भाई कमलानंद
पूर्व सचिव, भारत सरकार
भाई ताराचंद बेलजी का कहना है कि हवा में नाइट्रोजन है, फिर भी किसानों को फसल में यूरिया डालना ही पड़ता है। क्योंकि हवा के नाइट्रोजन को पौधा उपयोग नहीं कर पाता है। नाइट्रोजन का मिट्टी में होना जरूरी है। मिट्टी में कार्बन नहीं है, तो नाइट्रोजन भी नहीं है। क्योंकि कार्बन ही नाइट्रोजन को पकड़ कर रखता है। ऐसे में किसान यूरिया को डालने के लिए मजबूर हो रहा है। नाइट्रोजन से फसल की उपज अच्छी आती है। पत्ता जितना हरा कच्चा रहेगा, उतना ज्यादा प्रकाश संश्लेषण होगा और पौधा उत्ना ही ज्यादा उपज देगा। फसलों को नाइट्रोजन उपलब्ध कराने का आसान सोर्स है यूरिया। लेकिन यूरिया से मिट्टी खराब हो रही है, पानी खराब हो रहा है। पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है, फसलों की बीमारी बढ़ रही है। उपज का स्वाद घट रहा है। दरअसल, सरकार और किसानों ने फसलों में नाइट्रोजन की पूर्ति का प्राकृतिक पद्धति को गंवा दिया है। ऐसे में ताराचंद जी ने जैविक खेती को बढावा देने के लिए यूरिया का अच्छा विकल्प दिया है। “
भाई ताराचंद बेलजी जो कार्य कर रहे है, उसको पंचगव्य विद्यापीठम चेन्नई, अ-सरकारी असरकारी स्वाभिमानी अभियान, रूरल बिजनेस हब और हम सभी मिलकर पूरा सपोर्ट करते हैं। भाई ताराचंद जी ने और इनके जैसे अन्य लोगों ने जो काम किया है, वह वाकई अत्यंत स्वाभिमानी स्वावलंबी, और पर्यावरणपूरक जीवन शैली तथा देशी गायो देशी बीज, देशी भाषा, देशी सोच, देशी जीवन के साथ देशी स्वास्थ्य के तरीकों को बढ़ाने का एक ही तरीका है। इसलिए उनका जितना भी अभिनंदन किया जाए, वह कम ही है। मैं ताराचंद जी से भूतपूर्व सांसद सिन्हा जी के बिहार स्थित घर पर मिल चुका हूं। मैंने उनका काम भी देखा। उनका पूरा परिवार उनके काम को आगे बढ़ा रहे हैं। मैं अभी यूरोप की यात्रा में था। यूरोप में भी खेतों में यूरिया का इस्तेमाल किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी जी से खास अनुरोध है कि कृपा करके ताराचंद जी और उनके जैसे लोगों को बुलाकर बातचीत करें कि स्वावलंबी, स्वाभिमानी कैसे बना जा सकता है। यह बात सही है कि यूरिया, कीटनाशक, एलोपैथी कंपनियों की एक बहत बड़ी लॉबी है। अब इस लॉबी से तो लड़ना ही पड़ेगा। मेरा सबसे अनुरोध है कि ताराचंद जी के प्रस्ताव को ग्राम स्वराज और ग्राम स्वावलंबन से जोडे। मैं भाई कमलानंद सबसे अनुरोध कर रहा हूं कि आइए और कुछ करें। नहीं तो आने वाली पीढ़ी हमको माफ नहीं करेगी। गांव का काम गांव में ही निपटाया जाए। इसी तरह देश में कई लोग अच्छा काम कर रहे हैं। तो आइए मिलकर देशी विकल्प, देशी स्वास्थ्य, देशी भाषा, देशी गाय, और देशी जीवनशैली को सनातन के साथ जोड़ते हुए ग्राम स्वराज के साथ जोड़ें।