पंडित उदय शंकर भट्ट
आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। आज सावन की 19 गते है। हरियाली अमावस्या आज 4 अगस्त, रविवार के दिन है। आज के दिन नवग्रहों और पितरों की शांति के लिए विशेष पूजा और दान-पुण्य का महत्व माना जाता है। सावन में चारों तरफ हरियाली का वातावरण होता है, इसलिए सावन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है।
हरियाली अमावस्या का महत्व
सावन की अमावस्या को हरियाली अमावस्या इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह समय पौधे लगाने के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। बारिश की वजह से चारों तरफ हरियाली होती है और प्रकृति सुंदर दिखती है और प्रकृति की सुंदरता देखते ही बनती है। हरियाली अमावस्या के दिन पेड़-पौधों की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन पीपल और तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है।
हरियाली अमावस्या पर बन रहे हैं ये शुभ संयोग इस बार की हरियाली अमावस्या 4 शुभ संयोग बन रहे हैं। हरियाली अमावस्या के दिन सिद्धि योग, रवि पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और पुष्य नक्षत्र का शुभ संयोग बनने से हरियाली अमावस्या का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है।
आज का पंचांग
रविवार, अगस्त 4, 2024
सूर्योदय: 05:44 ए एम
सूर्यास्त: 07:10 पी एम
तिथि: अमावस्या – 04:42 पी एम तक
नक्षत्र: पुष्य – 01:26 पी एम तक
योग: सिद्धि – 10:38 ए एम तक
करण: नाग – 04:42 पी एम तक
द्वितीय करण: किंस्तुघ्न – 05:19 ए एम, अगस्त 05 तक
पक्ष: कृष्ण पक्ष
वार: रविवार
अमान्त महीना: आषाढ़
पूर्णिमान्त महीना: श्रावण
चन्द्र राशि: कर्क
सूर्य राशि: कर्क
आज का विचार
दिखावा और झूठ बोलकर व्यवाहर बनाने से अच्छा हैं, सच बोलकर दुश्मन बना लो। आपके साथ कभी विश्वाशघात नही होगा।
आज का भगवद् चिन्तन
श्री नीलकण्ठ महादेव
भगवान शिव का एक नाम नीलकंठ भी है। समुद्र मंथन के समय निकले विष को लोक कल्याणार्थ भगवान शंकर पान कर गए। यहाँ पर एक बात बड़ी विचारणीय है कि भगवान शिव ने विष को न अपने भीतर जाने दिया और न ही मुख में रखा अपितु अपने कंठ में रख लिया। जीवन को आनन्दपूर्ण बनाने के लिए आवश्यक है कि जो बातें आपके लिए अहितकर हों आप उन्हें न अपने मुख में रखें और न अपने भीतर जाने दें अपितु भगवान नीलकण्ठ महादेव की तरह पचाना सीखें।
यदि विषमता रुपी विष आपके भीतर प्रवेश कर गया है तो यह आपके जीवन की सारी सुख-शांति एवं खुशियों को जलाकर भस्म कर देगा।यह विष आपके जीवन के सारे आनंद को नष्ट कर देगा। इसलिए जीवन में विषमता रूपी अथवा विषय रूपी जो भी विष है, इसे कंठ तक ही रहने देना, चित्त तक मत ले जाना, यही नीलकण्ठ महादेव प्रभु के आनंदमय स्वरूप का रहस्य है।