आज का पंचांग: अपरा एकादशी पर करें इस कथा का पाठ

पंडित उदय शंकर भट्ट

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।

  1. विक्रम संवत – 2082, कालयुक्त
  2. शक सम्वत – 1947, विश्वावसु
  3. पूर्णिमांत – ज्येष्ठ
  4. अमांत – बैशाख

तिथि

  1. कृष्ण पक्ष एकादशी   – May 23 01:12 AM – May 23 10:30 PM
  2. कृष्ण पक्ष द्वादशी   – May 23 10:30 PM – May 24 07:20 PM

नक्षत्र

  1. उत्तरभाद्रपदा – May 22 05:47 PM – May 23 04:02 PM
  2. रेवती – May 23 04:02 PM – May 24 01:48 PM

करण

  1. बव – May 23 01:12 AM – May 23 11:55 AM
  2. बालव – May 23 11:55 AM – May 23 10:30 PM
  3. कौलव – May 23 10:30 PM – May 24 08:58 AM

योग

  1. प्रीति – May 22 09:49 PM – May 23 06:36 PM
  2. आयुष्मान – May 23 06:36 PM – May 24 03:00 PM

वार

  1. शुक्रवार

त्यौहार और व्रत

  1. भद्रकाली जयंती
  2. अपरा एकादशी

सूर्य और चंद्रमा का समय

  1. सूर्योदय – 5:46 AM
  2. सूर्यास्त – 7:00 PM
  3. चन्द्रोदय – May 23 2:30 AM
  4. चन्द्रास्त – May 23 3:06 PM

अशुभ काल

  1. राहू – 10:44 AM – 12:23 PM
  2. यम गण्ड – 3:42 PM – 5:21 PM
  3. कुलिक – 7:25 AM – 9:05 AM
  4. दुर्मुहूर्त – 08:25 AM – 09:18 AM, 12:50 PM – 01:43 PM
  5. वर्ज्यम् – 02:55 AM – 04:22 AM

आज का विचार

हमारे दो हाथ हैं…एक अपने आप की मदद के लिए और दूसरा औरों की मदद के लिए। आज से हम दूसरों पर निर्भर होने के बजाय खुद की और दूसरों की मदद करें

अपरा एकादशी संपूर्ण व्रत कथा

युधिष्ठिर ने पूछा- जनार्दन! ज्येष्ठ के कृष्णपक्ष में किस नाम की एकादशी होती है ? मैं उसका माहात्म्य सुनना चाहता हूं। उसे बताने की कृपा कीजिये।

भगवान् श्रीकृष्ण बोले- राजन् ! तुमने सम्पूर्ण लोकों के हित के लिये बहुत उत्तम बात पूछी है। राजेन्द्र ! इस एकादशी का नाम ‘अपरा’ है। यह बहुत पुण्य प्रदान करने वाली और बड़े-बड़े पातकों का नाश करने वाली है। ब्रह्महत्या से दबा हुआ, परनिन्दक पुरुष भी अपरा एकादशी के सेवन से निश्चय ही पाप रहित हो जाता है। जो झूठी गवाही देता, माप-तोल में धोखा देता, बिना जाने ही नक्षत्रों की गणना करता और कूटनीति से आयुर्वेद का ज्ञाता बनकर वैद्य का काम करता है- ये सब नरक में निवास करने वाले प्राणी हैं। परन्तु अपरा एकादशी के सेवन से ये भी पापरहित हो जाते हैं। यदि व क्षत्रिय क्षात्रधर्म का परित्याग करके युद्ध से भागता है, तो वह क्षत्रियोचित धर्म से भ्रष्ट होनेके कारण घोर नरक में पड़ता है। जो शिष्य विद्या प्राप्त करके स्वयं ही गुरुकी निन्दा करता है, वह भी महापातकों से युक्त होकर भयङ्कर नरक में गिरता है। किन्तु अपरा एकादशीके सेवनसे ऐसे मनुष्य भी सद्गतिको प्राप्त होते हैं।

जब सूर्य मकर राशि पर स्थित हों, उस समय प्रयाग में स्नान करने वाले मनुष्यों को जो पुण्य होता है, काशी में शिवरात्रि का व्रत करनेसे जो पुण्य प्राप्त होता है, गया में पिण्डदान करके पितरों को तृप्ति प्रदान करने वाला पुरुष जिस पुण्यका भागी होता है, बृहस्पति के सिंह राशि पर स्थित होने पर गोदावरीमें स्रान करनेवाला मानव जिस फलको प्राप्त करता है, बदरिकाश्रमकी यात्रा के समय भगवान् केदार के दर्शन से तथा बदरीतीर्थ के सेवन से जो पुण्य फल उपलब्ध होता है तथा सूर्यग्रहण के समय कुरुक्षेत्र में दक्षिणा सहित यज्ञ करके हाथी, घोड़ा और सुवर्ण-दान करनेसे जिस फलकी प्राप्ति होती है; अपरा एकादशी के सेवनसे भी मनुष्य वैसे ही फल प्राप्त करता है। ‘अपरा’ को उपवास करके भगवान् वामन की पूजा करनेसे मनुष्य सब पापों से मुक्त हो श्रीविष्णु लोक में प्रतिष्ठित होता है। इसको पढ़ने और सुनने से सहस्त्र गोदान का फल मिलता है।

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