मंगलवार विशेष : हनुमान जी को क्यों चढ़ाया जाता है सिंदूर?

Uttarakhand

हुनमान जी के मंदिर में अक्सर उनके भक्तों को सिंदूर का चोला चढ़ाते हुए देखा जाता है। क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी पर क्यों चढ़ाया जाता है सिंदूर और इसके पीछे क्या कारण है?


हिमशिखर डेस्क

हनुमानजी बल, बुद्धि, विद्या और पराक्रम के देवता हैं। हम किसी भी मंदिर में जाते हैं तो हनुमान जी की प्रतिमा सिंदूर से रंगी होती है। उन्हें सिंदूर अर्पित भी किया जाता है। मान्यता है कि सिंदूर का चोला चढ़ाने से हनुमान जी बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों के कष्टो को दूर करते हैं। सिंदूर चढ़ाने से जातक के जीवन में सुख-समृद्धि आती है कार्यों में आ रही विघ्न बाधाओं को भी हनुमान जी दूर कर देते हैं।

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक सिंदूर और चोला चढ़ाने से मूर्ति का स्पर्श होता है, इससे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। इसका असर मनुष्य की तेजस्विता पर पड़ता है और शरीर को लाभ मिलता है। हनुमान जी ही एक ऐसे देवता हैं जिनका पूरा श्रृंगार सिंदूर से किया जाता है। इस संबंध में एक कथा मिलती है तो चलिए जानते हैं कि क्या है हनुमान जी के पूरे शरीर पर सिंदूर लगाने का  कारण….

सिंदूर लगाने के परंपरा बहुत पहले से चली आ रही है। त्रेता युग में माता सीता भी सिंदूर लगाती थी। कथा के अनुसार एक बार माता सीता अपनी मांग में सिंदूर भर रही थी। जब हनुमान जी ने माता सीता को मांग में सिंदूर लगाते हुए देखा तो जिज्ञासवश उन्होंने पूछा कि हे माता आप अपनी मांग में  सिंदूर क्यों लगाती हैं? इस प्रश्न के उत्तर में माता सीता  हनुमानजी को बताती हैं  कि वे अपने स्वामी, पति श्रीराम की लंबी उम्र के लिए मांग में सिंदूर लगाती हैं।

हनुमान जी अपने आराध्य देव प्रभु श्री राम से बहुत प्रेम करते हैं। इसलिए माता सीता की बातें सुनकर हनुमान जी ने सोचा कि जब थोड़ा सा सिंदूर लगाने का इतना लाभ मिलता है, तो वे पूरे शरीर पर सिंदूर लगाएंगे। इससे मेरे आराध्य श्रीराम हमेशा के लिए अमर हो जाएंगे। यही सोचकर उन्होंने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया। तभी से हनुमानजी को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई। इसलिए हनुमान जी सिंदूर चढ़ाने से बहुत प्रसन्न होते हैं।

अनंत ऊर्जा का प्रतीक है सिंदूर

विज्ञान के मुताबिक हर रंग में एक विशेष प्रकार की ऊर्जा होती है। सिंदूर ऊर्जा का प्रतीक है और जब हनुमानजी को अर्पित करने के बाद भक्त इससे तिलक करता है तो दोनों आंखों के बीच स्थित ऊर्जा केंद्र सक्रिय होने लगता है। ऐसा करने से मन में अच्छे विचार आते हैं। मान्यताओं के मुताबिक हनुमानजी को घृत (घी) मिश्रित सिंदूर चढ़ाने से बाधाओं का निवारण होता है।

स‍िंदूर चढ़ाने के पीछे ऐसा है वैज्ञान‍िक कारण

वैज्ञान‍िक मान्‍यताओं के अनुसार सिंदूर में पारा होता है। ज‍िसे माथे पर लगाने से जातकों के अंदर सकारात्‍मक ऊर्जा का संचार होता है। इससे स‍िर दर्द और न‍िद्रा संबंधी सभी समस्‍याएं दूर होती हैं। यही नहीं इसे लगाने से एकाग्रता में भी वृद्धि होती है। इसका उदाहरण पौराण‍िक काल में गुरुकुल में देखने को म‍िलता है। जहां सभी जातकों को स‍िंदूर का त‍िलक लगाया जाता था। ताक‍ि उनके सकारात्‍मक ऊर्जा का संचार हो और वह एकाग्रचित्त होकर ज्ञान ग्रहण कर सकें।

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