पंडित उदय शंकर भट्ट
आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।
मनुष्य के जीवन में सबकुछ जुड़ा हुआ है। इसलिए जीवन में जब कोई परिस्थिति आए तो खण्ड-खण्ड करके मत देखिएगा। जैसे हम अपने जीवन की यात्रा में मार्ग और मंजिल को बांट लेते हैं। अगर बारीकी से देखें तो मंजिल अंतिम छोर है और मार्ग उसका पहला छोर।
ऐसे ही, हमारे भीतर शरीर भी है और आत्मा भी है। लेकिन मन जब हावी होता है तो इन दोनों को बांट देता है। अगर मन को हटा दें तो शरीर और आत्मा का अंतर समाप्त हो जाए। मन के हटते ही आप समझ जाएंगे कि हम और परमात्मा एक ही हैं।
जीवन में सब कुछ जोड़ने के लिए कुछ प्रयोग हैं। उनमें से एक प्रयोग कर्णप्रिय संगीत सुनने का भी है। आत्मा तक जाने के लिए एक साधन तो योग है ही, पर यदि कोई अच्छा-सा गीत-भजन सुनें- जिसका संगीत बड़ा शांत, सहज-सरल हो- तो भी आप जुड़ जाएंगे। क्योंकि उस गीत की ध्वनि और कम्पन ब्रह्माण्ड की ध्वनि से आपको जोड़ देगा। और यही हमारे भीतर के चक्रों पर एक ऊर्जा का कम्पन होता है, जो हमको आत्मा का स्पर्श कराता है।
आज का विचार
बल के साथ विनम्रता का आना ही जीवन को महान बनाता है। जहाँ समर्थता होती है, वहाँ कई बार विनम्रता का अभाव ही देखा जाता है.!
आज का भगवद् चिन्तन
विश्वास की ईंट
विश्वास की ईंट जितनी मजबूत होगी हमारे संबंधों की दीवार भी उतनी ही टिकाऊ बन पायेगी। संबधों की मजबूती के लिए परस्पर विश्वास प्रथम आवश्यक्ता है। अविश्वास प्रेम को खंडित करता है, जिससे हमारे परस्पर संबंधों की मजबूत दीवारों में भी दरारें आ जाती हैं। विश्वास ही संबंधों को प्रेमपूर्ण बनाता है। जब हमारे द्वारा प्रत्येक बात का मूल्यांकन स्वयं की दृष्टि से किया जाता है तो वहाँ अविश्वास अवश्य उत्पन्न हो जाता है।
यह आवश्यक नहीं कि हर बार हमारे मूल्यांकन करने का दृष्टिकोण सही हो इसलिए संबंधों की मधुरता के लिए अपने दृष्टिकोण के साथ-साथ दूसरों की भावनाओं तक पहुँचने का गुण भी हमारे भीतर अवश्य होना चाहिए। संबध जोड़ना महत्वपूर्ण नहीं अपितु संबंध निभाना महत्वपूर्ण है। संबंधों का जुड़ना संयोग हो सकता है पर संबंधों को निभाना जीवन की एक साधना ही है।