पंडित उदय शंकर भट्ट
पूर्व अध्यक्ष, उत्तराखंड विद्वत सभा
फूल देई, छम्मा देई, देणी द्वार, भर भकार…जैसे मांगल गीतों के साथ प्रकृति देवी को आभार प्रकट करने का लोक पर्व है फूल संक्रांति। फूल देई बच्चों को प्रकृति प्रेम की शिक्षा बचपन से ही देने का एक आध्यात्मिक पर्व भी है। चैत की संक्रांति को उत्तराखंड में फूल संक्रांति के तौर पर मनाया जा रहा है। इस दिन घरों की देहरी को फूलों से सजाया जाता है। घर-मंदिर की चौखट का तिलक करते हुए ‘फूलदेई छम्मा देई’ कहकर मंगलकामना की जाती है। यह सब घर व आस-पड़ोस के बच्चे करते हैं। ये त्योहार बसंत ऋतु के आगमन का और नए फूल खिलने का संदेश भी देता है। माना यह जाता है कि फूलदेई का त्योहार बिना फ्योंली के फूल के अधूरा रह जाता है।