वैशाख अमावस्या आज:अमावस्या के स्वामी हैं पितर, दान का है विशेष महत्व

आज वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि, विष्कुंभ योग, अश्विनी नक्षत्र और गुरुवार दिन है। आज वैशाख अमावस्या को स्नान-दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।


हिमशिखर धर्म डेस्क

Uttarakhand

पंडित हर्षमणि बहुगुणा

हिंदू सनातन धर्म के अनुसार हर महीने कृष्ण पक्ष के अंत में अमावस्या तिथि आती है। अमावस्या तिथि को रिक्ता तिथि माना जाता है। इस तिथि पर कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। अमावस्या तिथि पर रात्रि में चांद नहीं दिखाई देता है। अमावस्या तिथि पर सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में गोचर करते हैं,  जिसके कारण चंद्रमा कमजोर हो जाता है और मन में कहीं ना कहीं नकारात्मकता का प्रवेश हो सकता है। सूर्य और चंद्रमा के एक राशि में होने पर पितरों को प्रसन्न करने का भी  एक अद्भुत दिन होता है, जिससे हमारे कार्यों के अंदर गति आती है और हमें  नौकरी व्यापार आदि में सफलता मिलती है।

इसी कारण अमावस्या के दिन जन्म लेने वाले लोगों के हर कार्य में दिक्कत परेशानी आती है और कोई भी कार्य आसानी से नहीं हो पाता है। चंद्रमा कमजोर होने के कारण ऐसे लोग बहुत जल्दी नकारात्मकता से घिर सकते हैं। अमावस्या तिथि पर पितरों को प्रसन्न करने के लिए जरूरतमंद लोगों को दवा, वस्त्र, भोजन का दान किया जाता है और अपने पितरों की प्रसन्नता को प्राप्त किया जाता है।

वैशाख मास के दौरान लोग पवित्र नदियों में नहाते हैं और जरुरतमंद लोगों को दान करते हैं। इस दिन दान करने से पुण्य फल बढ़ते हैं।

अमावस्या आज गुरुवार को है। बृहस्पति का दिन होने से ये शुभ रहेगी। अमावस्या के स्वामी पितर होते हैं। ये शनिदेव की जन्म तिथि भी है।

वैशाख अमावस्या पर कर सकते हैं ये काम

सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान करें। ये न कर पाएं तो घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे और तिल डालकर नहाएं। उगते हुए सूरज को तांबे के लौटे से जल चढ़ाएं। दिनभर व्रत रखने और जरुरतमंद लोगों को दान देने का संकल्प लें।

पितरों की तृप्ति का संकल्प लेकर जल, अन्न का दान करें। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है व पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होने की मान्यता है। इस दिन गाय की पूजा करें। गाय को हरा चारा खिलाने से पितृ प्रसन्न होते हैं। पितरों की तृप्ति के लिए लोटे में पानी, दूध, तिल और चावल डालकर पीपल के पेड़ पर चढ़ाएं। पीपल को छूकर प्रणाम करें। पेड़ के नीचे दीपक जलाएं और 5 या 7 परिक्रमा करें।

मंदिरों या अन्य जगहों पर जरुरतमंद लोगों को खाना खिलाएं, जलदान करें और जरुरत के मुताबिक चीजें दें। मंदिर जाकर शनि देव की मूर्ति पर तेल चढ़ाएं। तेल से ही दीपक भी लगाएं।

One thought on “वैशाख अमावस्या आज:अमावस्या के स्वामी हैं पितर, दान का है विशेष महत्व

  1. अमावस्या के नकारात्मक पहलुओं से निजात दिलाने के अच्छे समाधान।

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