पंडित उदय शंकर भट्ट
आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। आज माघ चतुर्दशी तिथि है। वहीं, आज पुष्य नक्षत्र सायं 06 बजकर 34 मिनट तक उपरांत आश्लेषा नक्षत्र का आरंभ होगा।
कामना का निराकरण साक्षी भाव
आज के बाजार की भाषा है क्वालिटी दो और भरपूर कीमत वसूलो। ईश्वर भी इसी विधान पर चलते हैं। वे अपने भक्तों को गुणवत्ता ही देते हैं। घटिया सामान परमात्मा कभी नहीं देता। उसके बदले वो जमकर कीमत वसूलते हैं। ईश्वर द्वारा वसूली गई कीमत का नाम है भरोसा।भगवान कहते हैं आप मुझ पर भरपूर भरोसा रखो। अयोध्यावासियों ने श्रीराम से कहा ‘तनु धनु धाम राम हितकारी, सब विधि तुम प्रणतारति हारी’। हे राम ! आप ही हमारे शरीर, धन, घर, द्वार और सभी प्रकार से हित करने वाले हैं। राम जी ने अयोध्यावासियों को शिक्षा दी, तो अयोध्यावासियों ने कहा ऐसी शिक्षा आपके अतिरिक्त और कोई नहीं दे सकता। तो राम कहते हैं कि शरीर, धन और घर यानी रोटी, कपड़ा, मकान के मामले में मुझ पर पूरा भरोसा रखो। मैं इसमें तुम्हारा हित ही करूंगा।चूंकि इन तीनों के कारण हमारे भीतर कामना उतरती है या कामना के कारण ही इनमें हमारा लगाव होता है, तो ईश्वर ने समझाया की कामना का निराकरण साक्षी भाव है। चूंकि इन तीनों के कारण हमारे भीतर कामना उतरती है या कामना के कारण ही इनमें हमारा लगाव होता है, तो ईश्वर ने समझाया की कामना का निराकरण साक्षी भाव है। अपने भीतर अपनी कामना को देखो और बह जाने दो। अगर कामना रुकी तो शरीर, धन और घर नुकसान पहुंचाएंगे। कामना को बहा दिया तो ये तीनों सुख का कारण बन जाएंगे।
आज का विचार
इस ज़िन्दगी में इंसान कभी दो चीजो का पता नही लगा सकता, एक वो है जिसे माँ की ममता कहते हैं और दूसरा वो जिसे पिता की क्षमता कहते हैं.
आज का भगवद् चिंतन
शरणागत बने रहें
परिस्थिति कैसी भी हो पर जीवन में प्रभु के ऊपर अपने विश्वास को सदैव बनाए रखना। जीवन की समस्याएं चाहे पर्वत जितनी बड़ी ही क्यों न हों लेकिन पूर्ण समर्पण और विश्वास के साथ यदि उस प्रभु की शरण ग्रहण की जाती है तो आपकी वह समस्या प्रभु अपने बायें हाथ की छोटी ऊँगली पर भी बड़ी सहजता से उठा लेते हैं। जीवन की प्रत्येक परिस्थिति में प्रभु की स्मृति बनी रहे ऐसा अभ्यास बनाना चाहिए।
आपकी कोई समस्या आपके लिए बहुत बड़ी हो सकती है पर उस प्रभु के लिए वह बहुत – बहुत छोटी और नगण्य जैसी ही है। प्रभु तो शरणागत वत्सल हैं, प्रणतपाल हैं। जब सच्चे हृदय से पूर्ण विश्वास के साथ उस प्रभु की शरणागति जीवन में आ जाती है, तो फिर हमारे जीवन की समस्याओं का पहाड़ उस प्रभु द्वारा अवश्य उठा लिया जाता है। हमें भी ब्रजवासी जनों की भाँति जीवन की प्रत्येक समस्या के पूर्ण समाधान के लिए केवल प्रभु शरणागत होना सीखना चाहिए।