स्वामी कमलानंद
अमेरिका की यात्रा से आने के बाद रालेगांव सिद्धि जाकर अन्ना हजारे से मुलाकात की। इस दौरान उनको अपनी ‘विश्वगुरु की रणनीति’ किताब भेंट की। इसके बाद लखनऊ में चार-पांच दिन शाहजहांपुर में रमेश भाई सहित कई लोगों से मुलाकात की। कुछ प्रश्न मेरे दिमाग में चल रहे हैं। देश में हालात निराशावादी दिख रहे है। बहुत कम लोग अपवाद मिल रहे हैं, जो आशा की किरण दिखाए। ऐसे समय में हमारे पास विकल्प क्या है? किस दिशा जाएं, क्या करें, किसके साथ जाएं?
तो मैंने विश्वगुरु की रणनीति पुस्तक प्रकाशित है, उस पुस्तक पर कुछ ऐसे ही प्रश्नों पर विश्लेषण दिया है। मैं सबसे अनुरोध करूंगा कि कृपया इस पर चर्चा करें और जो विकल्प बताए गए हैं, रास्ते बताए गए हैं, वो वाकई में भारत में छिपी हुई शक्तियों को जगाने का काम करेंगी।
अभी मैं ट्रेन से दिल्ली जा रहा हूं। गाजियाबाद के पास पहुंचने पर देख रहा हूँ कि जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे हुए है। निश्चित है कि वार्ड को सशक्त बनाना होगा। हर वार्ड में न जीते हुए बल्कि हारे हुए को भी जोड़ना पड़ेगा। आबादी, भ्रष्टाचार, निराशा का मामला बहुत गंभीर है। ऐसी दशा में कैसे एक शुभ लाभी स्वार्थी बनकर वार्ड को लेकर सशक्त किया जाए। इस पर चर्चा करें।
जड़ से जुड़ना ही पड़ेगा, पारदर्शिता के साथ। शुभकामनाएं।