेस के अध्यक्ष देवेंद्र नौटियाल आईटी के अध्यक्ष मनीष कुकरेती गिरीश राणा धनवीर कलुड़ा हिमांशु रावत ,शीशपाल बर्वाण, रामभरोसे सिंह राणा, प्रमोद नेगी विकास शाह शंकर सिंह नेगी सहित बड़ी संख्या में कांग्रेस जन उपस्थित थे

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