पंडित उदय शंकर भट्ट
आज आपका दिन मंगलमयी है, यही मंगलमयी है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।आज नवरात्रि में तीसरे दिन मां चंद्रघण्टा की पूजा की जाती है और देवी भागवत पुराण में यह विस्तार से बताया गया है कि मां यह रूप बेहद सौम्य, शांत और सुख समृद्धि प्रदान करने वाला है। मां चंद्रघण्टा की पूजा करने से आपके सुख और भौतिक सुखों में वृद्धि होती है और मां दुर्गा समाज में आपका प्रभाव बढ़ाती हैं। कहते हैं कि नवरात्रि के तीसरे दिन विधि विधान से मां चंद्रघण्टा की पूजा करने से आपके आत्मविश्वास में इजाफा होता है।
मां चंद्रघण्टा का स्वरूप
मां चंद्रघण्टा का स्वरूप स्वर्ण समान चमकीला होता है। उनका वाहन शेर है। उनकी 8 भुजाओं में कमल, धनुष, बाण, खड्ग, कमंडल, तलवार, त्रिशूल और गदा आदि जैसे अस्त्र और शस्त्र से सुसज्जित हैं। गले में सफेद फूलों की माला पहने मां ने अपने मस्तक पर चंद्रमा के साथ ही रत्नजड़ित मुकुट धारण किया हुआ है। वह सदैव युद्ध की मुद्रा में रहते हुए तंत्र साधना में लीन रहती हैं।
चंद्रघण्टा का भोग
मां चंद्रघण्टा का भोग लगाने के लिए केसर की खीर का भोग लगाना चाहिए। इसके साथ लौंग इलाइची, पंचमेवा और दूध ने बनी अन्य मिठाइयों का प्रयोग कर सकते हैं। साथ ही मां के भोग में मिसरी जरूर रखें और पेड़े का भोग भी लगा सकते हैं।
आज का पंचांग
बृहस्पतिवार, अप्रैल 11, 2024
सूर्योदय: 06:00
सूर्यास्त: 18:45
तिथि: तृतीया – 15:03 तक
नक्षत्र: कृत्तिका – 01:38, अप्रैल 12 तक
योग: प्रीति – 07:19 तक
क्षय योग: आयुष्मान् – 04:30, अप्रैल 12 तक
करण: गर – 15:03 तक
द्वितीय करण: वणिज – 02:02, अप्रैल 12 तक
पक्ष: शुक्ल पक्ष
वार: गुरुवार
अमान्त महीना: चैत्र
पूर्णिमान्त महीना: चैत्र
चन्द्र राशि: मेष – 08:40 तक
सूर्य राशि: मीन
आज का विचार
जो व्यक्ति सभ्य है, उनके साथ सभ्य बने रहे। किसी के ओछेपन के चलते अपना चरित्र नीचे करने का कोई ओचित्य नहीं है। अनुशासन लक्ष्यों और उपलब्धियों के बीच पुल है।
आज का भगवद् चिन्तन
माँ चंद्रघंटा
‘दुर्गा दुर्गति नाशिनी’ अर्थात दुर्गति का नाश कर इस जीव को सदगति प्रदान करने वाली शक्ति का नाम ही दुर्गा है। दुर्गा शक्ति की उत्पत्ति के पीछे भी बहुत से कारण हैं तथापि मुख्यतः जगत जननी माँ जगदम्बा द्वारा दुर्गम नामक असुर का नाश करने के कारण ही उनका नाम’ दुर्गा’ पड़ा।
दुर्गम अर्थात जिस तक पहुंचना आसान काम नहीं अथवा जिसका नाश करना हमारी सामर्थ्य से बाहर हो। मनुष्य के भीतर छुपे यह काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार जैसे दुर्गुण ही तो दुर्गम असुर हैं जिसका नाश करना आसान तो नहीं मगर माँ की कृपा से इनको जीत पाना कठिन भी नही।
नारी के भीतर छुपे स्वाभिमान व सामर्थ्य का प्राकट्य ही’ दुर्गा’ है। परम शक्ति सम्पन व परम वन्दनीय होने पर भी जब जब समाज में नारी के प्रति एक तिरस्कृत भाव रखा जाएगा, तब- तब नारी द्वारा अपना शक्ति स्वरूप, दुर्गा रूप धारण किया जायेगा। नवरात्र के तीसरे दिन माँ चन्द्रघंटा की उपासना की जाती है।
प्राणियों में सद्भावना हो,
विश्व का कल्याण हो।
गौ माता की जय हो।