ऐतिहासिक दिन: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा आज, जलेगी राम ज्योति, जानें मुहूर्त, शुभ योग, राहुकाल

पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

आज का दिन भारतवर्ष के लिए बेहद मंगलकारी है। आज पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर अयोध्या स्थित राम मंदिर में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी। इसके लिए देशभर में उत्सव जैसा माहौल है। पूरा देश राममय हो चुका है।

500 वर्षों के बाद एक बार पुन: भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा का शुभ समय आज 22 जनवरी, तदनुसार, संवत 2080, पौष मास, शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि सोमवार को हो रही है। यह शुभ योग मध्याह्न 12 बजकर 29 मिनट 08 सेकेंड से लेकर 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकेंड अर्थात 84 सेकेंड का है।  ऐसा शुभ मुहूर्त सैकड़ों वर्षों बाद देखने को मिला है। जिस प्रकार त्रेता युग भगवान राम के जन्म के समय नौ ग्रहों में से पांच ग्रह अपने-अपने उच्च स्थान पर थे, उसी प्रकार रामलला प्राण प्रतिष्ठा काल 22 जनवरी को भी 84 सेकेंड के शुभ मुहूर्त में बन रहा है।

आज का पंचांग

सोमवार, जनवरी 22, 2024
सूर्योदय: 07:14
सूर्यास्त: 17:52
तिथि: द्वादशी – 19:51 तक
नक्षत्र: मॄगशिरा – 04:58, जनवरी 23 तक
योग: ब्रह्म – 08:47 तक
करण: बव – 07:36 तक
द्वितीय करण: बालव – 19:51 तक
पक्ष: शुक्ल पक्ष
वार: सोमवार
अमान्त महीना: पौष
पूर्णिमान्त महीना: पौष
चन्द्र राशि: वृषभ – 16:22 तक
सूर्य राशि: मकर
शक सम्वत: 1945 शोभकृत्
विक्रम सम्वत: 2080 नल

तिथि द्वादशी 19:55 तक
नक्षत्र म्रृगशीर्षा 28:57 तक
प्रथम करण बावा 07:37 तक
द्वितीय करण बालव 19:55 तक
पक्ष शुक्ल
वार सोमवार
योग ब्रह्मा 08:37 तक
सूर्योदय 07:17
सूर्यास्त 17:47
चंद्रमा वृषभ 08:52
राहुकाल 08:36 − 09:55
विक्रमी संवत् 2080
शक संवत 1944
मास पौष
शुभ मुहूर्त अभिजीत 12:11 − 12:53

आज का भगवद् चिन्तन

मेरे श्रीराम आये हैं

इस समय श्री अयोध्यापुरी ही नहीं अपितु सारा विश्व प्रभु श्रीराम के रंगो में रंगा हुआ है। प्रभु श्रीराम धर्म के विग्रह स्वरूप हैं। जो धर्म है वही श्रीराम का जीवन है अथवा जो प्रभु श्रीराम का जीवन है वही धर्म है।भाई से भाई का व्यवहार, गुरु से शिष्य का व्यवहार, पत्नी से पति का व्यवहार, माता-पिता से पुत्र का व्यवहार, मित्र से मित्र का व्यवहार और प्रजा जनों से राजा के व्यवहार को धर्म की दृष्टि से देखना हो तो बस प्रभु श्रीराम के जीवन को देखना होगा।

प्रभु श्रीराम का संपूर्ण जीवन मानव समाज के लिए एक दर्पण के समान है जिसमें प्रत्येक मनुष्य द्वारा अपने आचरण के प्रतिबिंब को देखकर उसे सँवारने और सुंदर बनाने की सतत प्रेरणा प्रदान हो पाती है। सबके लिए और समष्टि के लिए जीना ही श्रीराम हो जाना है। पावन अयोध्या धाम में विराजमान होकर श्रीराम लला की सात्विक ऊर्जा हजारों हजार वर्षों तक मानव जाति को अपनी सात्विक चेतना से सराबोर एवं आदर्श प्रेरणा पुंज से प्रकाशित करती रहेगी।

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