हिमशिखर खबर ब्यूरो
चंबा: मैती आंदोलन के प्रणेता पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने कहा कि छात्र-छात्राओं को पढाई के साथ ही पयार्वरण संरक्षण के क्षेत्र में भी काम करते रहना चाहिए। क्योंकि दिन प्रतिदिन पृथ्वी का पर्यावरण नष्ट हो रहा है जो भविष्य की पीढी के लिए शुभ संकेत नहीं है। उन्होंने यह बातें स्वामी रामतीर्थ परिसर सभागार में कही।
एसआरटी परिसर की ओर से राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार के समापन पर बतौर मुख्य अतिथि पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की नई चुनौतियां बढ़ रही हैं। पानी के स्रोत सूख रहे हैं। इसे देखते हुए बांज और चौड़ी पत्ती के पेड़ लगाए जाने चाहिए। कहा कि बढ़ते तापमान के कारण ग्लेशियर पीछे खिसक रहे हैं। साथ ही मौसम परिवर्तन के कारण बुग्यालों में दुर्लभ औषधीय वनस्पतियां अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। इससे वहां पाए जाने वाले वन्य जीवों की दिनचर्या पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इस स्थिति पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाकर कार्य करना होगा। तभी बुग्याल बचे रह सकते हैं।
वरिष्ठ लेखक और विज्ञान कथाकार देवेंद्र मेवाड़ी ने छात्रों को किस्सागोई अंदाज में विज्ञान समझाया। कहा कि पर नेचर के नियमों के अनुसार पशुओं को चिडियाघर में करने की जगह जंगल में खुला छोड़ देना चाहिए। देवेन्द्र मेवाड़ी ने छात्रों को विज्ञान के जटिल रहस्यों को समझाया। छात्र-छात्राओं ने उनकी विज्ञान कथा कहने की अनूठी शैली का आनंद लिया। उन्होंने अपनी दिलचस्प शैली से भारत में विज्ञान की यात्रा को प्रस्तुत किया। उन्होंने कथा प्रसंगों के माध्यम से आर्य भट्ट, वराहमिहिर, ब्रह्मगुप्त आदि के खगोल और वास्तु से संबंधित खोजों को सरलतम भाषा में कहानी के माध्यम समझाया। कहा कि विज्ञान को जटिल समझ भययुक्त होने की आवश्यकता नहीं बल्कि विज्ञान को साहित्य के साथ जोड़कर सरल कर समझा जा सकता है। कहा कि विज्ञान हमें दशा और दिशा प्रदान करता है। एरीज नैनीताल की वैज्ञानिक नीलम पंवार ने छात्रों को दूरबीन और उनके कार्य की जानकारी दी। दूरबीन से अंतरिक्ष के नजारे देख छात्र उत्साहित नजर आए। इस दौरान छात्रों ने खगोलीय गतिविधियों की भी जानकारी ली।
सेमिनार के समापन सत्र में विजेता छात्रों को पुरुस्कृत किया गया। साइंस टाक में आयुष वर्मा, सलोनी कैंतुरा, शिवानी नेगी विजेता रहे। डिबेट में आएशा बिजल्वाण, ईशा कोठान, मोहित पटेल रहे। पोस्टर में सुनील, रितिक को पुरुस्कृत किया गया।
इस अवसर पर परिसर निदेशक प्रोफेसर एए बौडाई, प्रो आरसी रमोला, प्रो डी एस कैंतुरा, प्रो एमएमएस नेगी, सेमिनार के संयोजक डॉ केसी पेटवाल, सह संयोजक डॉ शंकरलाल आयोजक सचिव डॉ दिलीप मीणा, डॉ डॉक्टर रविंद्र धरावत, डॉ सुभदीप मिस्त्री, प्रोफेसर वीणा जोशी, प्रोफेसर एनके अग्रवाल, प्रोफेसर के एस रावत, प्रोफेसर डीएस बागड़ी, प्रोफेसर जेएस जगवान, प्रोफेसर पीडी सेमल्टी, डॉक्टर यू एस नेगी डॉ रविंद्र सिंह, डा एस के चतुर्वेदी, डा एल आर डंगवाल, प्रो ए बी थपलियाल, प्रो एस के शर्मा, प्रो सुनीता गोदियाल, डा अर्चना शाह आदि मौजूद थे।