आखिर क्यों : मृत्यु के बाद शव को अकेला क्यों नहीं छोड़ा जाता?

अगर पृथ्वीलोक पर कोई भी सबसे बड़ा सत्य है तो वो है प्राणी की मृत्यु। हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद शव को जलाया जाता है। अगर किसी की मृत्यु सूर्यास्त के बाद हो जाती है तो उसका दाह संस्कार अगले दिन ही किया जाता है।

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किसी परिवार में अगर किसी की मृत्यु सूर्यास्त के बाद होती है तो उसके शव को अकेला नहीं छोड़ा जाता। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शव को रात भर अकेला क्यों नहीं छोड़ा जाता ? जानिए गरुड़ पुराण में इस पर क्या कहा गया है?


हिमशिखर धर्म डेस्क

सनातन धर्म में अगर किसी की मृत्यु सूर्यास्त के बाद होती है तो उसके शव को रात भर घर पर ही रखा जाता है और अगले दिन उसका दाह संस्कार किया जाता है।

गरुड़ पुराण में बताया गया है कि अगर सूर्यास्त के बाद किसी की मृत्यु हो जाए तो ऐसी स्थिति में लाश को लेकर श्मशान घाट नही जाते हैं और लाश को घर में ही रखते हैं और सुबह होने का इंतजार करते हैं। और ऐसे में मृत शरीर को एक भी पल के लिए अकेला नहीं छोड़ा जाता। कोई ना कोई व्यक्ति रखवाली के लिए मौजूद होता है।

मृत शरीर को अकेला नहीं छोड़ने का सबसे बड़ा कारण यह है की अगर शव को अकेला छोड़ दिया जाए तो हो सकता है कुत्ते, बिल्ली जैसे जानवर उसे नोच खाये। गरुड़ पुराण की माने तो ऐसे में मृत आत्मा को भी यमलोक के मार्ग में ऐसी ही यातनाएं सहनी पड़ती है।

साथ ही ऐसा भी माना जाता है की अगर शव को अकेला छोड़ दिया जाए तो उससे गंध आने लगाती है ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि वहां कोई ना कोई व्यक्ति बैठा रहे और धूप-दीप शव के निकट जलाता रहे ताकि शव से आने वाला दुर्गन्ध चारों ओर ना फैले।

पुराण के अनुसार सूर्यास्त के बाद अगर किसी मृत शरीर को जला दिया जाता (मणिकर्णिका घाट वाराणसी छोड़कर) है अर्थात उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है तो वह मृत आत्मा असुर, दानव अथवा पिशाच की योनि में जन्म लेता है जहाँ उसे कई तरह के कष्ट सहने पड़ते हैं। और यही वजह है सनातन धर्म में रात को अंतिम संस्कार करने से मना किया गया है।

शव को अकेला इसलिए भी नहीं छोड़ा जाता क्योंकि गरूड़ पुराण के अनुसार मरे हुए आदमी की आत्मा वहीँ पर भटकती रहती है और अपने परिजनों को देखती रहती है। कहा जाता है कि इंसान की मौत के बाद शरीर आत्मा से खाली हो जाता है और जिसकी वजह से उस मृत शरीर में कोई बुरी आत्मा का साया अपना अधिकार जमा सकता है। और यही वजह है कि रात में शव को अकेले नही छोड़ा जाता है और कोई ना कोई इसकी रखवाली करता रहता है।

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