केदारनाथ
भगवान शिव के द्वादश लिंगों में ग्याहरवें केदारनाथ के क्षेत्रपाल के रूप में पूजनीय भगवान भैरवनाथ के कपाट आज विधि-विधान के साथ खोले गए। भगवान भैरवनाथ मंदिर के कपाट खुलने के साथ ही धाम में बाबा केदार की सायं कालीन आरती भी शुरू हो जाएगी।
शनिवार को परंपरानुसार पूर्वान्ह केदारनाथ के मुख्य पुजारी ने भैरवनाथ मंदिर के कपाट खोले। इसके उपरांत आराध्य का रुद्राभिषेक, तेलाभिषेक और श्रृंगार के उपरांत निर्विघ्न केदारनाथ यात्रा और सुख-समृद्धि के लिए हवन किया गया।
आज से शुरू होगी केदारनाथ की आरती
उल्लेखनीय है कि 10 मई को प्रात: श्री केदारनाथ धाम के कपाट यात्राकाल ग्रीष्मकाल 6 माह के लिए खुल गये थे। शनिवार को भैरवनाथ जी की पूजा के पश्चात भगवान केदारनाथ जी की आरती शुरू हो जायेगी।
भैरवनाथ मंदिर की मान्यता
सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, देश में जहां-जहां भगवान शिव के सिद्ध मंदिर हैं, वहां-वहां भैरवजी के मंदिर भी हैं। भैरव के मंदिर के दर्शन किए बिना भगवान शिव के दर्शन करना अधूरा माना जाता है। चाहे काशी के बाबा विश्वनाथ हों या उज्जैन के बाबा महाकाल। दोनों ही स्थानों पर भैरव के मंदिर हैं और भक्त शिव के दर्शन के बाद इन दोनों स्थानों पर जाकर भी सिर झुकाते हैं। तब उनकी तीर्थ यात्रा पूर्ण मानी जाती है। ऐसे ही केदारनाथ में भी भकुंट भैरवनाथ का मंदिर है। यहां भी हर साल केदारनाथ के कपाट खुलने पर पहले भैरव मंदिर में पूजा पाठ की जाती है। इसके बाद केदारनाथ की आरती शुरू होती है।
केदारनाथ के पहले रावल माने जाते हैं भुकुंट भैरव
भकुंट बाबा को केदारनाथ का पहला रावल माना जाता है। उन्हें यहां का क्षेत्रपाल माना जाता है। बाबा केदार की पूजा से पहले केदारनाथ में स्थित भकुंट बाबा की पूजा करने का विधान है। इसके बाद विधि विधान से केदारनाथ मंदिर में आरती शुरू होती है।
बाबा भैरवनाथ का बिना छत का मंदिर
भकुंट भैरव का मंदिर केदारनाथ मंदिर से आधा किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में स्थित है। यहां मूर्तियां बाबा भैरव की हैं। मूर्तियां बिना छत के स्थापित की गई हैं। भैरव को भगवान शिव का ही एक रूप माना जाता है। हर साल मंदिर के कपाट खुलने पर बाबा केदार की आरती से पहले शनिवार या मंगलवार को भैरवनाथ के कपाट खोलकर पूजा की जाती है। भकुंट भैरव जी केदारनाथ मंदिर की रखवाली करते हैं।