प्रो बौडाई की प्रेरक पहल: रद्दी को रीसाइकल कर बना रहे लिफाफे और फाइलें, स्वामी रामतीर्थ परिसर टिहरी के इनोवेशन से हजारों की बचत

विनोद चमोली

Uttarakhand

चंबा: आम के आम गुठलियों के दाम की कहावत को स्वामी रामतीर्थ परिसर ने चरितार्थ कर दिखाया है। परिसर निदेशक प्रो एए बौडाई ने रद्दी कागज को रिसाइकिल करवाकर ईको फ्रेंडली फाइल लिफाफे और कैरी बैग व अन्य सामग्री बनवा रहे हैं। इससे पेड़ कटने से बचाने के अलावा परिसर को भी हजारों रुपयों की बचत हो रही है। एकेडमिक ऑडिट की कमेटी ने पर्यावरण संरक्षण के लिए इस माडल को विवि व अन्य कैंपस को अपनाने की सलाह दी।

विश्वविद्यालय और कालेजों में रोजाना बड़ी मात्रा में कागज की खपत होती है और लेखन तथा मुद्रण के लिए उपयोग किए जाने के बाद इसे आमतौर पर बेकार सामग्री के रूप में फेंक दिया जाता है। रीसाइक्लिंग न की जाए तो यह कागज कचरे के बड़े डेरों में बदलकर ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन और प्रदूषा जैसी समस्याओं में योगदान देता है। कागज की रीसाइक्लिंग रद्दी कागज को नए कागज में बदलकर कई समस्याओं को दूर कर सकती है। पेड़ों को कटने से बचाने के अलावा भी ऐसा करने के महत्वपूर्ण लाभ है। कुछ इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर प्रकृति को हरा भरा बनाए रखने के लिए स्वामी रामतीर्थ परिसर निदेशक प्रो एए बौडाई ने पिछले साल प्रयोग हो चुके कागज को फिर से काम का कागज बनाने की ठानी। इसके लिए उन्होंने हस्त निर्मित कागज उद्योग सहकारी समिति लिमिटेड देहरादून से संपर्क साधा। फिर क्या था कागज उद्योग समिति के लोगों ने परिसर में आकर रद्दी कागज को लेना शुरू कर दिया। बदले में समिति परिसर को ईको फ्रेंडली फाईल लिफाफे व अन्य सामग्री बना कर दे रही है।

परिसर निदेशक प्रो एए बौड़ाई ने सभी विभागों को फाईलें और लिफाफे दिए। बताते चलें कि पिछले दिनों परिसर में पहुंची एकेडमिक ऑडिट की कमेटी ने परिसर की इस मुहिम की जमकर सराहना की थी। साथ ही विवि और अन्य परिसरों में भी इसको लागू किए जाने की सलाह दी थी।

इनका क्या है कहना

परिसर में बड़ी मात्रा में रद्दी जमा हो रही थी। ऐसे में पर्यावरण संरक्षण के साथ ही अतिरिक्त आय के लिए रद्दी से ईको फ्रेंडली फाइलें, लिफाफे बनवाए जा रहे हैं- प्रो एए बौड़ाई, निदेशक

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