पंडित उदय शंकर भट्ट
आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।
आज माघ की मासिक दुर्गा अष्टमी 2 शुभ योग में है. इस दिन माघ शुक्ल अष्टमी तिथि, भरणी नक्षत्र, शुक्ल योग, विष्टि करण, उत्तर का दिशाशूल और मेष राशि में चंद्रमा है. साथ ही रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं.
नौ ग्रहों में से एक गुरु को देवताओं का गुरु बृहस्पति माना जाता है। देवगुरु बृहस्पति वक्री से मार्गी हो गए हैं। गुरु वृषभ राशि में रहते हुए मार्गी होकर भ्रमण करेंगे। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के मार्गी और वक्री होने का विशेष महत्व होता है। जब कोई ग्रह मार्गी होता है तो इसका मतलब आगे की ओर चलने से और जब ग्रह वक्री होता है तो पीछे की ओर चलने से होता है। इस साल गुरु का गोचर और चाल में बदलाव का विशेष महत्व होगा क्योंकि साल 2025 में गुरु तीन बार अपनी राशि बदलेंगे। गुरु के तीन बार राशि बदलने से गुरु अतिचारी होंगे। गुरु के अतिचारी होने से गुरु तीन गुणा तेजी से चलेंगे। देवगुरु बृहस्पति का साल 2025 में राशि परिवर्तन पहली बार 15 मई को होगा जब वह वृषभ से मिथुन राशि में आएंगे। फिर 19 अक्तूबर को धनु और मीन राशि के स्वामी देवगुरु बृहस्पति कर्क राशि में प्रवेश करेंगे। इस राशि में गुरु उच्च के होते हैं। कर्क राशि में गुरु रहते हुए 12 नवंबर 2025 को वक्री हो जाएंगे और वक्री होते हैं 04 दिसंबर को मिथुन राशि में गोचर करेंगे। इस तरह गुरु 2025 में तीन बार राशि बदलेगा। जानिए गुरु ग्रह से जुड़ी खास बातें और पूजा विधि…
ज्ञान और धर्म का प्रतीक है गुरु
बृहस्पति को देवगुरु कहा जाता है। ये ग्रह ज्ञान और धर्म का प्रतीक है। गुरुवार को गुरु ग्रह के लिए विशेष पूजा-पाठ की जाती है। आमतौर पर गुरु की पूजा लाल, पीले, भगवा वस्त्र पहनकर की जाती है। इस ग्रह ग्रह के लिए चने की दाल का दान किया जाता है।
शिवलिंग रूप में होती है गुरु ग्रह की पूजा
गुरु ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। इसलिए हर गुरुवार शिवलिंग का विशेष अभिषेक करना चाहिए। शिवलिंग पर जल, दूध चढ़ाएं। जल-दूध में केसर मिला लेंगे तो बहुत शुभ रहेगा।
जल चढ़ाने के बाद शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, गुलाब से शिवलिंग का श्रृंगार करें।
शिव जी जनेऊ, गुलाल, अबीर, भस्म, अष्टगंध, दूर्वा, चने की दाल आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं। बेसन के लड्डू का भोग लगाएं।
गुरु ग्रह के मंत्र का जप करें। आप चाहें तो ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जप भी कर सकते हैं।
पृथ्वी से 11 गुना बड़ा है गुरु ग्रह
बृहस्पति सूर्य के बाद सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। ये पृथ्वी से लगभग 11 गुना बड़ा है। गुरु ग्रह गैस से बना ग्रह है। इस ग्रह का वातावरण हाइड्रोजन और हीलियम गैसों से मिलकर बना है।
गुरु को ज्योतिष में एक शुभ ग्रह माना गया है जो कि जातकों को करियर और धन संबंधी मामलों में लाभ प्रदान करते हैं। कुंडली में गुरु के अनुकूल होने पर माना जाता है कि जातक अपने जीवन में खूब नाम कमाएगा और उसे तरक्की के साथ शुभ फल और आनंद की प्राप्ति होगी। आज हम आपको बताने जा रहे हैं गुरु ग्रह की खूबियों के बारे में और आपके जीवन पर ये क्या प्रभाव डालता है।
आज का विचार
यदि व्यक्ति का समय अच्छा है तो गलती मजाक लगती है। और समय खराब हो तो, मजाक भी गलती बन जाती है.