गुरु प्रदोष व्रत आज: उपयोग करना सीखें

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पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।

प्रदोष व्रत शिव जी की उपासना के लिए श्रेष्ठ है, नवंबर में इस साल का आखिरी गुरु प्रदोष व्रत आज है। ये व्रत धन, सुख, सफलता प्राप्ति के लिए सबसे प्रभावशाली होती है।

मार्गशीर्ष माह में गुरु प्रदोष व्रत का संयोग बन रहा है, प्रदोष व्रत शिव जी को समर्पित है, भोलेनाथ की उपासना करने वालों को समस्त भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है, ऐसे में त्रयोदशी जब गुरुवार को पड़ जाए तो सोने पर सुहागा जैसा है।

गुरु प्रदोष व्रत सुख, सौभाग्य, ऐश्वर्य में वृद्धि करता है। इस दिन शिवलिंग की विधिविधान से पूजा करने वालों को धन की कमी नहीं होती।

नवंबर में 2024 का आखिरी गुरु प्रदोष व्रत

नवंबर में मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत आज 28 नवंबर को है। ये इस साल हर आज आखिरी गुरु प्रदोष व्रत होगा। गुरु प्रदोष व्रत धन प्राप्ति, सुख-सौभाग्य और सफलता की कामना के लिए अचूक माना गया है।

शिव पूजा समय – शाम 05.24 – रात 08.06

गुरु प्रदोष व्रत क्यों है प्रभावशाली

गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और बृहस्पति देव को समर्पित है। शास्त्रों के अनुसार शिव पूजा करने वालों को नवग्रहों की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे गुरु प्रदोष व्रत करने वालों की कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होता है। गुरु धन, भाग्य, ऐश्वर्य, संतान, विवाह का कारक ग्रह है। गुरु की कृपा से इन सभी सुख की प्राप्ति होती है।

इस दिन प्रदोष काल के समय महादेव कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का गुणगान करते हैं। मान्यता यह भी है कि प्रदोष व्रत करने से साधक और व्रत करने वालों के जीवन का हर दोष मिट जाता है।

आज का भगवद् चिन्तन

उपयोग करना सीखें

जगत में कोई भी वस्तु अच्छी अथवा बुरी नहीं होती अपितु उसके उपयोग का प्रकार ही उसके परिणाम को अच्छे अथवा बुरे में बदलता है। विवेक से संयमपूर्ण जगत का भोग किया जाये तो कहीं समस्या नहीं है। पदार्थों में समस्या नहीं है, हमारे उपयोग करने में समस्या है। कभी-कभी विष की एक अल्प मात्रा भी दवा का काम करती है और दवा की अत्यधिक मात्रा भी विष बन जाती है।

संसार का विरोध करके कोई इससे मुक्त नहीं हुआ अपितु बोध से ही इससे पार पाया जा सकता है। संसार को छोड़ना नहीं, बस समझना है। अस्तित्व में निरर्थक कुछ भी नहीं है। प्रत्येक वस्तु अपने समय पर और अपनी स्थिति में श्रेष्ठ है, सब वस्तु भगवान की हैं। कब, कैसे, कहाँ, क्यों और किस निमित्त उसका उपयोग करना है, बस यह समझ में आ जाये तो जीवन को महोत्सव बनने में देर नहीं लगेगी।

आज का पंचांग

बृहस्पतिवार, नवम्बर 28, 2024
सूर्योदय: 06:54 ए एम
सूर्यास्त: 05:24 पी एम
तिथि: त्रयोदशी – पूर्ण रात्रि तक
नक्षत्र: चित्रा – 07:36 ए एम तक
योग: सौभाग्य – 04:02 पी एम तक
करण: गर – 07:34 पी एम तक
द्वितीय करण: वणिज – पूर्ण रात्रि तक
पक्ष: कृष्ण पक्ष
वार: गुरुवार
अमान्त महीना: कार्तिक
पूर्णिमान्त महीना: मार्गशीर्ष
चन्द्र राशि: तुला
सूर्य राशि: वृश्चिक

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