देहरादून: देहरादून स्थित सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत देहरादून में स्थापित नेशनल इंस्टीट्यूट फार द इम्पावरमेंट आफ पर्सन्स विद विजुअल डिस्एबिल्टीज (दिव्यांगजन) का तीन दिन का दौरा समपन्न हुआ। यहां पर दृष्टि बाधितों के लिए पुस्तक छापने व प्रकाशित करने के अलावा यह संस्थान उनके संपूर्ण विकास के लिए शिक्षा के कई क्षेत्रों में काम करता है लेकिन जब शिक्षा किसी दिव्यांग व दृष्टि बाधितों को देनी पड़े तो शिक्षको के साथ अभिवावाकों का भी परिश्रम व जिम्मेदारी बढ़ जाती है। नेशनल इंस्टीट्यूट फार द इम्पावरमेंट आफ पर्सन्स विद विजुअल डिस्एबिल्टीज (दिव्यांगजन) संस्थान के क्रॉस डिसेबिलिटी शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र में छोटे- छोटे बच्चें 4 से 12 साल के छात्र अपने अभिभावकों के साथ आते है। यहां के शिक्षक प्रतिदिन इन छात्रों को इनके परिजनो के समक्ष शिक्षा देते है। छोटे दिव्यांग और दृष्टीहीन छात्रो को पढाना किसी चुनौती से कम नहीं होता है। दृष्टि बाधित बालक वह होते हैं जो कि अपनी आंखों से ठीक प्रकार से नहीं देख पाते हैं।
आज के इस आधुनिक युग को देखते हुए यह राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान भी कई आधुनिक व नये पाठ्रक्रमों को छात्रों के लिए ला रहा है। इन्ही में से एक पाठ्रक्रम है आर्टिफिशियल इंटिलिजेंस (ए आई), इस साल से यहां दिव्यांगजनों के लिए ए आई पाठ्यक्रम को शुरू करने की तैयारी पूरी हो चुकी है। अब यहां के छात्र आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर आई टी क्षेत्र में भी अच्छा प्रर्दशन करेंगे। इन छात्रों के विकास के लिए यहां पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीनों, विशेष रूप से कंप्यूटर सिस्टम, ए आई के विशिष्ट अनुप्रयोगों में विशेषज्ञ प्रणाली एवं कंप्यूटिंग डिवाइस, वाक्य पहचान सहित कई उपकरणों की व्यवस्था दृष्टि बाधितों के लिए कर ली गई है।
इस संस्थान में लंबे समय से दृष्टि बाधित बच्चों के शिक्षा व प्रशिक्षण का काम हो रहा है। समाज की मुख्य धारा में यहां से निकलने वाले बच्चे न केवल पूरी तरह स्थापित हो रहे हैं अपितु वे सीबीएसई बोर्ड से लेकर यूपीएससी जैसी सिविल सेवा में भी शानदार स्थान हासिल कर रहे हैं। इस संस्थान में दृष्टि बाधित बच्चों व वयस्कों के अलावा अन्य दिव्यांगजनों के प्रशिक्षण के लिए नित नए शोध किए जाने के साथ ही ऐसे मानव संसाधन भी तैयार की जा रही है जो देश के दूसरे हिस्सों में अपने ज्ञान से दूसरों की मदद कर सकें।
संस्थान के सहायक प्रोफेसर चिकित्सा मनोविज्ञान डाo सुरेन्द्र ढालवाल ने बताया कि इसकी शुरुआत देश को आजादी मिलने से पहले अंग्रेजों ने उन सैनिकों की मदद के लिए की थी जो युद्ध में अपनी आंखे गंवा देते थे। आजादी के बाद भारत सरकार ने इसे एक राष्ट्रीय संस्थान के रूप में विकसित किया तथा हर तरह के दिव्यांगजनों खासकर दृष्टि बाधित बच्चों के लिए यहां पर अनुसंधान व प्रशिक्षण का कार्य शुरु कराया। वर्तमान में इस संस्थान में शोध व प्रशिक्षण के साथ – साथ सीबीएसई बोर्ड से संबंधित एक इंटरमीडिएट स्तर तक कालेज भी स्थापित है जहां देश भर से आने वाले दृष्टि बाधित बच्चों को प्राइमरी से लेकर इंटरमीडिएट तक की शिक्षा प्रदान की जाती है। कालेज के वाइस प्रिंसिपल अमित कुमार शर्मा ने बताया कि इस समय उनके यहां विभिन्न कक्षाओं में कुल 254 बच्चों का रजिस्ट्रेशन है। इन बच्चों को बहुत ही कम उम्र में आनलाइन आवेदन के माध्यम से चयनित कर लिया जाता है। सभी बच्चे कालेज परिसर में स्थित छात्रावास में ही रहकर पढ़ाई करते हैं। कोविड के समय इन बच्चों को पहली बार आनलाइन शिक्षा शुरु की गई तथा उक्त वर्ष 2021 में सीबीएसई बोर्ड में इस कालेज के बच्चों का रिकार्ड रिजल्ट भी मिला। बेहतर शिक्षा परिणाम के चलते सीबीएसई बोर्ड ने संस्थान के इस कालेज को ए प्लस कैटेगरी का सर्टीफिकेट भी प्रदान कर रखा है। कालेज के वाइस प्रिंसिपल श्री शर्मा ने बताया कि जल्द ही उनके यहां सीबीएससी बोर्ड द्वारा लागू आर्टीफिसियल इंटेलीजेंस की भी पढ़ाई शुरु हो जाएगी। वर्तमान में यहां सामान्य विषयों के अलावा इंफार्मेशन टेक्नालाजी जैसे विषय भी दृष्टि बाधित बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। कम्प्यूटर शिक्षा में यहां के बच्चों की दक्षता देखकर लगता ही नहीं है कि वे दृष्टि बाधित हैं।
नेशनल इंस्टीट्यूट फार द इम्पावरमेंट आफ पर्सन्स विद दि विजुअल डिस्एबिल्टीज (दिव्यांगजन) में सामान्य शिक्षा के अलावा स्किल डेवलपमेंट एंड इकोनामिक इम्पावरमेंट, सेंट्रल ब्रेल प्रेस भी है। आम चुनाव में दृष्टि बाधितों के लिए तैयार किए जाने वाले विशेष बैलेट भी इसी संस्थान से तैयार कराए जाते हैं। इस संस्थान में बीएड और डीएड जैसे कोर्स का भी प्रशिक्षण दिया जाता है जिससे दिव्यांगजनों को प्रशिक्षित करने के लिए जरुरी मानव संसाधन तैयार किया जा सके। यहां से पास आउट तमाम लोग देश के विभिन्न हिस्सों में दृष्टि बाधित बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं। यहां दृष्टि बाधितों के लिए जरुरी उपकरण बनाने के साथ ही उस पर शोध भी किया जा रहा है। संस्थान ने दृष्टिहीन बच्चों के लिए एक खास चेस बोर्ड भी तैयार किया है।
इस संस्थान में देश के विभिन्न राज्यों के अलावा कई दूसरे देशों से भी बच्चे पढ़ने आते है। आज यह संस्थान विश्व स्तर पर मिसाल कायम कर रहा है।