नई दिल्लीः रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मौद्रिक नीति समिति ने उम्मीदों के मुताबिक लगातार दूसरी द्विमासिक बैठक में नीतिगत दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने एमपीसी की तीन दिन तक चली बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर बनाए रखने का निर्णय किया गया है। दलाल स्ट्रीट और अर्थशास्त्री पहले से ही इस बात की उम्मीद कर रहे थे।
वित्त वर्ष 2023-24 में 6.5% जीडीपी ग्रोथ का अनुमान
शक्तिकांत दास ने बताया कि आरबीआई का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष (2023-24) में जीडीपी वृद्धि दर (GDP Growth Rate) 6.5 फीसदी पर रह सकती है। आरबीआई का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक विकास दर 8 फीसदी पर रह सकती है। वहीं, दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 6.5 फीसदी पर रह सकती है। इसी तरह तीसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट छह फीसदी पर रह सकती है। इसी तरह चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5.7 फीसदी पर रह सकती है।
अप्रैल में भी नीतिगत दरों में नहीं किया गया था कोई बदलाव
इससे पहले अप्रैल 2023 में आयोजित एमपीसी की बैठक में रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर बनाए रखने का फैसला किया गया था। आरबीआई के इस फैसले ने दलाल स्ट्रीट और अर्थशास्त्रियों को सरप्राइज कर दिया था। केंद्रीय बैंक ने मई 2022-फरवरी 2023 के बीच रेपो रेट में कुल 2.50 फीसदी का इजाफा किया था।
EMI देने वालों को एक बार फिर मिली राहत
रेपो रेट में किसी तरह का इजाफा नहीं किए जाने या फिर नरमी की स्थिति में बैंक ब्याज दरों को स्थिर रखते हैं या फिर उसमें कमी लाते हैं। इससे कर्ज लेने वालों को राहत मिलती है क्योंकि उनकी EMI या तो पहले जैसे ही बनी रहती है या फिर उसमें कमी आती है। आरबीआई द्वारा रेपो रेट में 2.50 फीसदी की वृद्धि किए जाने के बाद बैंकों ने भी ब्याज दरों में काफी अधिक इजाफा किया था। इससे लोगों की परेशानी बढ़ गई थी।