नई दिल्ली
संसद का बजट सत्र आज यानी सोमवार से शुरू हो गया है। इसकी शुरुआत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण से हुई।राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द का संसद के संयुक्त अधिवेशन में अभिभाषण पढ़िए-
कोरोना वायरस से उत्पन्न वैश्विक महामारी का यह तीसरा वर्ष है। इस दौरान हमने भारत के लोगों की लोकतांत्रिक मूल्यों में अगाध आस्था, अनुशासन और कर्तव्य-परायणता को और मजबूत होते देखा है। आज जब भारत, अपनी आजादी के 75 वर्ष पर अमृत महोत्सव मना रहा है, तब प्रत्येक भारतवासी की यह संकल्पशक्ति, भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए असीम विश्वास पैदा करती है। इसी विश्वास के साथ, मैं संसद भवन के इस ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल से प्रत्येक भारतवासी का अभिनंदन करता हूं।
मैं आज संसद के इस समवेत सत्र में, देश के उन लाखों स्वाधीनता सेनानियों को नमन करता हूँ, जिन्होंने अपने कर्तव्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और भारत को उसके अधिकार दिलाए। आज़ादी के इन 75 वर्षों में देश की विकास यात्रा में अपना योगदान देने वाले सभी महानुभावों का भी मैं श्रद्धा-पूर्वक स्मरण करता हूँ।
अमृत महोत्सव के इस कालखंड में देश की महान विभूतियों से जुड़े विशेष अवसर भी सभी देशवासियों को प्रेरणा दे रहे हैं। गुरु तेगबहादुर जी का 400वां प्रकाश पर्व, श्री अरबिन्दो की 150वीं जन्म-जयंती, वी.ओ. चिदम्बरम पिल्लई का 150वां जन्मवर्ष और नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जन्म-जयंती जैसे पुण्य अवसरों को मेरी सरकार पूरी भव्यता के साथ मना रही है। सरकार ने इस वर्ष से, गणतंत्र दिवस समारोह को, नेताजी की जयंती पर, 23 जनवरी से ही मनाने की शुरुआत की है।
मेरी सरकार मानती है कि अतीत को याद रखना तथा उससे सीख लेना, देश के सुरक्षित भविष्य के लिए बहुत ही जरूरी है। साहिबजादों के बलिदान की स्मृति में 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ की घोषणा एवं 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ इसी सोच का परिचायक है। सरकार ने भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि स्वरूप, उनके जन्म-दिवस 15 नवंबर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने का भी निर्णय लिया।
आज़ादी का अमृत महोत्सव, हम सभी भारतीयों के लिए अगले 25 वर्षों के संकल्पों को आकार देने का पवित्र अवसर है। मेरी सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास’ के मंत्र पर चलते हुए अगले 25 वर्षों के लिए मजबूत बुनियाद पर तेजी से काम कर रही है। इस बुनियाद का सबसे महत्वपूर्ण संकल्प एक सर्व-समावेशी, सर्व-हितकारी, सशक्त भारत का निर्माण और देश की आत्म-निर्भरता है। कोरोना के इस कठिन समय की चुनौतियों ने देशवासियों को अपने लक्ष्यों को जल्द से जल्द प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया है।
कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है, और भारत में भी हमारे बहुत से अपनों को हमसे छीना है। इन परिस्थितियों में केंद्र से लेकर राज्यों तक – हमारी सभी सरकारों, स्थानीय शासन और प्रशासन, हमारे डॉक्टर्स, नर्सेज़ और हेल्थ वर्कर्स, हमारे वैज्ञानिकों और उद्यमियों – सभी ने, एक टीम के रूप में काम किया है। सरकार और नागरिकों के बीच यह परस्पर विश्वास, समन्वय और सहयोग, लोकतन्त्र की ताकत का अभूतपूर्व उदाहरण है। इसके लिए, मैं देश के प्रत्येक हेल्थ और फ्रंट लाइन वर्कर का, हर देशवासी का अभिनंदन करता हूँ।
कोविड-19 के खिलाफ इस लड़ाई में भारत के सामर्थ्य का प्रमाण कोविड वैक्सीनेशन प्रोग्राम में नजर आया है। हमने एक साल से भी कम समय में 150 करोड़ से भी ज्यादा वैक्सीन डोज़ लगाने का रेकॉर्ड पार किया। आज हम पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा वैक्सीन डोज़ देने वाले अग्रणी देशों में से एक हैं। इस अभियान की सफलता ने देश को एक ऐसा रक्षा-कवच दिया है जिससे हमारे नागरिकों की सुरक्षा भी बढ़ी है और उनका मनोबल भी बढ़ा है।
आज देश में 90 प्रतिशत से अधिक वयस्क नागरिकों को टीके की एक डोज़ मिल चुकी है, जबकि 70 प्रतिशत से अधिक लोग दोनों डोज़ ले चुके हैं। ‘हर घर दस्तक अभियान’ के माध्यम से सरकार बाकी लोगों तक भी पहुंच रही है। इसी माह, वैक्सीनेशन प्रोग्राम में 15 से 18 वर्ष तक के किशोर-किशोरियों को भी शामिल किया गया है। साथ ही, फ्रंटलाइन वर्कर्स और बीमारियों से ग्रस्त वरिष्ठ नागरिकों के लिए precautionary डोज की शुरुआत भी की गई है।
अब तक देश में कुल 8 वैक्सीन्स को emergency use के लिए स्वीकृति मिल चुकी है। भारत में बन रही तीन वैक्सीन्स को विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से आपात स्थिति में उपयोग की मंजूरी भी मिली है। भारत में बन रही ये वैक्सीन्स पूरी दुनिया को महामारी से मुक्त कराने और करोड़ों लोगों का जीवन बचाने में अहम भूमिका निभा रही हैं।
कोरोना महामारी से निपटने के लिए हमारे देश के प्रयास केवल तात्कालिक चुनौतियों तक सीमित नहीं हैं। इसीलिए, मेरी सरकार ऐसे दूरदर्शी समाधान तैयार कर रही है जो भविष्य के लिए भी प्रभावी और उपयोगी रहें। सरकार द्वारा 64 हजार करोड़ रुपए की लागत से शुरू किया गया प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इनफ्रास्ट्रक्चर मिशन इसका एक सराहनीय उदाहरण है। इससे न केवल वर्तमान की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी, बल्कि आने वाले संकटों के लिए भी देश को तैयार किया जा सकेगा।
मेरी सरकार की संवेदनशील नीतियों के कारण देश में अब स्वास्थ्य सेवाएँ जन साधारण तक आसानी से पहुंच रही हैं। 80 हजार से अधिक हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स और करोड़ों की संख्या में जारी आयुष्मान भारत कार्ड से गरीबों को इलाज में बहुत मदद मिली है। सरकार ने 8000 से अधिक जन-औषधि केंद्रों के माध्यम से कम कीमत पर दवाइयां उपलब्ध कराकर, इलाज पर होने वाले खर्च को कम किया है। सुलभ और सुगम स्वास्थ्य सेवाओं के लिए उठाया गया ‘आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन’ भी एक बड़ा कदम है।
कोरोना काल में भारतीय फार्मा सेक्टर ने भी अपनी श्रेष्ठता को साबित किया है। वर्तमान समय में भारतीय फार्मा कंपनियों के उत्पाद 180 से ज्यादा देशों में पहुँच रहे हैं। लेकिन इस क्षेत्र में भारत के लिए संभावनाएं कहीं अधिक व्यापक हैं। फार्मा इंडस्ट्री के लिए मेरी सरकार द्वारा घोषित PLI स्कीम से इन संभावनाओं को विस्तार मिलेगा और रिसर्च को भी गति मिलेगी।
सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के परिणामस्वरूप योग, आयुर्वेद एवं पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2014 में देश से 6600 करोड़ रुपए के आयुष उत्पादों का निर्यात होता था, जो आज बढ़कर 11 हजार करोड़ रुपए से अधिक हो गया है। दुनिया के सबसे पहले ‘WHO Global Centre of Traditional Medicine’ की स्थापना भी भारत में होने जा रही है।
हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, बाबा साहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने कहा था-
“मेरा आदर्श एक ऐसा समाज होगा जो स्वाधीनता, समानता और भाई-चारे पर आधारित हो।… प्रजातन्त्र, सरकार का एक स्वरूप मात्र नहीं है।… प्रजातन्त्र का मूल है, अपने साथियों के प्रति आदर और सम्मान की भावना।”
बाबा साहब के इन आदर्शों को मेरी सरकार अपने लिए ध्येय वाक्य मानती है। मेरी सरकार की आस्था, अंत्योदय के मूल मंत्र में है, जिसमें सामाजिक न्याय भी हो, समानता भी हो, सम्मान भी हो और समान अवसर भी हों। इसलिए आज सरकार की नीतियों में गाँव, गरीब, पिछड़े, अनुसूचित जाति एवं जनजातियों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। हाल के वर्षों में पद्म पुरस्कारों के चयन में भारत की यह भावना भलीभाँति झलकती है। विविधता से भरे भारत में, देश के कोने-कोने में समर्पित जीवन जीने वाले लोग राष्ट्र-सेवा में जुटे हुए हैं। उनमें भारत की शक्ति के दर्शन होते हैं।
कोरोना के इस महासंकट में हमने बड़े-बड़े देशों में खाद्यान्न की कमी और भूख की परेशानी देखी है। लेकिन मेरी संवेदनशील सरकार ने इस बात का पूरा प्रयास किया कि 100 साल के इस सबसे बड़े संकट में कोई गरीब भूखा न रहे। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत मेरी सरकार सभी गरीबों को हर महीने मुफ्त राशन दे रही है। 80 करोड़ लाभार्थियों को 19 महीनों से खाद्यान्न वितरित करने हेतु 2 लाख 60 हजार करोड़ रुपए के खर्च के साथ भारत में आज दुनिया का सबसे बड़ा फूड डिस्ट्रिब्यूशन प्रोग्राम चलाया जा रहा है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए पूरी संवेदनशीलता के साथ मेरी सरकार ने इस योजना को मार्च 2022 तक बढ़ा दिया है।
कोरोना काल में गरीब के स्वाभिमान और उसके रोजगार की रक्षा करने के लिए सरकार प्रधानमंत्री-स्वनिधि योजना भी चला रही है। यह योजना हमारे रेहड़ी-पटरी वाले भाइयों-बहनों के लिए बहुत सहायक सिद्ध हो रही है। इस योजना के तहत अब तक 28 लाख रेहड़ी-पटरी वालों को 29 सौ करोड़ रुपए से ज्यादा की धनराशि जारी की गई है। सरकार अब इन स्ट्रीट वेंडर्स को ऑनलाइन फूड डिलिवरी करने वाली कंपनियों के साथ भी जोड़ रही है। श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए सरकार ने ई-श्रम पोर्टल भी शुरू किया है जिससे अब तक 23 करोड़ से अधिक श्रमिक जुड़ चुके हैं।
जनधन-आधार-मोबाइल अर्थात JAM ट्रिनिटी को मेरी सरकार ने जिस तरह नागरिक सशक्तीकरण से जोड़ा है, उसका प्रभाव भी हम लगातार देख रहे हैं। 44 करोड़ से अधिक गरीब देशवासियों के बैंकिंग सिस्टम से जुड़ने के कारण महामारी के दौरान करोड़ों लाभार्थियों को सीधे कैश ट्रान्सफर का लाभ मिला है।
डिजिटल इंडिया और डिजिटल इकॉनमी के बढ़ते प्रसार के संदर्भ में देश के UPI platform की सफलता के लिए भी, मैं, सरकार के विज़न की प्रशंसा करूंगा। दिसम्बर 2021 में, देश में 8 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का लेन-देन UPI के माध्यम से हुआ है। यह इस बात का उदाहरण है कि हमारे देश में जन-सामान्य द्वारा, बदलाव और तकनीक को बहुत तेजी से अपनाया जा रहा है।
मेरी सरकार मूलभूत सुविधाओं को गरीब के सशक्तीकरण और गरीब की गरिमा बढ़ाने का माध्यम मानती है। पिछले वर्षों के अनवरत प्रयासों से प्रधानमंत्री आवास योजना में अब तक दो करोड़ से अधिक पक्के घर गरीबों को मिल चुके हैं। ‘प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण’ के तहत गत तीन वर्षों में करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपए की लागत से एक करोड़ सत्रह लाख घर स्वीकृत किए गए हैं।
‘हर घर जल’ पहुंचाने के उद्देश्य से शुरू किए गए जल जीवन मिशन ने लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव लाना शुरू कर दिया है। महामारी की बाधाओं के बावजूद करीब 6 करोड़ ग्रामीण घरों को पेयजल के कनेक्शन से जोड़ा गया है। इसका बहुत बड़ा लाभ हमारे गांव की महिलाओं-बहनों-बेटियों को हुआ है।
ग्रामीण क्षेत्रों में, लोगों को उनकी संपत्ति के दस्तावेज देने के लिए शुरू की गई स्वामित्व योजना भी एक असाधारण प्रयास है। इस योजना के तहत अब तक 27 हजार गाँवों में 40 लाख से अधिक प्रॉपर्टी कार्ड दिए जा चुके हैं। ये प्रॉपर्टी कार्ड न केवल विवादों को रोकने में सहायक हैं बल्कि गांव के लोगों को बैंकों से मदद मिलना भी आसान हो रहा है।
मेरी सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था और देश के किसानों को सशक्त बनाने के लिए निरंतर काम कर रही है। वैश्विक महामारी के बावजूद साल 2020-21 में हमारे किसानों ने 30 करोड़ टन से अधिक खाद्यान्न और 33 करोड़ टन से अधिक बागवानी उत्पादों की पैदावार की। सरकार ने रेकॉर्ड उत्पादन को ध्यान में रखते हुए रेकॉर्ड सरकारी खरीद की है। रबी की फसल के दौरान 433 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई जिससे लगभग 50 लाख किसानों को सीधा फायदा पहुंचा है। खरीफ की फसल के दौरान रेकॉर्ड लगभग 900 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई जिससे एक करोड़ तीस लाख किसान लाभान्वित हुए।
सरकार के प्रयासों से देश का कृषि निर्यात भी रेकॉर्ड स्तर पर बढ़ा है। वर्ष 2020-21 में कृषि निर्यात में 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई। यह निर्यात लगभग 3 लाख करोड़ रुपए पहुँच गया है।
हॉर्टिकल्चर और शहद उत्पादन भी किसानों के लिए आमदनी के नए स्रोतों और बाज़ार तक उनकी बढ़ती पहुँच के महत्वपूर्ण माध्यम हैं। शहद उत्पादन को प्रोत्साहन देने से वर्ष 2020-21 में देश का शहद उत्पादन एक लाख पच्चीस हजार मीट्रिक टन तक पहुँच गया है जोकि 2014-15 की तुलना में करीब 55 प्रतिशत ज्यादा है। 2014-15 की तुलना में शहद की निर्यात मात्रा में भी 102 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई है।
किसानों को उनकी फसल के अधिक दाम मिलें, इसके लिए उनके उत्पादों का सही बाजार तक पहुँचना जरूरी होता है। इस दिशा में सरकार ने किसान रेल सेवा शुरू करते हुए किसानों के लिए खुशहाली के नए रास्ते खोलने का काम किया है। कोरोना काल में भारतीय रेल ने सब्जियों, फलों तथा दूध जैसी, जल्दी खराब होने वाली खाद्य सामग्री के परिवहन के लिए, 150 से अधिक मार्गों पर 1900 से ज्यादा किसान रेल चलाईं और करीब 6 लाख मीट्रिक टन कृषि उत्पादों की ढुलाई की। यह इस बात का उदाहरण है कि अगर सोच नई हो तो पुराने संसाधनों से भी नए रास्ते बनाए जा सकते हैं।
कृषि क्षेत्र में देश की सतत सफलता और बढ़ते सामर्थ्य का सबसे बड़ा श्रेय, मैं, देश के छोटे किसानों को देना चाहता हूँ। देश के 80 प्रतिशत किसान छोटे किसान ही हैं, जिनके हितों को मेरी सरकार ने हमेशा केंद्र में रखा है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के माध्यम से 11 करोड़ से अधिक किसान परिवारों को एक लाख अस्सी हजार करोड़ रुपए दिए गए हैं। इस निवेश से कृषि क्षेत्र में आज बड़े बदलाव दिखाई दे रहे हैं। फसल बीमा योजना में नए बदलावों का लाभ भी देश के छोटे किसानों को हुआ है। इन बदलावों के बाद से अब तक 8 करोड़ से अधिक किसानों को मुआवजे के तौर पर एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि दी जा चुकी है।
खेतों के नजदीक, जरूरी इनफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने के लिए भी मेरी सरकार अभूतपूर्व स्तर पर निवेश कर रही है। एक लाख करोड़ रुपए के कृषि इनफ्रास्ट्रक्चर फ़ंड के अंतर्गत हजारों परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। मेरी सरकार ने खाद्य तेल में आत्म-निर्भरता को ध्यान में रखते हुए 11 हजार करोड़ रुपए की लागत से National Mission on Edible Oils – Oil Palm की शुरुआत भी की है। सरकार ऑर्गेनिक खेती, प्राकृतिक खेती और crop diversification जैसे विशेष प्रयास भी कर रही है।
यह आप सभी की जानकारी में है कि संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को International Year of Millets के रूप में घोषित किया है। मेरी सरकार International Year of Millets को देश के किसानों, सेल्फ हेल्प ग्रूप्स, FPOs, फूड इंडस्ट्री और जन-सामान्य के साथ मिलकर व्यापक स्तर पर मनाएगी।
मेरी सरकार, वर्षा जल संरक्षण के लिए भी गंभीरता से काम कर रही है। देश में rain water harvesting infrastructure के निर्माण और पारंपरिक जल-स्रोतों के जीर्णोद्धार के लिए विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत विभिन्न परियोजनाओं और अटल भू-जल योजना की मदद से देश में 64 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता विकसित की गई है। नदियों को आपस में जोड़ने की योजनाओं पर भी सरकार ने काम आगे बढ़ाया है। हाल ही में 45 हजार करोड़ रुपए की लागत से पूरी होने वाली केन-बेतवा लिंक परियोजना को भी स्वीकृति दी गई है। यह परियोजना बुंदेलखंड में पानी की चुनौतियों को समाप्त करने में सहायक होगी।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने में महिलाओं की भूमिका अधिक विस्तृत होती जा रही है। 2021-22 में 28 लाख सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को बैंकों की तरफ से 65 हजार करोड़ रुपए की मदद दी गई है। यह राशि 2014-15 की तुलना में 4 गुना अधिक है। सरकार ने हजारों महिला सेल्फ हेल्प ग्रूप के सदस्यों को ट्रेनिंग देकर उन्हें बैंकिंग सखी के रूप में भागीदार भी बनाया है। ये महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं को घर-घर तक पहुंचाने का माध्यम बन रही हैं।
महिला सशक्तीकरण मेरी सरकार की उच्च प्राथमिकताओं में से एक है। उज्ज्वला योजना की सफलता के हम सभी साक्षी हैं। “मुद्रा” योजना के माध्यम से हमारे देश की माताओं-बहनों की उद्यमिता और कौशल को बढ़ावा मिला है। “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” पहल के अनेक सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं, और स्कूलों में प्रवेश लेने वाली बेटियों की संख्या में उत्साहजनक वृद्धि हुई है। बेटे-बेटी को समानता का दर्जा देते हुए मेरी सरकार ने महिलाओं के विवाह के लिए न्यूनतम आयु को 18 वर्ष से बढ़ाकर पुरूषों के समान 21 वर्ष करने का विधेयक भी संसद में प्रस्तुत किया है।
सरकार ने तीन तलाक को कानूनन अपराध घोषित कर समाज को इस कुप्रथा से मुक्त करने की शुरुआत की है। मुस्लिम महिलाओं पर, केवल मेहरम के साथ ही हज यात्रा करने जैसे प्रतिबंधों को भी हटाया गया है। वर्ष 2014 से पूर्व अल्पसंख्यक वर्ग के लगभग तीन करोड़ विद्यार्थियों को छात्रवृत्तियां दी गई थीं, जबकि मेरी सरकार ने वर्ष 2014 से अब तक ऐसे साढ़े चार करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को छात्रवृत्तियां प्रदान की हैं। इससे मुस्लिम बालिकाओं के स्कूल छोड़ने की दर में महत्वपूर्ण कमी दर्ज की गई है तथा उनके प्रवेश में वृद्धि देखी गई है।
देश की बेटियों में सीखने की क्षमता को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में Gender Inclusion Fund का भी प्रावधान किया गया है। यह हर्ष की बात है कि मौजूदा सभी 33 सैनिक स्कूलों ने बालिकाओं को प्रवेश देना शुरू कर दिया है। सरकार ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में भी महिला कैडेट्स के प्रवेश को मंजूरी दी है। महिला कैडेट्स का पहला बैच एनडीए में जून 2022 में प्रवेश करेगा। मेरी सरकार के नीतिगत निर्णय और प्रोत्साहन से, विभिन्न पुलिस बलों में महिला पुलिस-कर्मियों की संख्या में, 2014 के मुकाबले दोगुनी से ज्यादा बढ़ोतरी हो चुकी है।
महान संत थिरूवल्लुवर ने कहा था-
कर्क्क कसड्डर कर्पवइ कट्रपिन्,
निर्क्क अदर्क्क तग ।
अर्थात, एक व्यक्ति जो कुछ भी सीखता है, वह उसके आचरण में दिखाई देता है।
आत्म-निर्भर भारत के संकल्प व सामर्थ्य को आकार देने के लिए मेरी सरकार, देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू कर रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से स्थानीय भाषाओं को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। स्नातक पाठ्यक्रमों की महत्वपूर्ण प्रवेश परीक्षाएं भारतीय भाषाओं में भी संचालित करने पर जोर दिया जा रहा है। इस वर्ष 10 राज्यों के 19 इंजीनियरिंग कॉलेजों में 6 भारतीय भाषाओं में पढ़ाई शुरू हो रही है।
स्किल इंडिया मिशन के तहत, आई.टी.आई., जन शिक्षण संस्थान, और प्रधानमंत्री कौशल केंद्रों के जरिए पूरे देश में सवा दो करोड़ से अधिक युवाओं का कौशल विकास हुआ है। स्किल को उच्च शिक्षा के साथ जोड़ने के लिए यू.जी.सी. के नियमों में कई बदलाव भी किए गये हैं।
कोरोना से लड़ाई के लिए स्किल इंडिया मिशन के तहत हेल्थ केयर से जुड़े 6 विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। इनसे हेल्थ केयर सेक्टर को मदद मिल रही है।
सरकार द्वारा जनजातीय युवाओं की शिक्षा के लिए हर आदिवासी बहुल ब्लॉक तक एकलव्य आवासीय मॉडल स्कूल के विस्तार का काम किया जा रहा है। ये स्कूल लगभग साढ़े तीन लाख जनजातीय युवाओं को सशक्त बनाएंगे।