जीवन में अगर किसी को खुद का रोल मॉडल बनाना चाहते हो तो हनुमान जी को बना लो। इससे आपकी जिंदगी संवर जाएगी। हनुमान जी के गुणों को आत्मसात करो । उन्हें अपना आदर्श मानो। उनकी भक्ति मन से करो। खुश रहकर करो। इसके बाद देखो जीवन में कैसे सकारात्मक बदलाव आते हैं।
हिमशिखर खबर ब्यूरो
आज के दौर में कई बार युवा वर्ग आवेश में और आशांत हो जाता है। ऐसे में युवाओं को हुनमान जी को रोल माडल बनाना चाहिए। हनुमानजी का तन सक्रिय था और मन विश्राम। उनके मन में कोई दोष नहीं है। जिनका मन सक्रिय है। वह हिंसा, विनाश जैसे काम करता। आत्महत्या की घटना बढ़ गई है। इन सबसे बचने के लिए हनुमानजी को रोल माडल बनाना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण दोनों अवतार हैं। दोनों का एक ही मैसेज है। जीवन संतुलन का नाम है। अति बुरी चीज है। यदि धार्मिक अति हो रही है तो इसमें संतुलन करना बहुत जरूरी है। हम सनातनी होकर अति करे या दूसरे धर्म का होकर अति करें तो ये उचित नहीं है।
राजनीति का मुख्य उद्देश्य अधिकार पाना और सत्ता पाना होता है। शास्त्रों के अनुसार श्री राम जिस युग में हुए जैसे हुए भगवान राम ने ये भेद बिल्कुल नहीं रखा। राम जब पहली बार वनवास में निकले तो उन्होंने पहला संबंध निषाद से बनाए। फिर राम लड़ाई करने के लिए अपने पिता से सेना बुलवा सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा न करके वानर, भालू नीचे तबके के लोगों के सहयोग से लड़ाई लड़े।
हनुमान पराक्रमी थे
हनुमान जी पराक्रमी देव हैं, सैनिक हैं, राम के दूत हैं। उन्हें अखाड़ा के देवता मानते है। जहां शोर करना है, उत्साहित होना है। वहां हनुमान जी के बारे में सोचना चाहिए। हनुमान जी मन से शांत हैं और तन से सक्रिय हैं। जिसका मन सक्रिय है। ऐसी स्थिति में गलत चीजें होती हैं। इससे बचने के लिए लोगों को योग करना चाहिए। योग करने वाले में सहन शक्ति बढ़ जाती है। मैनेजमेंट भाषा में कहते हैं कि भले ही गोल चेंज हो जाए पर गेम चेंज नहीं होना चाहिए। उत्साह बनाए रखने के लिए योग करना चाहिए।
भारतीय-दर्शन में सेवाभाव को अत्यधिक महत्व दिया गया है। यह सेवाभाव ही हमें निष्काम कर्म के लिए प्रेरित करता है। अष्ट चिरंजीवियों में से एक महाबली हनुमान अपने इन्हीं सद्गुणों के कारण देवरूप में पूजे जाते हैं और उनके ऊपर ‘राम से अधिक राम के दास’ की उक्ति चरितार्थ होती है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम स्वयं कहते हैं- जब लोक पर कोई विपत्ति आती है तब वह त्राण पाने के लिए मेरी अभ्यर्थना करता है, लेकिन जब मुझ पर कोई संकट आता है तब मैं उसके निवारण के लिए पवनपुत्र का स्मरण करता हूं। हनुमान जी के जीवन का एक ही मंत्र था – ‘राम काज किन्हें बिनु, मोहि कहां विश्राम…’
जिस प्रकार हनुमान जी श्रीराम के भक्त हैं उसी प्रकार हम सभी को भारत माता का सेवक भी बनना होगा। युवा शक्ति को हनुमान जी की पूजा से अधिक उनके चरित्र को आत्मसात करने की आवश्यकता है, जिससे भारत को उच्चतम नैतिक मूल्यों वाले देश के साथ-साथ ‘कौशल युक्त’ भी बनाया जा सके।