हिमशिखर खबर ब्यूरो
देहरादून: कल 4 नवंबर को इगास बग्वाल है। उत्तराखंड के पचास से अधिक लोक पर्वों में शामिल एक विशेष पर्व। इस साल इगास बग्वाल पर सरकार ने छुट्टी भी घोषित कर दी है, तो फिर अपने पैतृक गांव और अपने शहर में इगास मनाइए और देवभूमि की लोक परंपरा जीवंत कीजिए।
केदार बाबा के क्षेत्र में मनाएंगे इगास बग्वाल
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता कर्नल अजय कोठियाल इस बार ईगास बगवाल मनाने और भैलो खेलने केदार बाबा के क्षेत्र रुद्रप्रयाग जा रहे हैं। बताया कि इस दौरान गुप्तकाशी, दुरुस्त गांव चौमासी, मुक्कुमठ,अगस्तमुनी और सभी जगह जाने की कोशिश रहेगी। आगे कहा कि भैलो खेलने शाम को छोटे भाई भूपेंद्र भंडारी और वीर भड़ माधो सिंह भंडारी जी के गांव ललूड़ी, लस्या पट्टी, जखोली ब्लॉक जाऊंगा।
भैलो खेला जाता है..
बग्वाल के साथ ही इगास बग्वाल के दिन भी गढ़वाल में भैलो खेला जाता है। चीड़ के छिल्लों, रिंगाल, तिल की सूखी टहनियों, देवदार, हिसर जहां जो मिले, उससे भैलो बनाया जाता है। मशाल नुमा भैलो को भीमल के रेशों की रस्सी से बांधकर जलाया जाता है और अपने सिर के ऊपर से चारों तरफ घुमाया जाता है। साथ ही दूसरे लोगों के साथ लड़ाया भी जाता है। आधी रात तक भैलो खेला जाता है। भैलो के साथ ही आधी रात तक पारंपरिक नृत्य किया जाता है।