हिमशिखर खबर ब्यूरो
नई दिल्ली: भारत के चंद्रयान-3 ने इतिहास रच दिया है। लैंडर मॉड्यूल ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की। इसी के साथ भारत पहला देश बन गया जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्पेसक्राफ्ट उतारा। लैंडिंंग सफल होते ही बेंगलुरु स्थित ISRO के मिशंस ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स में बैठे वैज्ञानिकों समेत पूरा देश खुशी से झूम उठा। लैंडिंग के बाद लैंडर विक्रम के पेट से रोवर प्रज्ञान बाहर निकलेगा। दोनों मिलकर चांद के साउथ पोल का हाल बताएंगे। चंद्रयान-3 मिशन (Chandrayaan-3 Mission) भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए बेहद अहम है। पृथ्वी के इकलौते प्राकृतिक उपग्रह, चंद्रमा के बारे में हमें इस मिशन से बेशकीमती जानकारी मिल रही है
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”मेरे प्यारे परिवारजनो! जब हम अपनी आंखों के सामने ऐसा इतिहास बनते हुए देखते हैं तो गर्व होता है। ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं राष्ट्र जीवन की चेतना बन जाती हैं। यह पल अविस्मरणीय है। यह क्षण अभूतपूर्व है। यह क्षण विकसित भारत के शंखनाद का है। यह क्षण नए भारत के जयघोष का है। यह क्षण मुश्किलों के महासागर को पार करने का है। यह क्षण जीत के चंद्रपथ पर चलने का है। यह क्षण 140 करोड़ धड़कनों के सामर्थ्य का है। यह क्षण भारत की नई ऊर्जा, नई चेतना का है। यह क्षण भारत के उदीयमान भाग्य के आह्वान का है। अमृतकाल की प्रथम प्रभा में सफलता की अमृत वर्षा हुई है। हमने धरती पर संकल्प लिया और चांद पर उसे साकार किया।”
उन्होंने कहा, ”आज हम अंतरिक्ष में नए भारत की नई उड़ान के साक्षी बने हैं। हर घर में उत्सव शुरू हो गया है। हृदय से मैं भी अपने देशवासियों के साथ अपने परिवारजनों के साथ इस उमंग और उल्लास से जुड़ा हुआ हूं। मैं टीम चंद्रयान को, इसरो को और देश के सभी वैज्ञानिकों को जी-जान से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। जिन्होंने इस क्षण के लिए वर्षों से इतना परिश्रम किया। हमारे वैज्ञानिकों के परिश्रम से भारत उस दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा है, जहां आज तक दुनिया का कोई भी देश नहीं पहुंच सका है। आज के बाद से चांद से जुड़े मिथक बदल जाएंगे, कथानक भी बदल जाएंगे और नई पीढ़ी के लिए कहावतें भी बदल जाएंगी। भारत में तो हम सभी लोग धरती को मां कहते हैं और चांद को मामा बुलाते हैं। कभी कहा जाता था कि चंदा मामा बहुत दूर के हैं, अब एक दिन वो भी आएगा, जब बच्चे कहा करेंगे कि चंदा मामा बस एक टूर के हैं।”