सुप्रभातम्: माता पिता रिजल्ट आने पर बच्चों का ध्यान रखें

भाई कमलानंद

Uttarakhand

पूर्व सचिव भारत सरकार


एक बड़ी सुंदर कल्पना की गई है कि ईश्वर चंदन जैसा है और साधु-संत वायु की तरह हैं, जो इसकी सुगंध सब जगह फैलाते हैं। लिखा है, ‘चंदन तरु हरि संत समीरा।’ अब इसे यूं लिया जाए कि माता-पिता चंदन के वृक्ष की तरह हैं और संतानें पवन की तरह।

आज से रिजल्ट आने प्रारंभ हो जाएंगे। यह माता पिता, शिक्षकों और बच्चों का महत्वपूर्ण समय है। ऐसे में कुछ बच्चे चहकेगें कुछ उदास हो जायेगें। कुछ माता पिता अज्ञानता के कारण बच्चों पर मानसिक प्रताड़ना भी दे सकते हैं, जिसके खतरनाक नतीजे होंगें।

रिजल्ट के समय बच्चे घोर-तनावग्रस्त पाए जाते हैं। रिजल्ट के दौरान माता पिता की ओर से बच्चों को प्रोत्साहित करने उनकी सराहना करने की आवश्यकता है। ऐसे में माता पिता बच्चों को इस पैनिक अटैक से बचाने के लिए बातों का प्रयोग करें। परमात्मा, पुचकार, प्रोत्साहन और पुनः परिश्रम के लिए प्रेरित करना। परिणाम पर हद से ज्यादा ध्यान और करियर के इस दौर में कई माता पिता अपनी संतानों को खो देते हैं। यह जो परीक्षा का दबाव होता है, यह उनके मस्तिष्क में स्ट्रेस हॉर्मोन्स को रिलीज करता है। उनका मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है, जिसको ब्लैंक हो जाना कहते हैं। ऐसे में ऑक्सीजन और पानी बड़ा उपयोगी है और यह दोनों एक साथ मिलते हैं मेडिटेशन से। अपने बच्चों को योग से और खासतौर पर ध्यान से जोड़िए। मेडिटेशन उनको किसी भी एग्जाम में सफलता के लिए बहुत सहयोगी रहेगा।

माता पिता अनुचित रूप से बहुत अधिक अपेक्षा रखते हैं। परीक्षा परिणाम अपेक्षानुरूप न आना तनाव का कारण बनता है जिसके खतरनाक नतीजे होते हैं। रिजल्ट आने पर बच्चों से बात करें कि परीक्षा परिणाम जिंदगी से बड़ा नहीं होता है हर बच्चे की क्षमता अलग अलग होती है। पालक क्षमता को समझें, बताये कि बहुत सफल और काबिल लोग के रिजल्ट भी हमेशा अच्छे नहीं रहें है। बच्चे और रिजल्ट की तुलना अन्य बच्चों से करने पर मनोबल टूट जाता है और निराशा हो जाते हैं। सबको 100% अंक नहीं मिल सकता है जिस बच्चे से आप तुलना कर रहे हैं उनके नंबर भी किसी से कम होंगें बच्चों को डांटने की बजाय प्रोत्साहित करें उसे लगे कि माता पिता उनके साथ है इससे बच्चे मजबुती से आगे बढ़ेंगें ।

माता पिता भी तनाव मुक्त रहें इससे बच्चे भी तनाव मुक्त रहेंगें उन्हें ताना न मारें, अपनी भड़ास न निकाले इससे बच्चों के कोमल मन में बुरा प्रभाव पड़ता है। उनका जीवन अनमोल है, भविष्य उज्जवल है। अगर अच्छा रिजल्ट नहीं आता है तो नौकरी करने वाला नहीं नौकरी देने वाला बने । बच्चों को समझना है कि बोर्ड का रिजल्ट जीवन की आखिरी परीक्षा नहीं है परीक्षाएं आते जाते रहते हैं, जिंदगी चलती रहती है। नौकरी के इंटरव्यू में नंबर कोई नहीं पूछता आपकी काबिलियत देखी जाती है। बच्चे अंकों या फेल होने से इतना नहीं घबराता जितना की माता पिता की उम्मीद, डांट आलोचना आदि से घबराता है इस लिए हर परिस्थिति में बच्चों से जुड़े रहे सहारा दे, मनोबल बढ़ाएं।

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