सूर्यदेव करेंगे धनु राशि में प्रवेश: आज धनु संक्रांति, जानें राहुकाल और शुभ मुहूर्त का समय

हिमशिखर धर्म डेस्क

Uttarakhand

पंडित उदय शंकर भट्ट

हर रोज की तरह हम आज भी लाए हैं आपके लिए पंचांग, जिसको देखकर आप बड़ी ही आसानी से पूरे दिन की प्लानिंग कर सकते हैं। आज का दिन बड़ा विशेष है। आज विनायक चतुर्थी है और आज सूर्य की धनु संक्रांति है। आज से एक माह तक मांगलिक कार्यों पर पूरी तरह प्रतिबंध लग जाएगा। आज भगवान सूर्य की विशेष पूजा करने का दिन है।

आज सूर्योदय के समय सूर्य को लाल चंदन का पाउडर जल में डालकर तांबे के कलश से जल का अर्घ्य दें और अपने सुख-समृद्धि निरोगी रहने की कामना करें। आज शनिवार का दिन भी है इसलिए आज शनिदेव के दर्शन कर शनि मंत्र का जाप करने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।

आज का पंचांग

सूर्योदय: 07:07
सूर्यास्त: 17:27
तिथि: चतुर्थी – 20:00 तक
नक्षत्र: श्रवण – 04:37, दिसम्बर 17 तक
योग: व्याघात – 03:48, दिसम्बर 17 तक
करण: वणिज – 09:15 तक
द्वितीय करण: विष्टि – 20:00 तक
क्षय करण: बव – 06:46, दिसम्बर 17 तक
पक्ष: शुक्ल पक्ष
वार: शनिवार
अमान्त महीना: मार्गशीर्ष
पूर्णिमान्त महीना: मार्गशीर्ष
चन्द्र राशि: मकर
सूर्य राशि: वृश्चिक – 16:09 तक
शक सम्वत: 1945 शोभकृत्
विक्रम सम्वत: 2080 नल

तिथि चतुर्थी 20:00 तक
नक्षत्र श्रवण 28:37 तक
प्रथम करण
द्वितिय करण
तृतीय करण
वणिज
विष्टि
बव
09:15 तक
20:00 तक
30:46 तक
पक्ष शुक्ल
वार शनिवार
योग व्याघात 27:47 तक
सूर्योदय 07:07
सूर्यास्त 17:25
चंद्रमा मकर
राहुकाल 09:41− 10:59
विक्रमी संवत् 2080
शक सम्वत 1944
मास मार्गशीर्ष
शुभ मुहूर्त अभिजीत 11:55 − 12:37

धनु संक्रान्ति फल

  • वस्तुओं की लागत सामान्य होगी।
  • जीवन में स्थिरता लाती है।
  • लोगों की खांसी और ठण्ड से पीड़ित होने की संभावना।
  • कम बारिश की सम्भावना बनेगी

विनायक चतुर्थी आज

सनातन हिंदू कैलेण्डर में प्रत्येक चन्द्र मास में दो चतुर्थी होती है। हिन्दु धर्मग्रन्थों के अनुसार चतुर्थी तिथि भगवान गणेश की तिथि है। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं और पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं।

हालाँकि विनायक चतुर्थी का व्रत हर महीने में होता है लेकिन सबसे मुख्य विनायक चतुर्थी का व्रत भाद्रपद के महीने में होता है। भाद्रपद के दौरान पड़ने वाली विनायक चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। सम्पूर्ण विश्व में गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।

विनायक चतुर्थी को वरद विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। भगवान से अपनी किसी भी मनोकामना की पूर्ति के आशीर्वाद को वरद कहते हैं। जो श्रद्धालु विनायक चतुर्थी का उपवास करते हैं भगवान गणेश उसे ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं। ज्ञान और धैर्य दो ऐसे नैतिक गुण है जिसका महत्व सदियों से मनुष्य को ज्ञात है। जिस मनुष्य के पास यह गुण हैं वह जीवन में काफी उन्नति करता है और मनवान्छित फल प्राप्त करता है।

हिन्दु कैलेण्डर के अनुसार विनायक चतुर्थी के दिन गणेश पूजा दोपहर को मध्याह्न काल के दौरान की जाती है।

स्थान आधारित विनायक चतुर्थी के दिन

यह जानना महत्वपूर्ण है कि विनायक चतुर्थी के उपवास का दिन दो शहरों के लिए अलग-अलग हो सकता है। यह जरुरी नहीं है कि दोनों शहर अलग-अलग देशों में हों क्योंकि यह बात भारत वर्ष के दो शहरों के लिए भी मान्य है। विनायक चतुर्थी के लिए उपवास का दिन सूर्योदय और सूर्यास्त पर निर्भर करता है और जिस दिन मध्याह्न काल के दौरान चतुर्थी तिथि प्रबल होती है उस दिन विनायक चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इसीलिए कभी कभी विनायक चतुर्थी का व्रत, चतुर्थी तिथि से एक दिन पूर्व, तृतीया तिथि के दिन पड़ जाता है।

क्योंकि मध्याह्न काल सूर्योदय और सूर्यास्त पर निर्भर करता है जो सभी शहरों के लिए अलग-अलग होता है। इसीलिए विनायक चतुर्थी के व्रत की तालिका का निर्माण शहर की भूगोलिक स्थिति को लेकर करना अत्यधिक जरुरी है।

पढ़ते रहिए हिमशिखर खबर, आपका दिन शुभ हो… 

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