सुप्रभातम्: हमारे जीवन में जन्म कुंडली का महत्व

जन्म कुंडली किसी व्यक्ति के जन्म विवरण का लेखा-जोखा होता है। इसमें एक प्रकार से व्यक्ति के जन्म के समय आकाश मंडल में ग्रह एवं नक्षत्र की स्थिति का सचित्र वर्णन होता है। कुंडली के द्वारा ही व्यक्ति का नामकरण, उपनयन, विवाह आदि संस्कार किए जाते हैं। जन्मपत्रिका को देखकर ही ज्योतिषाचार्य उस व्यक्ति के स्वभाव, नौकरी-पेशे, आर्थिक, धन, परिवार, विवाह एवं प्रेम जीवन के अलावा अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं से जुड़ी भविष्यवाणी कर सकता है।

Uttarakhand

हिमशिखर धर्म डेस्क

हमारे जीवन में जन्मपत्री का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है, जन्म से मृत्यु तक का लेखा-जोखा जन्म कुंडली में होता है, हमें जीवन में क्या-क्या मिलेगा? कितने बच्चे होंगे? कैसी पत्नी मिलेगी? हमारा व्यापार कैसे चलेगा? व्यापार करेंगे या नौकरी, हमारा स्वास्थ्य कैसा रहेगा ? हमारे जीवन में धन की क्या स्थिति रहेगी ? कितने पुत्र कितने पुत्रियां होगी, जन्म कुंडली से सब कुछ पता चलता है, इस जन्म में हम क्या थे, कहां से आए हैं और कहां जाना है?

एक बहुत ही महत्वपूर्ण कड़ी का कार्य निभाती है, यहां कुछ प्रश्न उत्पन्न होते हैं- जैसे वास्तव में इसका क्या लाभ है? अगर है तो, क्यों कुछ लोग इसमे विश्वास नहीं रखते? कुछ तो इसे अंधविश्वास मानते हैं, पर विशेषकर अपने ऊपर कोई आपति आने पर वे भी ज्योतिषियों के पास जाते हैं, और अपनी समस्याओं का समाधान पूछते हैं।

ज्योतिष और जन्मपत्रिका का बहुत महत्व है

जो हमारे ऋषियों-मुनियों द्वारा आध्यात्मिक शक्तियों के आधार पर लिखा गया वैदिक ज्ञान है, ज्योतिष एक शुद्ध विज्ञान है। अगर सही गणित लगाया जाए तो किसी भी जातक को बताया जा सकता है कि, उनके आने वाले जीवन का क्या लेखा जोखा है। शंका का भाव मानव मन के साथ हमेशा लगा है, भविष्य जानने के लिए वे हमेशा उत्सुक है। ज्योतिष विज्ञान द्वारा, भूत में हुई, और भविष्य में होने वाली घटनाओं के संबंध में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

जन्मपत्रिका को जन्मकुंडली भी कहते हैं

अब यह प्रश्न भी उठता है कि आखिर, जन्मकुंडली है क्या? जन्म कुंडली आकाश का उस समय का नक्शा है, जब कोई बच्चा जन्म लेता है। उस समय आकाश में कौन सा ग्रह कहां है, इसका वर्णन जन्मकुंडली में होता है। जन्म कुंडली में स्थित नौ ग्रह और बारह रशियां ही मनुष्य जीवन को प्रभावित करते हैं। तारा-समूहों का सीधा प्रभाव पृथ्वीवासियों पर पड़ता है। जो नैसर्गिक गुण उन तारासमूहों के होते हैं, वे सब उन व्यक्तियों में पाए जाते हैं, जिन पर इस राशियों का प्रभाव पड़ता है। प्रत्येक राशि की अपनी एक अलग विशेषता और महत्व होता है जिसका स्वामी ग्रह जीवन में अत्यधिक क्रियाशील एवं महत्वपूर्ण होता है।

आप यह भी जान लीजिए की आकाशमंडल में अवस्थित असंख्य ताराओं के बारह समूहों को बारह राशियों मेष, वृष, मिथुन, कर्क, कन्या आदि के नाम से जाना जाता है। दरअसल कई तारे और नक्षत्र मिलकर आकाश-मण्डल में जो आकृति बनाते हैं, उसी के अनुरूप उनका नाम रखा गया है। जैसे मेष राशि के अंतर्गत पड़ने वाले तारा-समूहों को काल्पनिक रेखाओं से जोड़ा जाए तो मेढ़े के आकृति विशेष बनती है। इसी प्रकार अन्य राशियों के तारा-समूहों से अलग-अलग आकृति बनती है, जैसे वृष राशि से बैल, मिथुन से जुड़वां बच्चे, कर्क से कर्कट, सिंह से शेर, कन्या से कुंवारी कन्यादि की आकृति बनती हैं।

एक ही दिन में जन्मे विभिन्न व्यक्तियों के जन्म नक्षत्र और ग्रह-स्थिति अलग अलग होते हैं इसीलिए एक ही दिन में जन्म लेने वाले व्यक्तियों मे से कोई राजा होता है, कोई रंक, कोई नेता होता है, कोई चोर होता है तो कोई साहूकार ।

जन्मकुंडली विवरण आपकी हथेली पर भी होता है। हथेली की इन रेखाओं में आपका भूत, भविष्य एवं वर्तमान छिपा हुआ है। इन्हीं रेखाओं द्वारा किसी भी व्यक्ति का स्वभाव, चरित्र एवं उसकी उन्नति एवं अवनति का ज्ञान हो सकता है।

“फलानि ग्रहचारेण सूचयंति मनीक्षिण:
को वक्ता तारतमयस्य तमेक वेध्न्स विना”

जन्मकुंडली देख ज्योतिष इस विज्ञान द्वारा भविष्य में होने वाली निर्धारित घटनाओं का संकेत या सूचना तो दे सकते हैं। पर विधाता ब्रह्मा के अतिरिक्त कौन निश्चित रूप से बता पाया है?

एक अच्छे ज्योतिष का यह कर्तव्य बनता है कि, वे जातक की जन्मपत्री या हस्तरेखा पढ़ने के बाद कोई ऐसी बात अगर कहनी आवश्यक ही हो तो, जातक को उसकी मानसिक शक्ति का एहसास दिलाएं और इस बात को दृढ़तापूर्व कहें कि, प्रबल इच्छा-शक्ति के द्वारा, ज्योतिषीय मार्गदर्शन से दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदला जा सकता है।

जन्म कुंडली से क्या पता चलता है ?

जन्म कुंडली जन्म के समय और तारीख और जगह को देखकर बनाई जाती है, इसमें ग्रह, नक्षत्रों के हिसाब से व्यक्ति के जीवन की कई चीजों का पता लगाया जा सकता है। जन्म कुंडली के माध्यम से व्यक्ति के भविष्य, भूत और वर्तमान को जाना जा सकता है। इसका इस्तेमाल विवाह में वर-वधु के गुणों का मिलान करवाने के लिए भी होता है।

कुंडली में सबसे महत्वपूर्ण क्या है ?

भारतीय ज्योतिष में नवमांश कुण्डली अत्यंत महत्त्वपूर्ण मानी जाती है, नवमांश कुण्डली को लग्न कुण्डली के बाद सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।

जन्म कुंडली में कौन कौन से ग्रह मजबूत होना चाहिए ?

इसके लिए जन्मपत्री में गुरू, मंगल और बुध की मजबूत स्थिति होनी चाहिए। इसके साथ ही लग्न से नवम एवं पंचम भाव शुभ ग्रहों के प्रभाव में हो तो व्यक्ति उच्च शिक्षा प्राप्त करता है।

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