भाई कमलानंद
पूर्व सचिव भारत सरकार
हम लोग अपवादियों को ढूंढते रहते हैं। अभी मैंने आजमगढ जिले के बीनापारा गांव के प्रधान असलम खान जी का एक वीडियो देखा। प्रधान जी के द्वारा गांव में कराए गए सराहनीय कार्यों के लिए बहुत-बहुत अभिनंदन। प्रधान जी ने गांव में अद्भुत कार्य किया है, जिसकी यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ जी ने भी प्रशंसा की है। प्रधान जी के अच्छे कार्यों की आजमगढ जिला अधिकारी के द्वारा भी केस स्टडी की जानी चाहिए। इस पर निम्न सवाल हो सकते हैं-
कौन-कौन सा ऐसा कार्य है, जो अन्य प्रधान भी कर सकते हैं।
कौन-कौन से ऐसे कार्य हैं, जिसमें उन्होंने सरकार से फंड नहीं लिया।
क्या यह गांव आदर्श गांव, अन्ना हजारे जी के सपनों का हो सकता है, जिसमें पारदर्शिता, ग्राम स्वराज, गांव का कच्चा माल, गांव में स्वावलंबन, जैव विविधता और एसडीजी की शर्तों को भी पूरा करे।
क्या यहां पर बिना किसी सरकारी मदद के ग्राम प्रधान की ट्रेनिंग सेंटर खुल सकता है.
क्या इससे इस गांव का सीडीआर बढ़ेगा।
क्या यह गांव विश्व के लिए मॉडल के रूप में उभर सकता है।
क्या आजमगढ जिला इसी गांव को लेकर मॉडल जिला बन सकता है।
इस गांव में अभी क्या कमियां हैं, जिनको पूरा किया जाना चाहिए।
केस स्टडी के लिए पांच हजार रुपए भी दिया जा सकता है। यदि इस गांव में अच्छा कार्य हो सकता है, तो फिर अन्य गांव में क्यों नहीं हो सकता।
प्रधान जी को यह कार्य करते हुए क्या कठिनाइयां आई। कैसे इसको पार किया।
मैं चाहता हूं कि आजमगढ़ जिले के जिलाधिकारी, मंडलायुक्त, कृषि विज्ञान केंद्र आदि सब को मिलकर गांव का अध्ययन करना चाहिए। इस तरह के प्रधान आगे आएं तो इस दिशा में काफी प्रगति हो सकती है। मेरा सभी से अनुरोध है कि इस तरह के अपवादियों को ढूंढे।
साल 1985 में सड़क परिवहन का एमडी था. उस समय मैं और आईपीएस ऑफिसर एक संदिग्ध सरकारी बस का पीछा कर रहे थे। 15 किमी पीछा करने के बाद दोनों अधिकारियों ने आजमगढ़ के अतरौलिया में बस को रोक लिया। इसी दौरान बस के ड्राइवर और कंडक्टर ने हम दोनों अधिकारियों पर बुरी तरह हमला कर दिया। मामला कोर्ट में पहुंच गया। यह मामला काफी प्रसिद्ध रहा है।