छोटा बालक रावण या कंस का अभिनय जल्दी सीखता है, राम या बलराम का कठिनाई से

Uttarakhand

पंडित हर्षमणि बहुगुणा

इस देश का इतिहास बहुत अजीब है। यदि महाभारत के समय पर दृष्टि डालें, तो एक शकुनि ने क्या आग लगाई अपने ही भाइयों में वैमनष्य के बीज बोकर वंश ही समाप्त कर दिया। आज इस देश में शकुनियों की कमी नहीं है आग लगाने के लिए एक तिल्ली की ही आवश्यकता है। शेष कार्य तो स्वयं ही हो जाता है।

हमें अपने किए काम की याद पूरी रहती हैं और यही वजह है कि सामने वाले को हम नक्कारा मानने लग जाते हैं। मन की आग ‘ज्वाला’ बन जाती है हम उसके अस्तित्व को भूल जाते हैं, यहीं अहंकार हमारे पतन का कारण बन जाता है और महाभारत की शुरूआत। इससे कैसे बचें इस पर विचार करने की आवश्यकता है। दूसरे को सम्मान देने की आवश्यकता है, अपने अहंकार को कम करने की आवश्यकता है, उदाहरण हम बहुत सुंदर देते हैं किन्तु उन पर चलते नहीं है ।

देश की अखंडता किस तरह बरकरार रहे इस पर विचार करने की आवश्यकता है। जिस दिन हम यह समझ जाएंगे कि पहले हम भारतीय हैं उसी दिन से हमारा देश सुरक्षित हों जाएगा। देश में, गांव में या परिवार में सभी न तो कर्मठ ही हो सकते हैं या सभी निकम्मे भी नहीं हो सकते हैं। परिवार से ही समझा जा सकता है कि पिता अपनी सन्तानों के लिए बहुत कुछ करता है पर कहीं यह भी देखा जा सकता है कि संतान भी अपने माता-पिता के लिए बहुत कुछ करती हैं। भाई – भाई के लिए बहुत कुछ करता है। बड़े का कर्त्तव्य है कि वह छोटे के लिए कुछ करे परन्तु कहीं छोटा भी बड़ों के लिए बहुत कुछ करता हुआ देखा गया हैं। इसके उदाहरण भरत लक्ष्मण तो है ही अर्जुन भीम भी कम नहीं हैं ।

आजकल टीवी चैनलों पर अनेक नाटक प्रसारित हो रहे हैं पहले भी होते रहे हैं पर उन नाटकों को देख कर क्या हम अच्छाई का वरण नहीं कर सकते हैं किन्तु अधिकांश लोग चाहे वे वुद्धिमान ही क्यों नहीं है बुराई को ग्रहण कर लेते हैं ।

यह भी सम्भव नहीं है कि प्रसारित होने वाले नाटकों या समाचारों में से बुरे अंशों को हटा दिया जाय, यह हमारी इच्छा पर निर्भर करता है कि हम क्या ग्रहण करते हैं। मेरा मानना तो यह है कि समाज में अधिकांश बुराई इन प्रसारणों से बढ़ रही है। एक छोटा बालक रावण या कंस का अभिनय जल्दी सीखता है, राम या बलराम का कठिनाई से।

आजकल का मोबाइल यूट्यूब वीडियो के माध्यम से बुराई की ओर अग्रसर हो रहा है इस पर किसी न किसी तरह से प्रतिबन्ध लगाया जाना आवश्यक है यह हमें भी समझना होगा। शायद इस छोटे से आग्रह में बहुत कुछ समाविष्ट हो सकता है यदि सकारात्मक दृष्टिकोण से पढ़ा व देखा जाय? किमधिकम् ।* मंगलमय प्रभात की हार्दिक शुभकामनाओं सहित मधुमय सुप्रभात

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