वैदिक ज्योतिष में सभी नवग्रहों का विशेष महत्व होता है। ग्रहों का मनुष्य के जीवन में व्यापक प्रभाव पड़ता है। सूर्य जहां व्यक्ति को मान-सम्मान और प्रसिद्धि दिलाते हैं तो वहीं शुक्र ग्रह जातकों को उनके जीवन में सुख-सुविधाओं समेत कई तरह के लाभ प्रदान करते हैं। शुक्र ग्रह को वैदिक ज्योतिष शास्त्र में बहुत ही शुभ ग्रह माना जाता है। जिन जातकों की कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत होते हैं उन्हें जीवन में भौतिक सुख,सुंदरता, वैभव और ऐशोआराम मिलता है।
हिमशिखर धर्म डेस्क
ज्योतिष मान्यताओं में शुक्र देवता को दैत्य गुरु की उपाधि प्राप्त है। शुक्र देव कला, सौंदर्य, प्रेम सुख या जिन तत्वों से साधारण जन को ज़िंदगी ज़िंदगी सी प्रतीत होती है, के कारक कहे गए हैं। जीवन में ग्लैमर के कारक हैं शुक्र देवता जैसे: गाड़ियों में जैगवार है शुक्र, घड़ियों में रोलेक्स, जूतों में एडिडास है शुक्र। लग्न कुंडली के चौथे भाव में शुक्र को दिशा बल प्राप्त है। कन्या राशि शुक्र की नीच और मीन उच्च राशि है। मकर लग्न की कुंडली में शुक्र पंचमेश, दशमेश होकर एक कारक गृह होते हैं।
शुक्र ग्रह
शुक्र ग्रह को सुख के कारक ग्रह माने जाते हैं। कुंडली में शुक्र की स्थिति का आकलन कर के ही ज्योतिष ज्योतिष जातक के सुख व संपन्न तथा प्रेम की गणना करते हैं। शुक्र ग्रह सौर मंडल में सूर्य के बाद दूसरा ग्रह है और यह चंद्रमा के बाद रात में चमकने वाला दूसरा ग्रह है। शुक्र (Venus) आकार व द्रव्यमान में पृथ्वी के समान ही है और इसे अक्सर पृथ्वी की बहन या जुड़वा के तौर पर वर्णित किया जाता है।
वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह का महत्व
वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को एक शुभ ग्रह माना गया है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को भौतिक, शारीरिक और वैवाहिक सुखों की प्राप्ति होती है। इसलिए ज्योतिष में शुक्र ग्रह को भौतिक सुख, वैवाहिक सुख, भोग-विलास, शौहरत, कला, प्रतिभा, सौन्दर्य, रोमांस, काम-वासना और फैशन डिजाइनिंग आदि का कारक माना जाता है। शुक्र वृषभ और तुला राशि का स्वामी होता है और मीन इसकी उच्च राशि है, जबकि कन्या इसकी नीच राशि कहलाती है। शुक्र को 27 नक्षत्रों में से भरणी, पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। ग्रहों में बुध और शनि ग्रह शुक्र के मित्र ग्रह हैं और तथा सूर्य और चंद्रमा इसके शत्रु ग्रह माने जाते हैं। शुक्र का गोचर 23 दिन की अवधि का होता है अर्थात शुक्र (Venus) एक राशि में क़रीब 23 दिन तक रहता है।
ज्योतिष के अनुसार शुक्र ग्रह का मनुष्य जीवन पर प्रभाव
सबसे पहले बात करते हैं कि शुक्र का मानव शरीर की संरचना पर क्या प्रभाव पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार शुक्र ग्रह जिस जातक की कुंडली में लग्न भाव में विराजमान होता है वह जातक रूप-रंग से बेहद सुंदर व आकर्षक होता है। जातक का व्यक्तित्व विपरीत लिंग के जातकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। जातक स्वभाव से वह मृदुभाषी होता है। लग्न में शुक्र (Venus) का होना जातक का कला के क्षेत्र में रूचि पैदा करता है।
ज्योतिष के मुताबिक शुक्र यदि कुंडली में प्रभावी व मजबूत स्थिति में हैं तो जातक का प्रेम व वैवाहिक जीवन को सुखमयी रहता है। यदि आपकी कुंडली में शुक्र मजबूत हैं तो आप अनुभव किए होंगे कि आपका प्रेम पक्ष काफी अच्छा है। यदि आप विवाहित हैं तो आप अपने वैवाहिक जीवन को देख ही रहे होंगे। शुक्र पति-पत्नी के बीच प्रेम की भावना को बढ़ाता है। जातक भौतिक जीवन में रूचि रखता है।
यदि जातक की कुंडली में शुक्र (Venus) कमजोर स्थिति में या किसी क्रूर ग्रह के साथ प्रतिकूल स्थिति में बैठा हो तो ऐसे में जातकों को परिवार व प्रेम के मोर्चे पर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही आपका प्रेम जीवन उतार-चढ़ाव से गुजरता है हो वहीं पती-पत्नि के बीच मतभेद होते रहते हैं। अकारण ही विवाद होता है। इसके साथ ही वह भौतिक सुख को भोग नहीं पाता है।
मकर लग्न – प्रथम भाव में शुक्र
यदि लग्न में शुक्र हो तो जातक बुद्धिमान, आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी होता है। शुक्र की महादशा में साझेदारी के काम से लाभ का योग बनता है। वैवाहिक जीवन सुखी रहता है । दैनिक आय में कमी का योग बनता है। अचानक लाभ की स्थिति बनती है। प्रोफेशनल लाइफ उत्तम होती है।
मकर लग्न – द्वितीय भाव में शुक्र
ऐसे जातक को धन, परिवार कुटुंब का साथ मिलता है । वाणी बहुत मधुर होती है, धन का आगमन होता रहता है। बीस साल की शुक्र की महादशा में रुकावटें थोड़े एफर्ट से ही दूर हो जाती हैं। विदेश सेटेलमेंट का योग बनता है।
मकर लग्न – तृतीय भाव में शुक्र
जातक बहुत परश्रमी होता है। बहुत परिश्रम के बाद ही जातक को लाभ मिलता है। छोटे बहन का योग बनता है। जातक धर्म को मानता है, पिता से सम्बन्ध अच्छे नहीं रहते हैं। विदेश यात्रा का योग बनता है।
मकर लग्न – चतुर्थ भाव में शुक्र
शुक्र की महदशा में चतुर्थ भाव में शुक्र होने से जातक को भूमि , मकान, वाहन व् माता का पूर्ण सुख प्राप्त होता है। विदेश सेटलमेंट की सम्भावना बनती है। जातक माता का बहुत सम्मान करता है। दिशा बलि शुक्र की २० साल की महादशा में प्रोफेशनल लाइफ बहुत अच्छी रहती है ।
मकर लग्न – पंचम भाव में शुक्र
बड़े भाइयों बहनो से संबंध बहुत अच्छे रहते हैं, पेट सम्बन्धी प्रोब्लेम्स दूर रहती हैं। स्वास्थ्य उत्तम रहता है। पुत्री प्राप्ति का योग बनता है। अचानक लाभ की स्थति बनती है। धन का आवागमन लगा रहता है।
मकर लग्न – षष्टम भाव में शुक्र
सभी नकारात्मक तत्वों में बढ़ौतरी होती है। कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है। दुर्घटना का भय बना रहता है। प्रतियोगिता में बहुत मेहनत के बाद विजयश्री हाथ आती है। शुक्र की महदशा में कोई न कोई टेंशन बनी रहती है, फ़िज़ूल का व्यय होता है। संतान को कष्ट हो सकता है। विदेश यात्रा, जेल यात्रा या विदेश में जेल यात्रा का योग बनता है।
मकर लग्न – सप्तम भाव में शुक्र
जातक/जातीका आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक होता है। व्यवसाय व् साझेदारों से लाभ प्राप्ति का योग बनता है। दैनिक आय में दिन बदिन वृद्धि होती है। मन शांत रहता है, प्रोफेशनल लाइफ उन्नत होती है ।
मकर लग्न – अष्टम भाव में शुक्र
यहां शुक्र के अष्टम भाव में स्थित होने की वजह से जातक के हर काम में रुकावट आती है । शुक्र की महादशा /अंतर्दशा में टेंशन बनी रहती है । विदेश सेटेलमेंट मेंभी प्रॉब्लम आती है। जातक की संतान को स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या हो सकती है । प्रोफेशनल लाइफ में परेशानियां आती हैं । याददाश्त कमजोर हो जाती है ।
मकर लग्न – नवम भाव में शुक्र
जातक आस्तिक व् पितृ भक्त नहीं होता है । पिता को स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई ना कोई समस्या लगी ही रहती है । विदेश यात्रा करता है। शुक्र की महादशा में संतान, पिता को/से परेशानी रहती है । छोटे भाई बहन से नहीं बनती है। छोटी यात्राएं व् भाग दौड़ लगी रहती है । उच्च शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाता है। धन की कमी होतीहै । जातक का मन अशांत रहता है । प्रोफेशनल लाइफ में परेशानियां आती हैं । याददाश्त कमजोर हो जाती है । विदेश यात्रा से लाभ नहीं मिलता है ।
मकर लग्न – दशम भाव में शुक्र
जातक को भूमि , मकान , वाहन व् माता का पूर्ण सुख मिलता है। प्रोफेशनल लाइफ बहुत अच्छी होती है। आय में इजाफा होता है। विदेश सेटेलमेंट हो सकती है। प्रोफेशनल लाइफ में बहुत उन्नति होती हैं । माता से सम्बन्ध बहुत मधुर होते हैं , खुद का और संतान का स्वास्थ्य भी अच्छा रहने का योग बनता है ।
मकर लग्न – एकादश भाव में शुक्र
बड़े भाई बहनो से संबंध मधुर रहते है , लाभ मिलता है । छोटी मोटी बीमारी लगने की संभावना रहती है। पुत्री प्राप्ति का योग बनता है। पेट में प्रॉब्लम नहीं आती है । धन का आवागमन होता रहता है।
मकर लग्न – द्वादश भाव में शुक्र
यहां शुक्र पाप प्रभाव में आने पर कोर्ट केस, हॉस्पिटल में खर्चा होता है। दुर्घटना का भय बना रहता है। शुक्र की महदशा में व्यर्थ का खर्चबना रहता है। विदेश सेटेलमेंट का योग बनता है। संतान व् बड़े भाई को परेशानी मिलती है। पेट सम्बन्धित समस्याओं से सावधान रहना चाहिए। जातक यदि विदेश में जॉब करे तो अधिक अच्छे परिणाम पाता है ।