हिमशिखर धर्म डेस्क
पंडित उदय शंकर भट्ट
हर रोज की तरह हम आज भी लाए हैं आपके लिए पंचांग, जिसको देखकर आप बड़ी ही आसानी से पूरे दिन की प्लानिंग कर सकते हैं। आज का दिन आपके लिए सुखद रहने वाला है।सनातन धर्म में सप्ताह के सातों दिन किसी न किसी देवी या देवता को समर्पित हैं। शास्त्रों के अनुसार, गुरुवार का दिन भगवान नारायण को समर्पित होता है। इसलिए गुरुवार के दिन व्रत रखकर विष्णु भगवान की पूजा का विधान है। मान्यता है कि, गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की विशेष उपासना से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। कई लोग भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए गुरुवार को व्रत रखते हैंं। यह व्रत कुंडली से गुरु दोष दूर करने के अच्छे उपायों में से एक है। ऐसे में इस दिन ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
गुरुवार के दिन सुबह स्नान के बाद अगर संभव हो, तो मंदिर जाना चाहिए। ऐसा न हो, तो घर पर भी पूजा-अर्चना की जा सकती है। आप चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें और फिर धूप-दीप के साथ पीले रंग के फूल व फल अर्पित करें। श्रीहरि को पीले रंग के वस्त्र पहनाएं। इसके अलावा हल्दी, चना दाल, गुड़ अर्पित करें। पूजा करने के बाद आरती करें और भोग लगाएं। फिर एक तांबे के लोटे में जल में हल्दी और गुड़ मिलाकर केले के पेड़ की जड़ में अर्पित कर दें। इससे भगवान विष्णु की कृपा बनी रहेगी। अब गुरुवार के शुभ मुहूर्त, अशुभ समय, राहुकाल के बारे में जानते हैं-
आज का पंचांग
बृहस्पतिवार, दिसम्बर 14, 2023
सूर्योदय: 07:05
सूर्यास्त: 17:26
तिथि: द्वितीया – 00:56, दिसम्बर 15 तक
नक्षत्र: मूल – 09:47 तक
योग: गण्ड – 13:25 तक
करण: बालव – 14:04 तक
द्वितीय करण: कौलव – 00:55, दिसम्बर 15 तक
पक्ष: शुक्ल पक्ष
वार: गुरुवार
अमान्त महीना: मार्गशीर्ष
पूर्णिमान्त महीना: मार्गशीर्ष
चन्द्र राशि: धनु
सूर्य राशि: वृश्चिक
शक सम्वत: 1945 शोभकृत्
विक्रम सम्वत: 2080 नल
गुजराती सम्वत: 2080 राक्षस
तिथि | द्वितिया | 24:54 तक |
नक्षत्र | मूल | 09:39 तक |
प्रथम करण द्वितिय करण |
बालव कौलव |
14:02 तक 24:54 तक |
पक्ष | शुक्ल | |
वार | गुरुवार | |
योग | गण्ड | 13:19 तक |
सूर्योदय | 07:09 | |
सूर्यास्त | 17:21 | |
चंद्रमा | धनु | |
राहुकाल | 13:31 − 14:48 | |
विक्रमी संवत् | 2080 | |
शक सम्वत | 1944 | |
मास | मार्गशीर्ष | |
शुभ मुहूर्त | अभिजीत | 11:55 − 12:35 |
आज चन्द्र दर्शन दिवस
अमावस्या के बाद अगले दिन या दूसरे दिन को चन्द्र दर्शन दिवस कहा जाता है। जब चन्द्रमा पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है तो इस घटना को सनातन धर्म में अमावस्या कहते हैं और ज्योतिष शास्त्र में मास की यह तिथि अमावस्या कहलाती है। चन्द्र दर्शन का अपना एक धार्मिक महत्व है। लोग इस दिन उपवास रखते हैं और शाम में चन्द्र दर्शन के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं।
ज्योतिष शास्त्र में चन्द्र दर्शन दिवस की गणना चुनौतीपूर्ण होती है। क्यूँकि, इस दिन सूर्यास्त के तत्काल बाद चन्द्रमा मात्र कुछ समय के लिए ही दिखाई देता है। चन्द्र दर्शन वाले दिन चन्द्रमा और सूर्य दोनों समान क्षितिज पर स्थित होते हैं जिसकी बजह से चन्द्र दर्शन सूर्यास्त के बाद ही सम्भव होता है, जब चन्द्रमा स्वयं ही अस्त होने वाला होता है।
पढ़ते रहिए हिमशिखर खबर, आपका दिन शुभ हो…