विनोद चमोली
वृन्दावन: ग्राम स्वराज की अवधारणा को साकार करने के लिए वृन्दावन में देश भर से विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोग एकत्रित हुए। इस दौरान उन्होंने अपना एक्शन प्लान प्रस्तुत कर गोमाता के संरक्षण और संवद्धर्न के लिए हुंकार भरी।
गुरुवार को आश्रम में आयोजित कार्यशाला का शुभारंभ स्वामी बलराम बाबा ने गो स्तवन और शांति पाठ के साथ किया। उन्होंने कहा कि गौसेवा के लिए भीख मांगना बंद हो, इसके लिए गौशालाओं को स्वावलंबी बनाया जाना आवश्यक है। नसीहत देते हुए कहा कि जीवन में सेवा के बदले स्वार्थ नहीं रखना चाहिए। उन्होंने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए डा कमल टावरी की भूरी भूरी सराहना की।
भारत सरकार में सचिव रहे पूर्व आईएएस और पंचगव्य विद्यापीठम् कांचीपुरम, चेन्नई के कुलपति भाई कमलानंद (डॉ. कमल टावरी) ने गांवों में विकास के लिए बिना सरकार की मदद (असरकारी) और असरकारी, स्वाभिमानी, स्वावलंबी, स्वतंत्र अभियान की जरुरत पर बल दिया। कहा कि समग्र विकास, ग्राम स्वराज और पर्यावरण की चुनौतियों से निपटने के लिए प्रकृति से जुड़ना होगा। उन्होंने कहा कि गांवों के विकास की बात करो। जड़ से जुड़ो। प्रकृति से जुड़ने और पर्यावरणपूरक धंधे तलाशने पर बल दिया। उन्होंने दिए गए विभिन्न प्रेजेंटशन की सराहना करते हुए कहा कि लोग अलग-अलग कार्य कर रहे हैं। उन सभी को एक नेटवर्क में पिरोने की जरूरत है। अपने देवत्व को जगाओ। अपने को अंदर से सशक्त बनाने पर बल दिया। इतिहास और महत्व को बताने की जगह धरातल पर उतरकर कार्य करना होगा।
स्वामी रामदास जी महाराज ने ब्रज क्षेत्र में गो संरक्षण के लिए किए जाने वाले क्रांतिकारी योजना की जानकारी देते हुए बताया कि 16 गौशालाओं से गोबर लिया जा रहा है। इसके बदले में गोमाताओं को चारा प्रदान किया जा रहा है। इस योजना के लिए 100 एकड़ जमीन किसानों से लीज पर लेकर सुपर नेफियर घास उपलब्ध कराई जा रही है। उसके बाद बायो गैस, बायोपेंट, जैविक खाद, ब्रिक्स, अन्य 35 उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। प्लांट में 2 टन सीवीजी प्रतिदिन उत्पन्न की जाएगी। प्रतिदिन 30 टन सोलिड फर्टिलाईजर निकलेगा। इससे 1000 गायों को जैविक खेती कराएंगे। इसका किसानों से एग्रीमेंट किया गया है उसके बदले कृषि से वेस्ट पराली और वेजिटेबल वेस्ट से लेकर उसको बायो सीवीजी गैस बनाएंगे। कहा कि गोबर से बायो सीवीजी, बायो पैंट, ब्रिक्स आदि उत्पाद तैयार किए जाएं।
यूएनएसीसी के ग्लोबल चेयरमैन रजत शर्मा ने प्रेजेंटशन के माध्यम से एक्शन प्लान बताया। सुरेद्र सिंह रावत ने कहा कि आज के समय में क्वालिटी उत्पाद की काफी जरूरत है। ऐसे में इन उत्पादों को अधिक से अधिक बनाने की जरूरत है। अनुसूया प्रसाद उनियाल ने कहा कि गाय को पर्यटन, होम स्टे और जैविक उत्पाद से जोड़े जाने की जरूरत है, जिससे गाय को पालकर गोपालक और किसान स्वावलंबी बन सके। गाय के पंचगव्य मानव शरीर के सभी विकारों को दूर करने में सहायक है। पंचगव्य हमारे प्रतिरोधक क्षमता बढाने वाला है। हिमालय क्षेत्र की बद्री गाय के गव्य सर्वोत्तम गुणों वाले हैं।
पारद सिंह राजपुरोहित ने कहा कि पश्चिमी राजस्थान विश्व की सबसे कठिन भौगोलिक परिस्थिति का क्षेत्र है। यहां 100 बीघे में 4 क्विंटल बाजरा होता है। बरसात नाम मात्र की होती है। ऐसे भौगोलिक परिस्थिति के विपरीत स्थान पर इंसान के जीवन का कारण सिर्फ थारपारकर गौमाता है। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में आज तक किसी भी किसान ने वहां आर्थिक कारण से आत्म हत्या नहीं की है। उसका श्रेय भी गोमाता को जाता है। अभी आने वाले समय में बड़े स्तर पर पंचगव्य एवं डेयरी इंडस्ट्रीयल पार्क बनें। दूध, गोबर, गोमूत्र के उत्पाद अधिक से अधिक बने एवं अच्छे मूल्यों पर बाजार में बैचा जाए। इसके अलावा मुख्य विषय यह है कि अच्छे नंदी तैयार कर इन्हें गांव तक पहुंचाया जाए। ताकि गांव में भी आने वाले समय में अच्छी नस्ल तैयार हो सके। जिस तरह से इंसानों का फूड सिक्योरिटी बिल तैयार किया गया है। उसी तरह गायों का भी फूड सिक्योरिटी बिल तैयार किया जाए। ताकि चारे का मूल्य न अधिक न बढ़े। पंजाब और हरियाणा में जब पराली जलाई जाती है। उसी समय में राजस्थान में गाय चारे के लिए भूख से तड़पती है।
बृजराज सिंह ने कहा कि स्मार्ट विलेज इंडस्ट्रीयल पार्क बनाने का कार्य किया जा रहा है। गुजरात और बृजभूमि के वडोली गांव में बनाया जा रहा है। इस पार्क म्ठे 3 से 4 तरह के व्यापार किए जाएंगे। इसमें बायो गैसे से बायो सीएनजी आर्गेनिक फर्टिलाइजर, किसानों को मेंबर बनाकर क्रेडिट पर जैविक खाद फ्री में किसानों दी जाएंगी। इसके बदले में किसानों सेजैविक खेतीकरवाई जाएगी। जैविक उत्पादों को किसानों से अच्छे रेट में खरीदकर ब्रांडिंग करके अच्छे दामों पर बाजार में बेचा जाएगा।
ग्लोबल कांफ्रैडरेशन आफ काउ बेस्ट इंडस्ट्रीज से पुरीश कुमार ने बताया कि 200 गायों के साथ 4 करोड़ रुपए की सालाना आय की जा सकती है। इसके लिए गौ उद्यमिता के कुछ विकल्पों को अपनाना पड़ेगा। इनमें प्रमुख रूप से गो आधारित कृषि, पंचगव्य आधारित स्वास्थ्य उत्पाद, बायो गैस एवं सीएनजी, गोमय पेंट एवं गोबर से बनी ईंट एवं अन्य भवन निर्माण सामग्री, गो आधारित साबुन, शैंपू, फिनाइल, अर्क, जैसे 400 से अधिक उत्पाद अब गोमय और गोमूत्र से बनाए जा रहे है। जीसीसीआई ने इसके लिए सरकार की सभी योजनाएं, मशीनरी और सांचे बनाने वाले, प्रशिक्षक, उत्पाद बनाने वाले मार्केटिंग और विपणन करने वाले लोगों का डेटाबेस बनाया हुआ है जो आमजन को सुलभ है। इससे गोउद्यमिता से जुड़ी किसी भी तरह की जानकारी इस मंच से गोउद्यमियों के लिए उपलब्ध है। बताया कि रमेश भाई रुपारेलिया गुजरात के केवल गाय का घी बेचकर रोजाना 500 डालर प्रतिदिन कमा रहे हैं। जीसीसीआई द्वारा आयोजित गोटेक में 200 से ज्यादा स्टाल के माध्यम से समस्त गोमय उत्पादों के प्रदर्शनी लगाई गई। जहाँ सत्य प्रकाश वर्मा जी ने गोबर को लिग्निन एवं सेल्यूलोज में तोड़कर नैनो टेक्नॉलोजी के माध्यम से किलो गोबर से 80000 रुपए की कमाई कैसे की जाती है, इसका प्रदर्शन किया। बता दें कि लिग्निन का उपयोग बहुत सी चीजों को फर्नीचर को चिपकाने और गोमय पैंट में उपयोग किया जाता है और नैनो सेल्यूलोज का उपयोग आटो मोबाइल स्वास्थ्य सैनिकों की पोशाकों में एवं अन्य कई उपयोगी कार्यों में होता है।
अरिहंत जैन ने कहा कि गोमाता को दान और अनुदान का पात्र न बनाकर गोमाता सम्मान दिलवाकर उनकी कृपाकांक्षी बनना होगा। गौमाता को आर्थिक स्वावलंब दिलाने के लिए उनके पंचगव्य का कैसे सदुपयोग हो सकता है, और कैसे पंचगव्य का उपयोग करके असाध्य कहे जाने वाली बीमारियों का ईलाज कर सकते हैं कैसे गोमाता के गव्यों का प्रयोग करके हम शुद्ध भोजन, रसायन मुक्त खाद्य पदार्थों को प्राप्त कर सकते हैं और केमिकल युक्त मिलावटी भोजन से बच सकते हैं।