रामायण में हनुमान जी के लंका दहन की कहानी बहुत ही प्रसिद्ध है। जब रावण ने हनुमान जी की पूँछ में आग लगा दी थी, तो हनुमान जी रावण की उम्मीद के विपरीत पूरी लंका में घूमने लगे और उन्होंने रावण के महल से लेकर पूरी सोने की लंका को धू-धू कर जला डाला था, लेकिन दो ऐसे स्थान थे, जिसे हनुमान जी ने छुआ तक नहीं। उन्होंने ऐसा क्यों किया, चलते जानते हैं…
कपि कें ममता पूँछ पर सबहि कहउँ समुझाइ।
तेल बोरि पट बाँधि पुनि पावक देहु लगाइ ॥
॥चौपाई॥
पूँछहीन बानर तहँ जाइहि। तब सठ निज नाथहि लइ आइहि ॥
जिन्ह कै कीन्हिसि बहुत बड़ाई। देखउ मैं तिन्ह कै प्रभुताई॥
बचन सुनत कपि मन मुसुकाना। भइ सहाय सारद मैं जाना ॥
जातुधान सुनि रावन बचना। लागे रचें मूढ़ सोइ रचना ॥
रहा न नगर बसन घृत तेला। बाढ़ी पूँछ कीन्ह कपि खेला ॥
कौतुक कहँ आए पुरबासी। मारहिं चरन करहिं बहु हाँसी ॥
बाजहिं ढोल देहिं सब तारी। नगर फेरि पुनि पूँछ प्रजारी ॥
पावक जरत देखि हनुमंता। भयउ परम लघुरूप तुरंता ॥
निबुकि चढ़ेउ कप कनक अटारीं। भईं सभीत निसाचर नारीं ॥
जब हनुमान जी को पकड़कर रावण के दरबार में लाया गया था, तो रावण ने ये सोचकर उनकी पूंछ में आग लगवा दी कि हनुमान जी की पूंछ जल जायेगी और एक वानर के लिए उसकी पूँछ बहुत ख़ास होती है। लेकिन इसके उलट हनुमान जी ने मजे लेते हुए रावण की पूरी लंका ही जला डाली, जिस पर रावण को इतना घमंड था। लेकिन कथाओं के अनुसार, लंका में भी दो ऐसे स्थान थे, जिसका हनुमान जी ने ध्यान रखा और उन्हें आग के हवाले नहीं किया।
पौराणिक कथा के अनुसार हनुमान जी ने लंका के जिन दो स्थानों को नहीं जलाया था, उनमें से पहला स्थान था अशोक वाटिका, माँ सीता कैद थीं। ये तो जाहिर सी बात है कि जहां माता सीता कैद हैं, वहाँ हनुमान जी कैसे आग लगा सकते थे। तो, अशोक वाटिका हनुमान जी के कहर से बच गया था। लंका में जो दूसरा स्थान था, जहां आग नहीं लगी थी, वो था विभीषण का महल। जब हनुमान जी लंका में माता सीता की खोज कर रहे थे, तो वो हर घर की छत से गुजर रहे थे। उन घरों में से उन्हें एक ऐसा घर दिखाई दिया, जहां दानव जैसा कुछ नहीं था, बल्कि वहाँ भगवान् विष्णु के बहुत सारे प्रतीक मौजूद थे। उसे देखकर हनुमान जी इस सोच में भी पड़ गए थे कि रावण की नगरी में कौन ऐसा संत रहता है, जो रावण की महिमा मंडन करने के बजाय धर्म के रास्ते पर चल रहा है। असल में वो घर विभीषण का था, जो बचपन से ही भगवान विष्णु की भक्ति करते थे और भगवान राम भगवान विष्णु का ही अवतार थे। तो, ऐसे में हनुमान जी उस घर में भी कैसे आग लगा सकते थे।
हनुमान जी ने देखा था कि विभीषण ने अपने घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगा रखा था और विभीषण के घर के दरवाजे पर भगवान विष्णु के शंख और चक्र के चिन्ह भी अंकित थे। हनुमान जी ने जब ये घर देखा था, तो वो सच पता करने के लिए एक साधु का वेष बनाकर विभीषण के घर के बाहर खड़े हो गए थे। विभीषण अपने घर के बाहर एक साधु को देखकर चौंक गया था। साधु के रूप में हनुमान जी ने विभीषण की मंशा जाननी चाही, तो विभीषण ने बताया कि वो किन हालातों में अपने दुष्ट भाई रावण की लंका में मजबूरी से रह रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वो श्रीराम की शरण में जाना चाहते हैं और यह भी कि लंका में माता सीता को कहाँ रखा गया है।