जानिए क्या है सेव माउंटेन सेव हिमालय अभियान ?

हिमशिखर खबर ब्यूरो

Uttarakhand

पूरे विश्व के महासागरों में ऐसी कोई जगह शेष नहीं है जहाँ प्लास्टिक के कण ना हो। अगर भारत की बात की जाए तो किये गए शोध के अनुसार यह देखा गया है की माँ के दूध में भी प्लास्टिक के कण मौजूद है। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के छात्र आयुष वर्मा बताते हैं की प्लास्टिक के कण जिनका आकर ५ mm से काम का होता है उन्हें मइक्रोप्लास्टिक कहते हैं और यह भोजन के माध्यम से आसानी से शरीर में प्रवेश कर जाता है। प्लास्टिक जब अधिक समय तक भूमि या जल में रहते है तो सूर्य की किरणों में यह मइक्रोप्लाटिक बनाते है जो की पहले जल में रह रहे जीव जैसे मछलिया, भूमि में पेड़ पौधों तक पहुँचता हैं, जब मानव उनका ग्रहण करते है तो वह शरीर में पहुंच जाता हैं। मइक्रोप्लास्टिक अनेक गंभीर बिमारियों को जन्म देता हैं जिनमे ह्रदय से सम्बंधित समस्याए प्रमुख हैं। पहाड़ को मइक्रोप्लास्टिक से बचने के लिए ही इन्होने एक अभियान की शुरुआत की जिसका नाम हैं “सेव माउंटेन सेव हिमालय”। इन्होने टिहरी जिले में लगभग २०० से भी अधिक जागरूकता अभियान निकलकर लोगों को इसके प्रति जागरूक करने का कार्य किया हैं।

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