सुप्रभातम्: शंकर भगवान के तांडव नृत्य से कांप गया था पूरा ब्रह्मांड, जानें क्यों क्रोधित हुए थे महादेव

भगवान शिव अपने अंदर कई कलाएं समेटे हुए हैं। इनमें से एक कला नृत्य कला भी है। क्रोध और आनंद में भगवान शिव नृत्य करते हैं। इसे तांडव कहते हैं। जानिए तांडव के रहस्य।

  • भगवान शिव के तांडव नृत्य के दो स्वरूप है।
  • पहला रूप उनके क्रोध का परिचायक है।
  • भगवान शिव का आनंद प्रदान करने वाला भी एक तांडव नृत्य है।

हिमशिखर धर्म डेस्क

Uttarakhand

तांडव, यह भगवान शिव द्वारा किए जाने वाला अलौकिक नृत्य है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव केवल दो ही स्थिति में तांडव करते हैं, एक तो वे जब बहुत प्रसन्न होते हैं और दूसरे तब जब वे अत्यंत क्रोधित होते हैं। जब वे अपने हाथ में डमरू लेकर तांडव करते हैं तो यह उनकी प्रसन्नता दर्शाता है। इस दौरान पृथ्वी आनंदित हो जाती है, चारो ओर केवल खुशहाली बरसती है। लेकिन जब वे बिना डमरू के तांडव करते हैं तो सृष्टि त्राहिमाम करती है।

भगवान शिव ने किया सृष्टि को भयभीत कर देने वाला तांडव नृत्य

शिव पुराण के अनुसार जब भगवान शिव को अत्याधिक क्रोध आता है तब वे तांडव करते हैं, अपने इस नृत्य से उन्होंने पूरे ब्रह्मांड को त्राहिमाम करने के लिये विवश कर दिया था।

जब वे तांडव करते हैं उस समय उनकी आंखें क्रोध से लाल हो जाती हैं और पूरा ब्रह्मांड कांपने लगता है। भगवान शिव ने तांडव उस समय किया था, जब मां सती बिना किसी बुलावे के अपने पिता द्वारा आयोजित यज्ञ में शामिल होने अपने मायके गई थीं। उनके पिता ने वहां उनका और भगवान शिव का अपमान किया था, जिसे वो सहन नहीं कर पाईं और उसी यज्ञ की अग्नि में स्वयं को समर्पित कर दिया था।

जब भगवान शिव को इस घटना का ज्ञान हुआ तो वे क्रोध से लाल हो गए और उन्होंने वीरभद्र को भेजकर राजा दक्ष (सती के पिता) के सिर को धड़ से अलग करवा दिया। इसके बाद वे अत्यंत क्रोधित होकर सती के शव को अपनी गोद मे उठाकर ब्रह्मांड में नृत्य करने लगे… उनके तांडव से देव, राक्षस, गंधर्व, पूरा ब्रह्मांड भयभीत हो गया….

इस समस्या के निराकरण हेतु वे सभी मिलकर ब्रह्मदेव के पास गए, ब्रह्म देव ने उन्हें भगवान विष्णु के पास भेज दिया। भगवान विष्णु ने कहा इस समय महादेव के सामने जाना उचित नही है। जब तक उनकी गोद मे मां सती का पार्थिव शरीर है, वो शांत नहीं होंगे। भगवान विष्णु अपने सुदर्शन चक्र से मां सती के पार्थिव शरीर को काटकर नीचे गिराने लगे।

ऐसा कहा जाता है सती के शरीर के टुकड़े पृथ्वी पर जहां-जहां गिरे थे वहां-वहां शक्तिपीठ की स्थापना हुई। जब देवी सती का पूरा शरीर कट गया तब जाकर महादेव का क्रोध शांत हुआ और उन्होंने तांडव करना बंद किया।

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