उत्तराखंड के समग्र विकास के लिए गाय आधार‍ित अर्थव्यवस्था के व‍िस्तार की जरूरत

हिमशिखर खबर ब्यूरो

Uttarakhand

देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि मानव में देवत्व और दानवत्व दोनों का वास होता है। हमें अपने भीतर देवत्व को बढ़ाकर जीवन पथ पर आगे बढ़ना होगा। देहरादून के सहस्त्रधारा में ‘गौ-वंश से उत्तराखंड का समग्र विकास’ विषय पर आयोजित कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए उन्होंने ये बातें कहीं।

पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि युवाओं को स्वरोजगार के क्षेत्र में आगे आना होगा। जबकि युवाओं में नौकरी के प्रति क्रेज बढ़ रहा है। मानव सभ्यता के आरंभ से ही गोवंश मनुष्य के विकास पथ का सहयात्री रहा है। आज भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मूल आधार गोवंश है। उन्होंने पंचगव्य के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकते हैं। कार्यक्रम आयोजक पूर्व केंद्रीय सचिव स्वामी कमलानंद (कमल टावरी) के मुताबिक कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में आज भी गौ-वंश का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। आज एक बार फिर लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।

स्वामी कमलानंद ने कहा कि खाद्य पदार्थों में विषैले रसायनों की मौजूदगी का कुप्रभाव कैंसर के बढ़ते मामलों के रूप में सामने आ रहा है। कीट नाशकों और रायायनिक उर्वरकों का बेहतर विकल्प गौ मूत्र और गोबर की खाद तथा जैविक खाद है। गौ-पालन पर लोगों को प्रशिक्षण देना चाहिए। इसे प्रदेश के सभी जिलों में करने की जरूरत है। कहा कि एक समय था, जब घर-घर में गाय पालन होता था, आज गौवंश के संरक्षण पर चर्चा करनी पड़ रही है। हमें नयी पीढ़ी को गौ पालन के विषय में जागरूक करना पड़ेगा।

उत्तराखंड के गांवों में गाय के जरिये रोजगार किया जा सकता है, गाय रोजगार का बहुत बड़ा साधन है। ग्रामीण जनमानस में इसके महत्व को बताना होगा। जब तक गांव सबल नहीं होंगे तब तक देश सफल नहीं होगा। गांव की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ग्रामीण अंचल से जो कच्चा माल उत्पादन हो रहा है उसका स्थानीय स्तर पर ग्रामोद्योग को लगाकर उत्पादन करके बेचना होगा।

स्वामी भास्करानंद ने कहा कि भारत में सनातन काल से ही गौ और गोवंश का विशेष महत्व रहा है। सभी देवी-देवताओं का निवास गौ में माना जाता है। गोवंश प्राचीन काल से ही भारतीय जीवनशैली का हिस्सा रहे हैं। हमारी संस्कृति में गाय को गौमाता कहा जाता है।

उत्तराखंड गो सेवा आयोग के अध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल ने कहा कि गो वंश की सुरक्षा और संरक्षण के लिए गंभीरता से कार्य किया जा रहा है। पद्म श्री प्रेमचंद शर्मा ने कहा कि आज लोग जैविक कृषि उत्पादों के उपयोग के प्रति जागरूक हो रहे हैं। खाद्य पदार्थों में विषैले रसायनों की मौजूदगी का कुप्रभाव कैंसर के बढ़ते मामलों के रूप में सामने आ रहा है। कीट नाशकों और रायायनिक उर्वरकों का बेहतर विकल्प गौ मूत्र और गोबर की खाद तथा जैविक खाद है। गौ-पालन पर लोगों को प्रशिक्षण देना चाहिए। इसे प्रदेश के सभी जिलों में करने की जरूरत है। हमें नयी पीढ़ी को गौ पालन के विषय में जागरूक करना पड़ेगा।

पद्म श्री बसंती देवी ने कहा कि युवाओं में बढ़ता नशा का प्रचलन चिंता का विषय है। ग्राम की सम्रद्धि के लिए गोवंश पालन किया जाना जरूरी है।

डा जगमोहन अग्रवाल ने कहा कि रिटायर्ड अधिकारियों को संगठित कर समाज को नई दिशा दी जा सकती है। कहा कि रिटायर्ड अधिकारियों में कई लोग उम्र के हिसाब से इधर उधर नहीं जा सकते हैं। ऐसे में उन लोगों के पास जाकर उनके अनुभवों को लिया जा सकता है। विवि में शोधार्थियों को ग्राम विकास से संबंधित प्रोजेक्ट दिए जाने चाहिए। इसके लिए पीएचडी धारक रिटायर्ड अधिकारी अपनी सेवा दे सकते हैं।

कमांडर सौरभ अग्रवाल ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को एक मंच पर लाना होगा। थर्ड आई के डा अवधेश पांडेय ने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा से ही अनेक रोगों का उपचार किया जा सकता है। लेकिन लोगों का इस प्राचीन ज्ञान के प्रति मोह भंग हो रहा है। इस मौके पर भोपाल सिंह, अरविंद दरमोड़ा, समीर रतूड़ी सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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