आज का पंचांग: सफलता का पासवर्ड

पंडित उदय शंकर भट्ट

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।

एक बार नारद मुनि ने कामदेव को पराजित कर दिया था। वे संयम में थे, ध्यान में थे और उन पर कामदेव का असर नहीं हुआ। इस उपलब्धि ने नारद के भीतर अहंकार भर दिया।

अब वे जहां-जहां जाते, यह कहते कि “मैंने कामदेव को जीत लिया है, वह भी बिना क्रोध, बिना लोभ के।” इस आत्मप्रशंसा में वे कैलाश पर्वत जा पहुंचे और भगवान शिव से भी यही बात कही।

शिव जी मुस्कराए। उन्होंने कामदेव को भस्म किया था, लेकिन वे जानते थे कि भावनाओं की परीक्षा से अहंकार उत्पन्न हो सकता है। उन्होंने नारद से कहा, “आपने जो किया, वह सराहनीय है, ये बात आपने मुझे कही, ये भी ठीक है, लेकिन अब ये बात विष्णु जी से मत कहना।”

लेकिन हमारा स्वभाव होता है कि जिसे मना किया जाए, वही काम हम पहले करते हैं।

नारद मुनि शिव जी की बात को अनदेखा कर सीधे विष्णु जी के पास पहुंच गए और वही कहानी सुनाई। विष्णु जी सब समझ गए कि मेरे भक्त को अहंकार हो गया है। इसके बाद विष्णु जी ने एक लीला रची, जिससे नारद का घमंड चूर हो गया।

विष्णु जी के कारण नारद मुनि को मोह, अपमान, क्रोध और दुःख का अनुभव हुआ। तब उन्हें अपनी गलती समझ आई।

इस कथा का सबसे गहरा संदेश शिव जी की बातों में छिपा है। शिव जी ने नारद मुनि से कहा था-

“आप बार-बार कह रहे हैं कि आपने कामदेव को पराजित कर दिया है, लेकिन लोग तो आपके मुख से रामकथा सुनना चाहते हैं और आप कामकथा सुना रहे हैं। जो हमारा मूल धर्म है, कार्य, उत्तरदायित्व है, हमें उसी को निभाना चाहिए।”

कथा की सीख

अहंकार में अच्छी सलाह को अनदेखा न करें: जब कोई सलाह दे तो पहले यह देखें कि सलाह देने वाला कौन है और उसका उद्देश्य क्या है। कई बार हम समझते हैं कि सामने वाला हमारा बुरा चाहता है, जबकि वह निःस्वार्थ भाव से हमें बचाना चाह रहा होता है।

अपने मूल कर्तव्य से विचलित न हों: हर व्यक्ति का एक मुख्य कार्य होता है। यदि वह उसे छोड़कर दूसरे क्षेत्र में चला जाए तो न केवल असफलता मिलती है, बल्कि अपमान भी झेलना पड़ सकता है। जैसा कि नारद मुनि के साथ हुआ। जब आप अपने कार्यक्षेत्र में प्रशंसा पाते हैं तो यह जरूरी है कि आप अपनी मूल पहचान से न भटके। आपकी उपलब्धियां दूसरों को प्रभावित कर सकती हैं, लेकिन आपको अपनी जिम्मेदारी और भूमिका से जुड़े रहना चाहिए।

आज का भगवद् चिंतन

सफलता का पासवर्ड

बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए संघर्ष भी बड़ा ही होगा और संघर्ष बड़ा होगा तो निश्चित ही जीत भी आपकी ही होगी। अंधेरे से लड़ने से कालिमा दूर नहीं होगी उसके लिए तो बस एक दीया जलाना पड़ेगा। कुछ भी अतिरिक्त प्रयास करने की आवश्यकता ही नहीं है बस दीये का जलना ही अंधेरे का भागना है। ऐसे ही कुछ भी अतिरिक्त नहीं बस निरंतर सामर्थ्य के साथ संघर्ष ही सफलता की एक मात्र माँग है।

संघर्ष से डरना सफलता से दूर होते चले जाना है। मोबाइल हाथ में रहने पर भी सही पासवर्ड के बिना वो खुलने वाला नहीं है। ऐसे ही लक्ष्य निकट होते हुए भी संघर्ष के बिना वो मिलने वाला नहीं है। संघर्ष ही वो पासवर्ड है जिससे सफलता के द्वार खुल पाते हैं और लक्ष्य की प्राप्ति संभव हो पाती है। जिनके हाथों में संघर्ष का पासवर्ड है, उनके कदम सफलता के शिखर तक अवश्य पहुँच जाते हैं।

  1. विक्रम संवत – 2082, कालयुक्त
  2. शक सम्वत – 1947, विश्वावसु
  3. पूर्णिमांत – ज्येष्ठ
  4. अमांत – बैशाख

तिथि

  1. कृष्ण पक्ष नवमी   – May 21 04:55 AM – May 22 03:22 AM
  2. कृष्ण पक्ष दशमी   – May 22 03:22 AM – May 23 01:12 AM

नक्षत्र

  1. शतभिषा – May 20 07:32 PM – May 21 06:58 PM
  2. पूर्वभाद्रपदा – May 21 06:58 PM – May 22 05:47 PM

करण

  1. तैतिल – May 21 04:56 AM – May 21 04:13 PM
  2. गर – May 21 04:13 PM – May 22 03:22 AM
  3. वणिज – May 22 03:22 AM – May 22 02:21 PM

योग

  1. वैधृति – May 21 02:50 AM – May 22 12:34 AM
  2. विष्कुम्भ – May 22 12:34 AM – May 22 09:49 PM

वार

  1. बुधवार

सूर्य और चंद्रमा का समय

  1. सूर्योदय – 5:47 AM
  2. सूर्यास्त – 6:59 PM
  3. चन्द्रोदय – May 21 1:19 AM
  4. चन्द्रास्त – May 21 1:05 PM

अशुभ काल

  1. राहू – 12:23 PM – 2:02 PM
  2. यम गण्ड – 7:26 AM – 9:05 AM
  3. कुलिक – 10:44 AM – 12:23 PM
  4. दुर्मुहूर्त – 11:57 AM – 12:49 PM
  5. वर्ज्यम् – 01:03 AM – 02:34 AM

शुभ काल

  1. अभिजीत मुहूर्त – Nil
  2. अमृत काल – 11:55 AM – 01:29 PM
  3. ब्रह्म मुहूर्त – 04:10 AM – 04:58 AM

आनन्दादि योग

  1. मानस Upto – 06:58 PM
  2. पद्म

सूर्या राशि

  1. सूर्य वृषभ राशि पर है

चंद्र राशि

  1. चन्द्रमा कुंभ राशि पर संचार करेगा (पूरा दिन-रात)

चन्द्र मास

  1. अमांत – बैशाख
  2. पूर्णिमांत – ज्येष्ठ
  3. शक संवत (राष्ट्रीय कलैण्डर) – बैशाख 31, 1947
  4. वैदिक ऋतु – वसंत
  5. द्रिक ऋतु – ग्रीष्म

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