पंडित उदय शंकर भट्ट
आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।
कैलेंडर
तिथि | दशमी 04:43 PM तक |
नक्षत्र | धनिष्ठा दोपहर 12:07 बजे तक |
तिथि | एकादशी |
नक्षत्र | शतभिषा |
योग | शुक्ला 06:51 PM तक |
करण | वनीजा 05:33 AM तक |
योग | ब्रह्मा |
करण | विष्टि 04:43 PM तक |
काम करने के दिन | बुधवाड़ा |
बावा | बावा 03:42 AM, अप्रैल 24 तक |
पक्ष | कृष्ण पक्ष |
बलावा | बलावा |
चंद्र मास, संवत और बृहस्पति संवत्सर
विक्रम संवत | 2082 कालयुक्त |
संवत्सर | कालयुक्त 03:07 अपराह्न, 25 अप्रैल 2025 तक |
शक संवत | 1947 विश्वावसु |
सिद्धार्थी | सिद्धार्थी |
गुजराती संवत | 2081 नाला |
चन्द्रमास | वैशाख – पूर्णिमांत |
दायाँ/गेट | 10 |
चैत्र – अमंता | चैत्र – अमंता |
राशि और नक्षत्र
राशि | कुम्भ |
नक्षत्र पद | धनिष्ठा 06:21 AM तक |
सूर्य राशि | मेशा |
नक्षत्र पद | धनिष्ठा दोपहर 12:07 बजे तक |
सूर्य नक्षत्र | अश्विनी |
नक्षत्र पद | शतभिषा 05:52 PM तक |
सूर्य पद | अश्विनी |
नक्षत्र पद | शतभिषा रात्रि 11:33 बजे तक |
नक्षत्र पद | शतभिषा प्रातः 05:12 बजे तक, अप्रैल 24 |
नक्षत्र पद | शतभिषा |
रितु और अयाना
द्रिक ऋतु | ग्रीष्म (ग्रीष्म) |
दिनामना | 12 घंटे 56 मिनट 11 सेकंड |
वैदिक ऋतु | वसंत (वसंत) |
रात्रिमना | 11 घंटे 02 मिनट 57 सेकंड |
ड्रिक अयाना | उत्तरायण |
मध्याह्न | 11:56 पूर्वाह्न |
वैदिक अयन | उत्तरायण |
आज का विचार
बदलते लोग तथा बदलता समय किसी के नही होते, सच्चे लोग, ना तो नास्तिक होते हैं, ना ही आस्तिक होते हैं, बल्कि सच्चे लोग हर समय वास्तविक होते हैं.!!
आज का भगवद् चिंतन
संतुष्टि ही सफलता है
यदि जीवन में संतुष्टि का सुख नहीं तो बड़ी से बड़ी सफलता भी प्रसन्नता नहीं दे सकती है। निश्चित ही अपने जीवन में जो संतुष्ट है वह मुक्त भी है। संतुष्टि, व्यक्ति को जीते जी मुक्त करा देती है। संतों का मत है कि इच्छाओं का शेष रहना और श्वासों का खत्म हो जाना ही मोह एवं इच्छाओं का खत्म हो जाना और श्वासों का शेष रहना ही मोक्ष है। आपने अपना जीवन कितनी संतुष्टि में जिया यही आपकी मुक्ति का मापदंड भी है।
महापुरुषों का जीवन इसलिए सफल अथवा वंदनीय नहीं माना जाता कि उन्होंने बहुत कुछ पा लिया है अपितु इसलिए सफल और वंदनीय माना जाता है, कि उन्होंने जो और जितना पाया है, बस उसी में संतुलन बनाना और संतुष्ट रहना सीख लिया है। संतुष्टि का अर्थ निष्क्रिय हो जाना नहीं अपितु परिणाम के प्रति अपेक्षा रहित हो जाना है। एक संतुष्ट जीवन ही सुखी जीवन व सफल जीवन भी कहलाता है।