आज का पंचांग: सत्य को जानना, जीते जी अनुभव करना होगा

पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। आज सावन की 13 गते है।

आज का पंचांग

सूर्योदय: 05:40 ए एम
सूर्यास्त: 07:14 पी एम
तिथि: अष्टमी – 07:27 पी एम तक
नक्षत्र: अश्विनी – 11:47 ए एम तक
योग: शूल – 08:11 पी एम तक
करण: बालव – 08:20 ए एम तक
द्वितीय करण: कौलव – 07:27 पी एम तक
पक्ष: कृष्ण पक्ष
वार: रविवार
अमान्त महीना: आषाढ़
पूर्णिमान्त महीना: श्रावण
चन्द्र राशि: मेष
सूर्य राशि: कर्क

सत्य को जानना, जीते जी अनुभव करना होगा

कोई व्यक्ति मर गया, इसका क्या अर्थ हुआ?

उसका सम्पूर्ण अस्तित्व समाप्त हुआ?

उसका अब कही भी कोई अस्तित्व नही है?

समाज की सामान्य धारणा तो यही है कि, मृत्यु अर्थात सब कुछ समाप्त।

परन्तु सत्य क्या है ?

सत्य है कि, आत्मा की मृत्यु नही होती है। जैसे मनुष्य पुराने वस्त्र त्यागकर नये वस्त्र धारण करता है, वैसे ही आत्मा पुराने शरीर त्यागकर नया शरीर धारण करती है। दरअसल, शरीर का असली मालिक उसके भीतर की आत्मा है। लेकिन आमजन अज्ञान के पर्दे के कारण जीवन भर शरीर को ही सबकुछ मान लेता है। जो कि उसके लिए पतन का कारण बनती है।

मृत्यु का अर्थ आत्मा ने पुराना शरीर त्याग दिया। शरीर का त्याग ही मृत्यु है और शरीर का धारण ही जीवन है।

आत्मा का जीवन, आत्मा का अस्तित्व तो सदैव से है और सदैव रहेगा।

यही सत्य है, जो शाश्वत है, जो सनातन है। इसी सत्य को जानना, जीते जी अनुभव करना – यही सनातन धर्म है

अन्न का सम्मान करना होगा

एक समय था, जब भारत के घरों में रसोई घर होता था। बाकी सब कमरों को कक्ष कहते थे। घर में भी रसोई घर इसलिए था क्योंकि उसकी प्रधान मां होती थी और माताओं, बहनों का अन्न पर पूरा नियंत्रण था। धीरे-धीरे अब घर के लोगों ने रसोई घर में जाना बंद कर दिया।

अब तो अन्न भी आइटम हो गया है, ऑर्डर दो, घर चला आएगा। इसका जो नुकसान हुआ है, उसे दो स्तर पर देखा जाए। यदि अन्न का सम्मान नहीं किया गया, तो घरों में मारा-मारी मचेगी और देश में भुखमरी। दुनिया की आबादी आठ अरब है और खाना बनता है इससे ज्यादा लोगों का।

हर देश में वर्ष भर में करोड़ों रुपए का भोजन बर्बाद होता है। ये इसीलिए है क्योंकि अन्न से लगाव समाप्त हो गया है। जिस देश में अन्न के एक दाने से कृष्ण ने युधिष्ठिर और द्रौपदी की बटलोई से 10,000 साधु-संतों का पेट तृप्त कर दिया था, उस देश में भी अन्न की दुर्गति सोचने वाली बात है। घर के सदस्य साथ बैठकर भोजन करें तो अन्न का सम्मान बचेगा और शुभ परिणाम जीवन में उतरेंगे।

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