भाई कमलानंद
पूर्व केंद्रीय सचिव, भारत सरकार
श्री हनुमान जन्मोत्सव पर कल मुझे चंबा में कार्यक्रम में सम्मिलित होने का सौभाग्य मिला। मेरे साथ में उत्तराखण्ड के सहकारिता के तिवाड़ी जी भी मेरे साथ थे। इस कार्यक्रम में बच्चे, महिलाओं सहित स्थानीय लोग शामिल हुए। इसके बाद मेरे दिमाग में कुछ बातें आई हैं, जिसे मैं शेयर करना चाहता हूं। यह कि हनुमान जी अतुलित बलशाली है, लेकिन उनकी शक्तियों को जामवंत जी ने याद दिलाया।
रामायण में एक श्राप के कारण हनुमान जी शापित हैं। जब तक कोई उन्हें उनके बल का स्मरण नहीं कराता वे अपनी अनंत शक्ति के बारे में जान नहीं पाते। जामवंत उन्हें याद दिलाते हैं, किसलिए तुम्हारा अवतार हुआ है? तुम्हारे बिना कौन इस कार्य को कर सकता है? जामवंत को हनुमानजी के शापित होने का पता है। आज के दौर में मानव अपनी शक्तियों को भुला बैठा है। जब वह अपने अंदर की ऊर्जाओं को जान जाता है, तो तब उसे लगता है कि मैं अपने को क्या माने बैठा था। यह स्थिति तभी बनती है जिसकी ओर इकबाल ने संकेत किया है-
खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले
खुदा बंदे से पूछे बता तेरी रजा क्या है।
हम वास्तव में परमात्मा ही तो हैं। अहं ब्रह्मास्मि (मैं ब्रह्म हूं) सोहम (वह मैं ही तो हूँ)। इन वाक्यों को सुनकर हम अक्सर भर्मित हो जाते है- क्या मैं सच में अनंत शक्ति संपन्न हूँ। इस बारे में सशंकित हो उठते हैं। ऐसा मानना स्वभाव बन चुका है हमारा। शेर का बच्चा भेड़ों में मिल गया। स्वयं को भेड़ मानने लगा। जैसा मानने लगा-वैसा व्यवहार करने लगा। अपने अस्तित्व को ही नकार दिया। जब भेड़ माने बैठे शेर को पहली बार किसी ने कहा होगा कि वह भेड़ नही शेर है। असल में तब उसमें भी ऐसा ही प्रश्न उठा होगा। इसी तरह जब कोई मनुष्य में अनंत संभावनाओं की बात करता है तो उसके गले नहीं उतरती यह बात वह तो स्वयं को शांत माने बैठा है।
तो दोस्तो! क्यों न हम खुद ही अपने जामवंत बने। अपने भीतर के जामवंत को जगाइए और अपने आप को प्रेरित करें। अपने आप को आगे बढ़ाने के लिए इसे किसी दूसरे की आवश्यकता नहीं रहनी चाहिए। अपनी शक्ति को पहचानिए और कुछ नया करने का संकल्प कर डालिए। मेरा यह मानना है कि हनुमान जी के मंदिर में जामवंत जी का फोटो भी लगना चाहिए।
पेड़ लगाने, सोलर लगाने, जड़ी-बूटी लगाने और का धंधा किया जा सकता है। गांव के हर वार्ड में दमदार-असरदार लोगों में छिपी हुई शक्तियों को जगाना होगा। देश में असरदार लोग बहुत है, लेकिन उनकी क्षमताओं को तराशने के लिए जामवंत को आगे आना होगा। शहर में जगह-जगह खाने-पीने की तलाश में बंदर शहरों की ओर आ रहे हैं। ऐसे में जंगल में फलदार पेड लगाए जाने चाहिए। जिससे वे लोग लोगों के खेतों में जाकर फसलों को खराब नहीं करेंगे। गोभक्त स्वामी विशुद्धानंद जी ने टिहरी क्षेत्र में 108 हनुमान मंदिर बनाए थे। इन मंदिरों का क्लस्टर बनाकर सहकारिता के माध्यम से सपूर्ण काति लाई जा सकती है। यह बात निश्चित है कि मंदिर हमारे जीवन का आधार रहा है।